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भारत की पहली अन्तर्जलीय रेल सुरंग

May 26, 2017


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भारत ने अपनी पहली अन्तर्जलीय रेलवे सुरंग के कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है जिसको जुलाई 2017 तक  पूरा होना था। हालांकि कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) के कर्मचारियों और अफ्कॉन ट्रांस्टनेलस्ट्रॉय द्वारा संभवतः असंभव कार्य संभव हो गया है। वे पूर्वी पश्चिम मेट्रो का निर्माण कर रहे थे और देश की पहली रेलवे सुरंग की बोरिंग का काम पूरा करने में सफल रहे हैं। सुरंग हुगली नदी के नीचे बनायी गयी है जो कोलकाता और उसके पास स्थित हावड़ा के बीच मेट्रो लिंक स्थापित करता है। रचना नाम की एक विशाल सुरंग-बोरिंग मशीन (टीबीएम) का प्रयोग पानी के नीचे की सुरंग को खोदने के लिए किया गया था।माना जाता है  कि नदी के नीचे सुरंग की लंबाई 502 मीटर होगी।

भारत और रूस के बीच एक संयुक्त व्यापार

भारत और रूस का संयुक्त व्यापार (जेवी) अफ्कॉन ट्रांस्टनेलस्ट्रॉय करती है। इस काम के लिए टीबीएम जर्मनी के शिवानौ में स्थित हेरेन्केनेच एजी नामक कारखाने से लाई गयी थी। अधिकारियों का कहना है कि इस योजना के तहत सुरंग का काम आगे बढ़ रहा है। पूरी परियोजना 16.6 कि.मी. की दूरी को तय करने के लिए मानी जाती है। इसे 10.8 कि.मी. की दूरी तक सतह पर बनाया जाएगा। जिसमें पानी के नीचे सुरंग की लम्बाई 502 मीटर होगी। यह परियोजना पूर्व में साल्ट लेक को पश्चिम में हावड़ा से जोड़ती है।

सुरंग की खुदाई

सुरंग की खुदाई पूरे प्रोजेक्ट का सबसे मुश्किल और महत्वपूर्ण हिस्सा है। आखिरकार इस कार्य को पूरा करने में एक महीने और छह दिन लग गए। इसका मतलब यह है कि यह कार्य कार्यक्रम के 50 दिन पहले पूरा हो गया है। अफ्कॉन ट्रांस्टनेलस्ट्रॉय ने निर्माण कार्य को पूरा किया है इसके कार्यान्वयन का केएमआरसीएल द्वारा ध्यान रखा गया। केएमआरसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक खुदाई के काम की शुरूआत 14 अप्रैल 2017 से हुई थी। एक सवाल के जवाब में आधिकारी ने कार्य के समय से पहले पूरे होने पर 250 इंजीनियरों, श्रमिकों और तकनीशियनों को श्रेय दिया है जो यह सुनिश्चित करने के लिए 24 घंटे काम करते रहे कि यह कार्य समय से पहले पूरा किया जा सके।

काम की गति

इसका मतलब है कि उन्होंने हर दिन औसतन 35 से 40 मीटर खुदाई की। यह उम्मीद है कि पूरे रास्ते में 12 स्टेशन होंगे जिनमें से छह भूमि के नीचे होंगे। जैसा कि उम्मीद की जा सकती है कि दूसरे छोर पर ट्रैक ऊँचाई पर बनाया जायेगा। यह परियोजना दिसंबर 2019 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद पूर्व-पश्चिम की लाइन का काम शुरू किया जाएगा। केएमआरसीएल के अधिकारी खुदाई के काम को समय से पहले पूरा करने में सफल रहे हैं और उम्मीद जताई है कि वे समय रहते परियोजना को भी पूरा करने में सक्षम होंगे।

कुछ महत्वपूर्ण विवरण

पूरी परियोजना में लगभग 750 मिलियन डालर की लागत लगी है। भारतीय मुद्रा में यह लागत लगभग 5000 करोड़ रुपये के आसपास आएगी। परियोजना शुरू होने के बाद से ही कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे मलिन बस्तियों का विनियोजन, मलिन बस्तियों का स्थानांतरण, और मार्ग को संरेखित करने में समस्याएं आयीं। यह प्रोजेक्ट 2012 तक पूरा किया जाना था। इसकी समय सीमा को 2015 तक बढ़ा दिया गया था और अंत में इसकी समय सीमा दिसंबर 2019 तय की गई है।