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मार्च तिमाही में 6.1% तक गिरा भारतीय जीडीपी वृद्धि का आँकड़ा- यह अच्छा है या बुरा?

June 5, 2017


gdp plunges to 6.1percent

“दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था” के बीच काफी उतार चढ़ाव के बाद 2015 में भारत की अर्थव्यवस्था ने पहली बार चीन की विकास दर को पीछे छोड़ दिया। मार्च तिमाही में देश ने 6.1% की वृद्धि दर दर्ज की। यह विकास दर 2015-16 में 8 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर से बहुत नीचे है, जो पिछले वर्ष में 7.5 प्रतिशत थी और चालू वर्ष की अनुमानित वृद्धि 7.1% थी।

विमुद्रीकरण के कारण जीडीपी विकास दर धीमी हुई है। कुछ पर्यवेक्षक यह भी मानते हैं कि विकास में गिरावट का कारण यह भी हो सकता है कि जीडीपी के अनुपात में निवेश कुछ समय के लिए नीचे चला गया है, बहुत ही कम निवेशकों और कंपनियों ने भारत में निवेश करने का वादा करने के बाद वास्तविक धन के साथ इसका अनुसरण किया। माना जाता है कि निवेश 2016-17 में 30% तक पूर्ण रूप से घट गया है।

प्रभावित क्षेत्र

सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस के मुताबिक, निम्न क्षेत्रों में चौथी तिमाही में विमुद्रीकरण प्रभाव के तहत विकास दर में कमी आई है।

विनिर्माण, खनन, व्यापार, होटल, परिवहन, संचार, प्रसारण से संबंधित सेवाएं, वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाएं।

उपर्युक्त सेवाएं बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई हैं:

खनन क्षेत्र: इस क्षेत्र पर विमुद्रीकरण का बड़ा असर पड़ा है क्योंकि इससे काला धन श्रृंखला बाधित हुई है। आयकर विभाग ने लोहे और मैंगनीज अयस्क के अवैध खनन की जांच के साथ-साथ टैक्स से बचने वाली कई कंपनियों की जांच की शुरू कर दी थी।

निर्माण क्षेत्रः विमुद्रीकरण ने सबसे ज्यादा इस क्षेत्र को प्रभावित किया और इसकी वृद्धि दर में 3.7% की गिरावट आई।

विनिर्माण क्षेत्र: पूर्ववर्ती तिमाही में इस क्षेत्र की विकास दर 8.2% थी जो पिछली तिमाही में घटकर 5.3% रह गई। यह मुख्य रूप इसलिये हुआ क्योंकि विमुद्रीकरण द्वारा आयी नकदी की कमी का विनिर्माण क्षेत्र की असंगठित इकाइयों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

कृषि क्षेत्र: पिछली तिमाही में यहाँ 6.9% से वृद्धि दर 5.2% हो गई है। इस क्षेत्र में छूट प्राप्त आय के एक बड़े प्रवाह की उपलब्धता के साथ-साथ कृषि आय के नाम पर छिपे हुए काले धन की एक बड़ी राशि है जिसे टैक्स से छूट दी गई है। विमुद्रीकरण के कारण फसल के मौसम के दौरान बीज और उर्वरकों की खरीद में देरी से भी इस क्षेत्र पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ा।

विनिर्माण के अलावा, काले धन के प्रसार के लिए विशेषज्ञों द्वारा चिह्नित किये सभी क्षेत्र विमुद्रीकरण द्वारा प्रभावित हुए हैं।

क्या जीडीपी विकास में गिरावट वास्तव में भविष्य में अच्छी खबर के लिए एक भविष्यवाणी है?

विकास दर में गिरावट वास्तव में काले धन के खिलाफ लड़ाई में मोदी सरकार को भरोसा देती है और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है। गिरने वाली जीडीपी एक संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था से काले धन का उन्मूलन हो रहा है। जून 2016 में एक पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का सकल घरेलू उत्पाद का 20% लगभग 30 लाख करोड़ रुपए था, जिसका गठन काली अर्थव्यवस्था के लिये हुआ था।

जीडीपी में गिरावट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उधार दरों में कटौती करने की भी संभावना पैदा कर सकता है।

विशेषज्ञों की भविष्यवाणी है कि इस साल 1 जुलाई से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) शुरू होने के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। वास्तव में, पूर्वानुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए विकास पूर्वानुमान 7 से 8% के बीच होगा।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने सामान्य मानसून की भविष्यवाणी करते हुए, भारत 2014 में, नरेंद्र मोदी सरकार के बाद से अपना पहला सामान्य मानसून देखेगा और इससे कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए अच्छी शुरुआत होगी, इन क्षेत्रों के विकास को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

विमुद्रीकरण कभी भी किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर नहीं है क्योंकि यह मुद्रा के प्रचलन में  कमी लाता है। लेकिन मोदी सरकार ने नकली मुद्रा को रोकने के लिए हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल किया और काले धन के रूप में समानांतर नकदी अर्थव्यवस्था के संग्रहण को नियंत्रित किया जो कि लंबे समय तक भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में मदद करेगा। अर्थव्यवस्था के असंगठित खर्च का एक बड़ा हिस्सा औपचारिक अर्थव्यवस्था में बदलाव लाएगा, जिससे अगले तिमाही और वित्तीय वर्ष में बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर में गिरावट अच्छी खबर नहीं हो सकती। लेकिन भारत जिसका सामना कर रहा है, वह अपने विकास में मंदी है, गिरावट नहीं है। घाटे को नियंत्रित किया जा रहा है और मूल सिद्धांतों पर ध्यान दिया जा रहा है, भारत जल्द ही भविष्य में विकास के क्षेत्र में फिर से आगे बढ़ेगा।