Home / / ओडिशा में आने वाली आपदाओं के लिए भारत की पहली स्वचालित तटीय चेतावनी

ओडिशा में आने वाली आपदाओं के लिए भारत की पहली स्वचालित तटीय चेतावनी

June 9, 2017


Rate this post

automatic-coastal-warning-hindiभारत को प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त देश के रूप में जाना जाता है, हमारे देश को प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी के लिए आवश्यक उपकरण रखने की बहुत जरूरत है ताकि प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए सम्भव उपाय किए जा सकें। हमारे देश के राज्यों में ओडिशा एक ऐसा राज्य है जो कई प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित है। ओडिशा में आने वाली आपदाओं के लिए भारत की पहली स्वचालित तटीय चेतावनी, बंगाल की खाड़ी के समुद्र तट पर स्थित होने की वजह से, ओडिशा राज्य में सूखा, बाढ़, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तूफानी लहर, सूनामी, ओलावृष्टि और अन्य आपदाओं की संभावना लगातार बनी रहती है। अच्छी खबर यह है कि बहुत जल्द ही जुलाई के बाद से,  ओडिशा देश का पहला ऐसा राज्य होगा जो प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पहली स्वचालित तटीय चेतावनी स्थापित करेगा। 480 कि.मी. लम्बे समुद्र तट पर रहने वाली ओडिशा राज्य की पूरी आबादी को सुनामी या चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की घटना की स्थिति की एक पूर्व चेतावनी प्राप्त हो जाएगी।

प्रारंभिक चेतावनी प्रसार प्रणाली (ईडब्ल्यूडीएस)

ईडब्ल्यूडीएस एक प्रारंभिक चेतावनी प्रसार प्रणाली है, इस प्रणाली के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी दे दी जाती है, राज्य सरकार अगले महीने इस प्रणाली को स्थापित करने जा रही है। जिसको 122 स्थानों स्थापित किया जायेगा खतरा होने की स्थिति में ऊँचे टावरों पर लगे सायरन बजने लगेंगे। ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में नियंत्रण कक्ष से एकल बटन दबाकर इस प्रक्रिया को संचालित किया जायेगा। यह देश की पहली स्वचालित सार्वजनिक  सूचना प्रणाली है, जो राज्य के संपूर्ण तटीय किनारों पर प्राकृतिक आपदाओं का संकेत मिलने के बाद सक्रिय हो जाएगी।

इस प्रणाली के लिये चिन्हित राज्य

आरम्भ में, छह तटीय जिलों के अंतर्गत 22 क्षेत्रों में ईडब्ल्यूडीएस के तहत टावर स्थापित करने की योजना है। पूरे राज्य के विभिन्न स्थानों पर 122 टावरों में सायरन स्थापित किए जाएंगे, जिसमें मछली कारोबार केंद्र, तटीय आवास, पर्यटन स्थल आदि शामिल हैं। 6 जिले निम्नवत है-

  • बालासोर
  • भद्रक
  • गंजम
  • जगतसिंहपुर
  • केंद्रपाड़ा
  • पुरी

परियोजना की लागत

इस परियोजना को 82 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत पर विश्व बैंक की सहायता से कार्यान्वित किया जाएगा।

ईडब्ल्यूडीएस कैसे काम करेगा?

  • ईडब्ल्यूडीएस में ऐसी कुछ डिवाइसेस (तंत्र या मशीनें) लगी हुई हैं जो डिजिटल मोबाइल रेडियो (डीएमआर) सैटेलाइट-आधारित मोबाइल डाटा वॉयस टर्मिनल (एसबीएमडीवीटी), मास मैसेजिंग सिस्टम (एमएमएस) और यूनिवर्सल कम्युनिकेशन इंटरफेस (यूसीआई) जैसी अलग-अलग डिवाइसों में लगी होती हैं जो विभिन्न टेक्नोलॉजियों के बीच संचार में मदद करती हैं।
  • जब कभी, सूनामी, चक्रवात या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा का थोड़ा सा भी संकेत मिलेगा, तो भुवनेश्वर में नियंत्रण कक्ष से एक बटन दबाते ही चेतवानी पूरे राज्य में फैल जाएगी।
  • नियंत्रण कक्ष में बटन दबाने से, जोर से एक सायरन बजने के बाद बंद हो जाएगा, इसकी आवाज़ 5 कि.मी. की त्रिज्या में सुनी जा सकती है।
  • ईडब्ल्यूडीएस द्वारा दी गयी पूर्व चेतावनी से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने में मदद मिलेगी। सरकारी एजेंसियों द्वारा शुरू किये गये राहत व बचाव कार्य से पहले ही इस बचाव कार्य की शुरूआत हो जायेगी।

 निष्कर्ष

इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं है कि आपदाओं के लिए एक स्वचालित तटीय चेतावनी ओडिशा के लोगों के लिए बहुत मददगार साबित होगी क्योंकि यह राज्य प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में है। कथित रूप से, आंध्र प्रदेश राज्य भी प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में लोगों को पूर्व चेतावनी देने के लिए ऐसी प्रणाली को विकसित कर रहा है। यदि देश के सभी राज्य ऐसे उपकरण स्थापित करते हैं और वास्तव में यह सुचारू रूप से कार्य करते हैं, तो हम निश्चिंत हो सकते हैं कि कि हमारे देश को प्राकृतिक आपदाओं से जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान नहीं होगा।