Home / / भारत का पहला रेलवे विश्वविद्यालय

भारत का पहला रेलवे विश्वविद्यालय

June 21, 2017


rail-universityगुजरात के वड़ोदरा में भारत के प्रथम रेलवे विश्वविद्यालय का उद्घाटन

भारत में रेलवे की स्थापना 1853 में ब्रिटिश प्रशासन द्वारा की गई थी। देश में रेल नेटवर्क द्वारा कवर किया जाने वाला पहला क्षेत्र मुंबई और ठाणे के मध्य था। इस तरह की एक प्रमुख आधारभूत संरचना के विकास का मुख्य उद्देश्य प्रशासन के लिए सुविधा, आधुनिक डाक नेटवर्क को सक्षम करना और ब्रिटिश व्यापार की वस्तुओं के लिए परिवहन की सुविधा प्रदान करना था। इस छोटी सी शुरुआत से, भारतीय रेलवे अब 40,000 मील की दूरी तक की यात्रा को कवर करती है और प्रत्येक दिन 18 लाख लोगों द्वारा इस सेवा का उपयोग किया जाता है। भारतीय रेल नेटवर्क देश के सबसे अधिक गाँवों और ग्रामीण क्षेत्रों को देश के महानगरों और शहरों से जोड़ता है। भारतीय रेलवे 1.4 लाख लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है जिसके कारण इसे भारत का सबसे बड़ा नियोक्ता  और दुनिया में आठवाँ सबसे बड़ा नियोक्ता माना जाता है।

भारतीय रेलवे की बाधाएं क्या है?

इतनी व्यवस्थाओं के बावजूद भी भारतीय रेलवे प्रशासनिक मुद्दों, स्वच्छता और सत्कार में कमी, राजस्व हानियों जैसे कारणों से घिरा रहता है। भारतीय मंत्रालय में रेलवे संविभाग महत्वपूर्ण है और इस विशाल संगठन को संभालने वाले प्रत्येक मंत्री ने अपने तरीकों से अपनी समस्याओं को निपटाने के प्रयास किए हैं। अनुकूलतम सेवाएं प्रदान करते हुए बहीखातों को ठीक रखना हमेशा कठिन काम रहा है, जिससे मंत्रियों ने बचने का प्रयास किया है। देश की आबादी और रेलवे का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या ने जरूरी सेवाओं को प्रदान करना मुश्किल बना दिया है। रेलवे द्वारा प्रदान की गई सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए है और इस पर भी मंत्रालय हमेशा आलोचनाओं से घिरा रहा है।

2014 में, जब से एनडीए ने केंद्र में पदभार ग्रहण किया है, तब से रेल मंत्रालय के मुख्य उद्देश्यों में से एक संगठन के मुनाफे को वापस लाना है। एनडीए सरकार के शुरूआती रेलवे बजट से पहले खबरों ने सूचना दी थी कि भारतीय रेलवे प्रति माह लगभग 900 करोड़ रुपये की हानि को सहन कर रहा है। उच्च परिचालन अनुपात और स्थगित परियोजनाएं संगठन के संसाधनों को खोखला कर रही हैं।

वित्तीय संकट, सेवाएं, सुरक्षा और स्वच्छता जैसी रेलवे के सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। पिछले एक दशक से प्रमुख ऑनलाइन बुकिंग प्रणाली में परिवर्तन के अलावा, प्रौद्योगिकी प्रगति अस्तित्व में नहीं थी। अधिक भुगतान और उदासीन विक्रेताओं ने ज्यादातर शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया और उस समय जवाबदेही भी कम थी।

भारतीय रेलवे और रेलवे अधिकारियों दोनों को विकसित करने के प्रयास में, भारतीय रेलवे की सेवाओं की गुणवत्ता और मुनाफे को तथा रेलवे अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को ध्यान में लाया गया है। रेलवे के कर्मचारियों को सिखाने और विकास की जरूरतों को प्राथमिकता देने का कार्य शुरू हो गया है।

भारतीय रेलवे राष्ट्रीय अकादमी

भारतीय राष्ट्रीय रेलवे अकादमी या भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी ने अब तक भारतीय रेलवे के साथ काम करने वाले अधिकारियों और वरिष्ठ कर्मचारी वर्ग के लिए प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान के रूप में काम किया है। इस संस्थान को 1930 में रेलवे कर्मचारी वर्ग महाविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया था और यह वड़ोदरा में प्रताप विलास पैलेस की एक विशाल हवेली में स्थित है। प्रचीन और अच्छी तरह से स्थापित होने के बावजूद संस्थान के बारे में कई कमियां नियमित रूप से जानकारी में आई हैं। भारतीय रेलवे राष्ट्रीय अकादमी (एनएआईआर) केवल रेलवे कर्मचारियों के वरिष्ठ अधिकारियों और वरिष्ठ कर्मचारी वर्ग को ही प्रशिक्षित करता है। विभिन्न विभागों और कार्यों के लिए विशेष दृष्टिकोण के साथ एक पुष्टिकर अकादमी की एक अति महत्वपूर्ण आवश्यकता है। कुछ सालों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को पहला रेलवे विश्वविद्यालय देने का वादा किया है जो उच्च शिक्षा केंद्र के साथ केवल भारतीय रेलवे और उसके कर्मचारियों के प्रशिक्षण और सीखने की जरूरतों पर स्थापित किया जा रहा है। एक अलग स्थान पर एक अलग संस्थान स्थापित करने के बजाय सरकार अब एनएआईआर को ही विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने की योजना बना रही है।

भारत का पहला रेल विश्वविद्यालय

2014 में इस संस्थान के 64 वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान एनएआईआर को पूर्णकालिक विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का वादा किया गया था। 2015-16 के रेल बजट में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना प्रक्रिया की शुरुआत की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन कुछ समय तक ऐसा महसूस हुआ कि बजटीय बाधाएं इस सपने को पूरा करने में बाधाउत्पन्न कर सकती हैं। यह आशा की जाती है कि भारत में रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए राज्य के खजाने से करीब 100 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।

पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या

हाल की खबरों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी रेलवे विश्वविद्यालय के विकास में गहरी और व्यक्तिगत दिसचस्पी ले रहे हैं। उनका उद्देश्य इस अकादमी को रेलवे इंजीनियरिंग और प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तमता हासिल करने वाले एक वैश्विक केंद्र में विकसित करने की है। जिससे यह केंद्र दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित करने में सफल हो। उन्होंने विश्व-स्तरीय पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए चीन की रेल सेवाओं के अधिकारियों से भी बात-चीत कर ली है। आशा है कि यह विश्वविद्यालय एमएसी और एमबीए पर विशेष ध्यान देने वाले विभिन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश करेगा। विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए रेलवे प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर शोध करने की तकनीकों को स्थापित करने की संभावना है। विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग, परिवहन और रसद प्रबंधन, सिग्नल और दूरसंचार इंजीनियरिंग, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, ग्राहक सेवा, आईटी प्रबंधन, विक्रेता प्रबंधन और संकटकाल प्रबंधन जैसे पाठ्यक्रम शामिल होने की आशा है। अंतिम लक्ष्य भारतीय रेलवे को और अधिक पेशेवर, आधुनिक और कुशल संगठन बनाना है।

हाल की खबरों के अनुसार छह मौजूदा केन्द्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों (सीटीआईएस) को विश्वविद्यालय के रूप में शामिल किया जाएगा। समय के साथ संस्थान विकसित होता जायेगा, गुजरात में इसी तरह का दूसरा परिसर भी खोला जा सकता है। ईडीसीआईएल ने इस रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना में उचित सहायता प्रदान करने के लिए शिक्षा और परामर्श में विशेषज्ञता वाले पीएसयू को शामिल किया है।

आलोचकों में वृद्धि

कहने की जरूरत नहीं है कि मोदी के सपने में विश्वास सभी नहीं रखते हैं। लोगों द्वारा उठाई गई मुख्य आपत्तियों में से एक यह है कि इस बड़े सौदे के संगठन की स्थापना के कारण रेलवे के मुख्य परिचालनों से बहुत सारे संसाधन दूर हो जाएंगे। इस समय भारतीय रेलवे एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर अग्रसर है। पटरियों और क्रॉसिंग को सुधारने के साथ-साथ बुलेट ट्रेनों की स्थापना की जा रही है और प्रस्तावों पर डिब्बों और सुविधाओं को फिर से डिजाइन करने के लिए बहुत कुछ प्रयास किए जा रहे हैं। बड़े पैमाने पर इन सभी परिवर्तनों को जारी करने के लिए प्रयासों और बड़ी मात्रा में वित्त की आवश्यकता पड़ेगी। हालांकि, नमो प्रशासन को ऐसा लगता है कि इन सभी परिवर्तनों के कारण विश्वविद्यालय की स्थापना दीर्घकालिक और टिकाऊ होने की संभावना है। सरकार का मानना ​​है कि प्रशिक्षण और व्यक्तिगत विकास एक आधुनिक और कुशल संगठन में रेलवे के परिवर्तन की कुंजी है।

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives