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महाराष्ट्र में खुला भारत का पहला पुस्तक ग्राम

May 12, 2017


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महाराष्ट्र के सातारा जिले में सुंदर हिल स्टेशन  महाबलेश्वर और पंचगनी के पास स्थित भीलर बहुत ही पिछड़ा हुआ गाँव है। अपनी स्ट्रॉबेरी के लिये देश भर में जाना जाने वाला यह गांव साहित्यक रूप से बहुत पिछड़ा हुआ है। हालांकि, अब यह पुस्तक प्रेमियों के लिये एक पसंदीदा गंतव्य बन जायेगा क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने इसे देश के पहले पुस्तक गाँव के रूप में विकसित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस द्वारा 4 मई को इस परियोजना का शुभारंभ करने का लक्ष्य है इस परियोजना का उद्देश्य शिक्षा की संस्कृति और पर्यटन के लिये उत्सुक लोगों को यहाँ अधिक समय बिताने के लिये प्रेरित करना है।

प्रेरणा

हे-ऑन-वाये, अपने त्यौहारों और पुस्तकालयों के लिए प्रतिष्ठित एक ड्रीमी वेल्श मार्केट शहर की कल्पना से प्रेरित यह एक विशेष परियोजना है। राज्य सरकार के दो विभाग – राज्य मराठी विकास संस्थान और मराठी भाषा- को इस परियोजना के लिये श्रेय दिया जा सकता है। 25 स्थानों को पहले से ही चुना गया है और फिर कलात्मक रूप से सजाया गया है ताकि वे नए रीडर हॉटस्पॉट बन सकें। यहाँ निम्नलिखित विषयों की पुस्तकों को प्रदर्शित किया जाएगा:

  • साहित्य
  • कविता
  • धर्म
  • महिला और बच्चे
  • इतिहास
  • वातावरण
  • लोक साहित्य
  • जीवनी
  • आत्मकथाऐं
  • विशेष त्योहार

बालासाहेब भिल्ले परियोजना के 25 मेजबानों में से एक है उन्होंने पहले से ही अपने घर के एक हिस्से को मुफ्त पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया है। उन्हें उम्मीद है कि यह कार्यक्रम युवाओं में शिक्षा संस्कृति को जन्म देगा।

एक ऐतिहासिक अवसर

देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा कि राज्य के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। उनका मानना है कि इस परियोजना ने गाँव के निवासियों में भारत के सामाजिक दृश्य में अपनी विशेष जगह बनाई है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस कार्यक्रम के परिणामस्वरूप, भीलर गाँव को अब पुस्तकों से प्यार करने वाले गाँव के रूप में जाना जायेगा। उन्होंने साहित्यिक और प्रकाशकों से अनुरोध किया है कि वे वहाँ कई उत्साही कार्यक्रमों का आयोजन करें।

परियोजना से कैसे मदद मिलेगी?

उम्मीद की जा रही है कि इस परियोजना से साहित्यिक विचारों को सामान्य रूप से संरक्षित करना और बढ़ावा देना संभव होगा। उम्मीद की जाती है कि भीलर में यह संग्रह मुख्यतः मराठी कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करेगा और इस प्रकार यह स्थानीय साहित्य में रूचि रखने वालों के लिये एक विशेष स्थान होगा। यहाँ सुंदर सहयाद्रि पहाड़ियों में रहने वाले लगभग 5000 लोग स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। यहाँ की स्ट्रॉबेरी की खेती पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है।

कुछ और जानकारी

उम्मीद की जा रही है कि लगभग 15,000 मराठी किताबें इस संग्रह का हिस्सा होंगी। राज्य सरकार ने इस संबंध में कुछ सकारात्मक कदमों के तहत कुर्सियां, सजी हुई छतरियां, मेज और शीशे की अल्मारियाँ आदि सुविधाएं उपलब्ध करवायीं हैं ताकि ग्रामीणों और आगंतुकों को एक शानदार अनुभव प्रदान किया जा सके। 27 फरवरी, 2015 को राज्य सरकार ने इस कार्यक्रम को शुरू करने के लिये अपनी इच्छा व्यक्त की थी। संयोग से, 27 फरवरी को मराठी भाषा दिवस भी मनाया जाता है। राज्य सरकार इस योजना को ग्रीष्मकाल के दौरान शुरू करने की योजना बना रही है इस समय यहाँ आसपास के स्थानों, जैसे पंचगनी में भारी मात्रा में पर्यटकों का आना जाना होता है।

 

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