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‘स्वदेशी’ जींस के साथ बाबा रामदेव ने साबित किया स्वास्थ्य ‘जींस’ में होता है

September 16, 2016


‘स्वदेशी’ जींस के साथ बाबा रामदेव ने साबित किया स्वास्थ्य ‘जींस’ में होता है

‘स्वदेशी’ जींस के साथ बाबा रामदेव ने साबित किया स्वास्थ्य ‘जींस’ में होता है

एक पुरानी कहावत है कि “जब हवा तेज चल रही हो तो उसी के बहाव की दिशा पकड़ने से गति बढ़ जाती है” और ऐसा लगता है कि बाबा रामदेव ने इसे अपने जीवन में शामिल कर लिया है। जब से उन्होंने अपनी योग चर्चा और शिविरों के अलावा आयुर्वेदिक एफएमसीजी उत्पादों का निर्माण शुरू किया है, तब से उनकी गति तेज ही बनी हुई है। वे अब तक हर्बल चाय, गेहूं, शहद, बिस्कुट, पोषक तत्वों, टूथपेस्ट, शैम्पू के साथ ही हाल ही में नूडल्स तक लॉन्च कर चुके हैं।

बाबा रामदेव ने हाल ही में घोषणा की है कि उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड जल्द ही स्वदेशी जींस और परिधानों की शृंखला लाने वाली है। उसका ब्रांड नेम होगा- परिधान। वह स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ब्रांड्स को खुली चुनौती दे रहे हैं।

योग साधक लगातार मांग कर रहे थे कि उन्हें उपयुक्त कपड़े चाहिए, जिनमें योग करना आसान हो। इसी से बाबा रामदेव को प्रेरणा मिली और उन्होंने जींस समेत स्वदेशी कपड़ों की विस्तृत शृंखला लॉन्च करने की ठानी। जैसा उन्होंने अन्य वस्तुओं में किया, वह अब कपड़ों के बाजार में करेंगे। साफ है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खेमे में खलबली मच रही है।
जींस और अन्य वस्तुओं के साथ विदेश जाने की तैयारी

पतंजलि की विदेशी बाजारों को लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं हैं। कई आयुर्वेदिक उत्पादों को बनाने के लिए नेपाल में उसके ऑपरेशंस चल रहे हैं। इसके बाद पतंजलि की नजर बांग्लादेश के बाजार पर है।

स्वदेशी कपड़ों के बाजार के लिए पतंजलि ने बांग्लादेश को अपना सबसे बड़ा बाजार बनाने की ठानी है। कंपनी की योजना बांग्लादेश में मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट डालने की है। यदि बांग्लादेश में कंपनी स्थापित हो गई तो वह अफ्रीका, मध्य-पूर्व और सार्क देशों के बाजारों में पहुंचने का प्रयास करेगी।

बाबा रामदेव के मुताबिक, पतंजलि के उत्पादों को मॉरीशस, सऊदी अरब, कनाड़ा और अजरबाइजान जैसे देशों से बेहतरीन प्रतिसाद मिल रहा है। यदि राजनीतिक परिस्थितियां अनुमति दे तो पतंजलि के उत्पाद जल्द ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बाजारों में भी दिखाई देंगे।

पतंजलि- मार्केट में उथल-पुथल लाने वाला नया ब्रांड

कुछ साल पहले यदि पतंजलि कपड़ों की शृंखला लॉन्च करने की घोषणा करता तो उसे शायद ही कोई गंभीरता से लेता। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पतंजलि ब्रांड 5,000 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर चुका है। इसी वजह से सभी प्रतिस्पर्धियों को पतंजलि को गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है।

हर साल, पतंजलि बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इस वित्त वर्ष के अंत तक उसका कारोबार 10,000 करोड़ रुपए को पार कर जाने की उम्मीद है। इसने स्थापित एफएमसीजी कंपनियों को नींद तोड़कर जागने और पतंजलि को गंभीरता से लेने को मजबूर किया। कई कंपनियां तो कुछ साल से बढ़त हासिल करने और मार्केट हिस्सेदारी को कायम रखने के लिए ही संघर्ष कर रही थीं।
आज, पतंजलि के उत्पाद देश के 243 शहरों में उपलब्ध है। कंपनी के मालिकाना हक या प्रायोजन वाली 10,000 दुकानों के नेटवर्क के जरिए कंपनी का सामान बिक रहा है। कंपनी के पास 4,000 वितरक हैं, जिनकी अलमारियों में जरूरत के मुताबिक आपको हर सामान मिल जाएगा।

आप पतंजलि के उभार की तुलना एफएमसीजी क्षेत्र की बड़ी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) से कीजिए। एचयूएल की पेरेंट कंपनी यूनीलीवर ने 1888 में भारत में काम करना शुरू किया था। वित्त वर्ष 2015-16 में कंपनी ने 32,482.72 करोड़ रुपए की बिक्री की।

पतंजलि ने 2010-11 में व्यवसायिक स्तर पर ऑपरेशन शुरू किए। उस साल के अंत तक कंपनी का कारोबार 446 करोड़ रुपए था। कंपनी ने दस साल के भीतर 1,00,000 करोड़ रुपए के कारोबार का अति-महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है। किसी भी प्राइवेटली फंडेड कंपनी के लिए यह बहुत ज्यादा है, जो अब तक लिस्टेड भी नहीं है।

यदि यह लक्ष्य हासिल हो जाता है तो बाबा रामदेव के मुताबिक पतंजलि 50 लाख करोड़ रुपए के टर्नओवर को हासिल करने की कोशिश करेगी। इस लक्ष्य को किसी भी स्तर से अति-महत्वकांक्षी ही कहा जाएगा। लेकिन यदि कंपनी इसके आसपास भी पहुंच गई तो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में एफएमसीजी के मार्केट में व्यापक बदलाव हो चुके होंगे।
व्यापक विस्तार कार्यक्रम पर चल रहा है काम

पतंजलि ने आने वाले वर्षों के लिए फोकस एरिया की पहचान की है- आयुर्वेदिक दवाएं, जैविक खाना और उत्पाद, आयुर्वेदिक कॉस्मेटिक्स, जैविक बीज और पशु आहार, जैव-उर्वरक और कीटनाशक।

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड इस समय उत्तराखंड में हरिद्वार स्थित 150-एकड़ के औद्योगिक परिसर से संचालित हो रही है। इसे सीआईएसएफ के जवान सुरक्षा देते हैं। सीआईएसएफ एक भारतीय पैरामिलिट्री फोर्स है, जो सरकारी औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है।

कंपनी की योजना महाराष्ट्र के नागपुर में मिहान इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स में 40 लाख वर्गफीट के मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट पर 1,000 करोड़ रुपए का निवेश करने की है। इससे महाराष्ट्र के तकरीबन 10,000 से 15,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिल सकेंगे।

पतंजलि की योजना इसी आकार में पश्चिम बंगाल, असम, यूपी, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में निवेश करने की भी है, ताकि क्षेत्रीय बाजारों में तेजी से सप्लाई हो सके।
कंपनी ने आरएंडडी पर भारी-भरकम निवेश किया है। 200 क्वालिफाइड वैज्ञानिकों को नए उत्पादों को विकसित करने में शामिल किया गया है।

पतंजलि की सफलता का राज क्या है?

बाबा रामदेव को जितना श्रेय दिया जाता है, वे उससे ज्यादा मार्केट सैवी हैं। उन्हें पता है कि देश को क्या चाहिए। वे एक योग गुरु के साथ ही अध्यात्मिक गुरु के तौर पर अपनी पहचान बनाने में जुटे हैं। उन्होंने अध्यात्म और योग के मिश्रण से अपने लिए खास जगह बनाई है।

लेकिन उन्हें समर्पित दर्शक चाहिए और उनका टीवी चैनल आस्था, उन्हें सही प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है जिससे वे खुद को प्रमुख योग गुरु साबित कर सके। आज हमारे देश में कई योग गुरु हैं और उनमें बाबा रामदेव निश्चित तौर पर सबसे आगे हैं। उन्हें यह स्थान बरकरार रखने के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है।

एक बार उनकी फैन फॉलोइंग बन गई तो वे राजनीति और राजनीतिक मसलों में भी अपनी राय देने लगेंगे। जब रामदेव ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया तो यूपीए सरकार उनके पीछे पड़ गई थी। उन्होंने उस समय भाजपा को समर्थन दिया था। भाजपा सत्ता में है तो उन्होंने अपने फैन्स के जरिए इस स्थिति का मौद्रिक तौर पर फायदा उठाने की कोशिश की।

वित्त वर्ष 2010-11 और वित्त वर्ष 2013-14 के बीच उनका टर्नओवर इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड्स के मुकाबले तेजी से बढ़ा। वित्त वर्ष 2013-14 में उनका कारोबार 1,000 करोड़ रुपए को पार कर गया। लेकिन जैसे ही 2014 में एनडीए सत्ता में आई, पतंजलि का टर्नओवर काफी तेजी से बढ़ा।

वित्त वर्ष 2014-15 में पतंजलि का कोराबार दोगुना होकर 2,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2015-16 में उनका कारोबार 5,000 करोड़ रुपए रहा। इस वित्त वर्ष के अंत तक पतंजलि के 10,000 करोड़ रुपए के टर्नओवर को पार करने की उम्मीद है। इस दर से दस साल के भीतर ही कंपनी 1,00,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य को भी हासिल कर लेगी। यह एक बेहतरीन वृद्धि दर है और यह भी साबित हो गया कि राजनीतिक संपर्क भी काम आते हैं।

लेकिन मौका मिलने पर उसे दबोचना भी बहुत महत्वपूर्ण है। नूडल्स के मार्केट लीडर नेस्ले के मैगी की क्वालिटी संदेह में आई, बाबा रामदेव ने मौके को लपक लिया। उन्होंने नूडल्स बिजनेस में प्रवेश कर लिया। तब से उन्होंने अब तक नेस्ले, निसिन और आईटीसी जैसी कंपनियों के बीच अपना अच्छा-खासा हिस्सा भी हासिल कर लिया।

किसी भी एफएमसीजी उत्पाद में ब्रांड बिल्डिंग बेहद अहम भूमिका रखती है। बाबा रामदेव यह समझते हैं और वे ब्रांड बिल्डिंग में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का महत्व भी जानते हैं। उन्होंने सभी तरह के माध्यमों का बेहतरीन इस्तेमाल किया और दोहरी सफलता पाई। खुद को योग एवं अध्यात्म गुरु के तौर पर पेश किया और पतंजलि को आयुर्वेदिक और जैविक उत्पादों के चैम्पियन के तौर पर। उन्होंने हाल ही में ‘स्वदेशी’ का नारा देकर अपनी मौजूदगी को मजबूती देने की कोशिश की है।

पतंजलि विज्ञापनों के जरिए ब्रांड बिल्डिंग पर भी खूब खर्च कर रही है। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया (बार्क) के मुताबिक पतंजलि ने जनवरी 2016 में 11,897 विज्ञापन जारी किए। मार्च तक उन्हें बढ़ाकर 24,050 तक ले गए। विज्ञापनों में यह निवेश कैडबरी रेंज की चॉकलेट्स बेचने वाली मोंडलीज इंडिया जैसे एमएनसी लीडर्स से भी ज्यादा है।
पतंजलि ने ब्रांड वैल्यू बनाने के लिए विज्ञापनों पर खर्च बढ़ाने की योजना बनाई है। खासकर भारत और विदेशी बाजारों में अपने रिटेल फूटप्रिंट को कायम रखने के लिए।

लेकिन कुछ सवाल भी हैं…

राजनीतिक निकटता के साथ ही, उद्योग ओर बाजार विश्लेषक कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि सामग्री के स्रोत और क्वालिटी के बारे में जो दावे पतंजलि करती है, उस पर कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं।

एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने वॉशिंग पाउडर, हेयर ऑयल और मस्टर्ड ऑय़ल को लेकर अपने दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। अन्य प्रतिस्पर्धी भी पतंजलि की ओर से अपनाई जा रहे क्वालिटी और मैन्यूफेक्चरिंग स्टैंडर्ड्स पर चिंता जता रहे हैं।

मई 2015 में, बाबा रामदेव के छोटे भाई भारत को हरिद्वार में स्थानीय ट्रक यूनियन और कंपनी के सुरक्षा गार्ड्स को भिड़ने के लिए उकसाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इससे कंपनी की छवि को कोई फायदा नहीं हुआ।

2019 में आम चुनाव होने हैं। निश्चित तौर पर पतंजलि की विस्तार योजनाएं भी आगे बढ़ेंगी। लेकिन तब तक एमएनसी को पतंजलि को रोकने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।