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भारतीय रेलवे – प्रमुख दुर्घटनाएं और कारण

August 22, 2017


rail accidentभारतीय रेलवे, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है, लंबे समय से रेलवे की बुनियादी सुविधाएं खराब रही हैं, जो पिछले कई वर्षों से रेल दुर्घटनाओं का कारण रही हैं। नवीनतम दुर्घटना में कलिंग उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई, जिसमें 20 से ज्यादा यात्री मारे गए। इसके अलावा, इसमें लगभग 92 लोग घायल हुए, 19 अगस्त 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में इस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। यह ट्रेन उड़ीसा के पुरी से उत्तराखंड के हरिद्वार जा रही थी। इस घटना के बाद सरकार ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। रेलवे ने तीन शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया, चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया और उत्तरी रेलवे के मुख्य ट्रैक इंजीनियर का ट्रांसफर (स्थानान्तरण) कर दिया है। इसी बीच, इस दुर्घटना में मृतकों के परिवार के लिए 3.5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों के लिए 50,000 रुपये के मुआवजे का ऐलान भी किया गया है।

हालांकि, इस दुखद घटना ने देश भर के लोगों को झकझोर कर रख दिया है, लेकिन इस तरह की यह पहली घटना नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, पिछले पाँच सालों में 586 रेल दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें से करीब 53% दुर्घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से हुई हैं। हाल ही के वर्षों में, 20 नवंबर 2016 को उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस का पटरी से उतर जाना रेलवे के लिए सबसे भयानक दुर्घटना है। कानपुर के बाहरी इलाके में पुखरायाँ स्टेशन से छूटने के तुरंत बाद यह ट्रेन पटरी से उतर गई थी। इस रेल दुर्घटना में 150 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 150 से अधिक लोग घायल हो गए थे। यह दावा किया जाता है कि दुर्घटना रेलवे लाइन टूटने (फ्रैक्चर) और ट्रेन में अधिक भीड़ होने के कारण हुई थी। सरकार द्वारा सुरक्षा उपकरणों का नवीनीकरण करने और दुर्घटनाओं की दर को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी दुर्घटनाएं होना जारी हैं।

2017 में रेल हादसे

वर्ष 2017 में कलिंग उत्कल एक्सप्रेस के पटरी पर से उतरने सहित अब तक आठ रेल दुर्घटनाएं देखी गई हैं। 22 जनवरी 2017 को, जगदलपुर-भुवनेश्वर जा रही हिरणकंद एक्सप्रेस आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में पटरी से उतर गई, जिसमें 40 लोग मारे गए जबकि 65 लोग घायल हो गए।

17 मार्च 2017 को, कर्नाटक के चित्रादुर्गा जिले में चैलेंकरे के निकट मनचेकोटे-तालाका रोड पर, मानव रहित क्रॉसिंग पर एक एम्बुलेंस ट्रेन से टकरा गई। यद्यपि, दुर्घटना में चार महिलाएँ मारी गईं, हालांकि दुर्घटना एम्बुलेंस चालक की गलती से हुई, उसने तेजी से आ रही ट्रेन को देखने के बावजूद एम्बुलेंस को क्रॉसिंग से निकालने का प्रयास किया था।

15 जनवरी 2017 को, उत्तर प्रदेश में रामपुर के पास मेरठ-लखनऊ राज्यरानी एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हालांकि, इस दुर्घटना में 10 लोग घायल हो गए थे, लेकिन राहत की बात यह रही कि इस हादसे में किसी की भी जान नही गई। उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट, आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट द्वारा 3 मार्च 2017 को एक ट्रेन पर कम तीव्रता वाले विस्फोटक से हमला कर दिया, इस दुर्घटना में आठ लोग घायल हो गए थे।

30 मार्च 2017 को, उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के कुलपहर स्टेशन के पास महाकुंभ एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। इस दुर्घटना में करीब 52 लोग घायल हो गए थे। 9 अप्रैल 2017 को, पश्चिम बंगाल में एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई थी। हालांकि, इस दुर्घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली थी। 20 फरवरी 2017 को, कालिंदी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। कानपुर से आ रही यह ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई थी। सौभाग्य की बात यह रही कि इस दुर्घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ। 20 फरवरी 2017 को, ड्राइवर को संकेत मिलने के बाद, कानपुर से आ रही दिल्ली-बाउंड कालिंदी एक्सप्रेस की छह बोगियां मालगाड़ी से टकरा गई थीं। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली थी।

क्यों हो रही हैं इतनी सारी रेल दुर्घटनाएं?

भारत में अधिकांश रेल दुर्घटनाएं पटरियों के क्षतिग्रस्त होने और अत्यधिक भीड़ के कारण ट्रेनों के पटरियों से उतरने के कारण होती हैं। कुछ ट्रेनों के गुजरने के बाद, रेल लाइन (पटरियों) की दरारें फ्रैक्चर में बदल जाती हैं, जिसके कारण ट्रेनें पटरी से उतर जाती हैं और इससे जानमाल का भारी नुकसान होता है। हालांकि, ऐसा हो सकता है कि रेल कर्मचारियों के अधिक ध्यान देने से इन दुर्घटनाओं से बचा जा सकता था। अधिकांश रेल दुर्घटनाओं में मानव की गलतियों को जिम्मेदार पाया गया।

रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही रेल दुर्घटनाओं और मौतों का मुख्य कारण बनती हैं। कई बार, रेलवे कर्मचारी शॉर्टकट पर ध्यान नहीं देते हैं या सुरक्षा नियमों और दिशानिर्देशों का पालन नही करते है, जिसके भयंकर विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं। इसी बीच उपकरणों की विफलता, टूट-फूट, डिब्बों में अधिक भीड़, पुराने डिब्बे और कई आकस्मिक कारक इस प्रकार की रेल दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

आगे का रास्ता

उचित उपाय करके दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। रेलवे की बुनियादी सेवाओँ, सिग्नल्स (संकेतों) और पटरियों (ट्रैकों) को उन्नत करना आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही सरकार को ऐसी तकनीकों को भी रेलवे में शामिल करना चाहिए, जो रेल दुर्घटनाओं को रोकने या कम करने में मदद करें।