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टाटा और रॉयल इनफील्ड- दो ब्रांड्स, जो भारत की ब्रांडिंग को मजबूती दे रहे हैं

July 28, 2016


टाटा और रॉयल इनफील्ड - जो भारत की ब्रांडिंग को मजबूती दे रहे हैं

टाटा और रॉयल इनफील्ड – जो भारत की ब्रांडिंग को मजबूती दे रहे हैं

भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी टाटा, भारत का सबसे मूल्यवान ब्रांड है। यह दावा 2016 ब्रांड फाइनेंस रिपोर्ट ने किया है। 1868 में जमशेदजी टाटा ने इस कंपनी की नींव रखी। 13.7 बिलियन डॉलर की अनुमानित कीमत रखने वाली इस कंपनी को भारत के शीर्ष 100 सबसे मूल्यवान ब्रांड्स की सूची में सबसे ऊपर रखा गया है। हालांकि, भले ही टाटा ने भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी के तौर पर शीर्ष स्थान पर कब्जा जमाए रखा है, एक हकीकत यह भी है कि उसकी ब्रांड वैल्यू में 11 प्रतिशत गिरावट आई है। टाटा की ब्रांड वैल्यू में गिरावट की कई वजहें हैं। एक तो स्टील इंडस्ट्री से जुडी अतिसंवेदनशीलता है। दूसरा, कंपनी को ब्रिटेन में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उसके राजस्व में गिरावट दर्ज हुई है।

टाटा का सफर

टाटा की स्थापना 1868 में हुई। बीते कुछ बरसों में कंपनी ने कई वैश्विक कंपनियों को खरीदकर अपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान कायम की है। आज, टाटा ग्रुप के पास टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस, टाटा केमिकल्स, टाटा पावर, टाटा ग्लोबल बेवरेजेज, टाटा टेलीसर्विसेस, टाइटन, टाटा कम्युनिकेशन और इंडियन होटल्स कंपनी के तौर पर एक से बढ़कर एक नगीने हैं। लेकिन बात यहां खत्म नहीं होती। यहां हम भारत के सबसे बड़े समूह की कुछ रोचक उपलब्धियों के बारे में भी बात करना चाहेंगे, जो इस प्रकार हैः

  • टाटा आज की तारीख में दुनिया की सबसे बेहतर तरीके से कनेक्टेड कंपनी है। यह कोई मजाक नहीं, बल्कि शब्दशः हकीकत है। टाटा कम्युनिकेशंस की केबल्स समुद्र के नीचे 5,00,000 किलोमीटर में फैली हैं। इसके अलावा 2,10,000 किमी केबल्स जमीन पर भी हैं। करीब 24 प्रतिशत इंटरनेट ट्रैफिक उनसे ही होकर गुजरता है। इसे इस बात से समझ सकते हैं कि भूमध्य रेखा पर पृथ्वी की परिधि 40,075 किमी है। हां, यह आंकड़े दिमाग को चकराने वाले हैं।
  • टाटा कम्युनिकेशंस दुनिया के चुनिंदा ग्लोबल टायर-1 इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स में से एक है। टायर-1 का महत्व इससे बढ़ जाता है कि टाटा की केबल्स पूरी दुनिया में बिछी हुई है। उन्हें किसी भी कंपनी को एक रुपया भी देने की जरूरत नहीं है और वह मुफ्त में ही किसी भी जगह तक पहुंच सकते हैं। इस तरह वह दुनियाभर के संचार पर अपनी पकड़ बनाकर रखे हैं।
  • क्या आप जानते हैं कि भारत की राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया की स्थापना 1932 में जेआरडी टाटा ने की थी। उस वक्त इस एयरलाइंस का नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था।
  • टाटा की पहचान उनके पूरे जीवन में ही एक परोपकारी के तौर पर रही। कंपनी ने हमेशा से सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) को गंभीरता से लिया है और समाज की व्यापक भलाई के लिए हमेशा कोशिश करते रहे हैं। टाटा को पर्यावरण संरक्षण, महिला एवं बाल विकास, युवाओं के प्रशिक्षण और स्थायी आजीविका विकसित करने, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके उल्लेखनीय काम के लिए हमेशा याद किया जाता है।
  • हाल ही में, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को टाटा कंपनियों के साथ ही टाटा ग्रुप की भारत में परोपकार में लगी संस्थाओं, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट, की ओर से 50 मिलियन डॉलर का उपहार दिया गया। 102 साल के इतिहास में स्कूल को इतना बड़ा डोनेशन इससे पहले कभी नहीं मिला था। यह डोनेशनल नई शैक्षणिक और आवासीय इमारत के लिए दिया गया है, जिसे टाटा हॉल के नाम से पहचाना जाएगा।

अपने इस तरह के कामों से टाटा ग्रुप निश्चित तौर पर दुनियाभर में भारत की सुनहरी छवि प्रस्तुत कर रहा है।

रॉयल इनफील्डः राजसी शान की सवारी

रॉयल इनफील्ड की ब्रांड वैल्यू 2015 से लेकर अब तक 91 प्रतिशत बढ़ी है। ब्रांड फाइनेंस ने उसे तेजी से उभरते ब्रांड के तौर पर पेश किया है। रॉयल इनफील्ड का भी रोचक इतिहास रहा है। यहां हम उनमें से कुछ प्रमुख तथ्यों की बात करे हैं:

  • रॉयल इनफील्ड, यह नाम इनफील्ड साइकिल कंपनी (स्थापना 1893) से निकला है। उस समय यह कंपनी साइकिल के साथ-साथ मोटर साइकिल, लॉनमूवर्स और स्थिर इंजिन बनाती थी।
  • पहली मोटर साइकिल 1901 में बनाई गई थी। इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक चली रॉयल इनफील्ड बुलेट का डिजाइन और शुरुआती उत्पादन इनफील्ड साइकिल कंपनी ने ही किया था।
  • इनफील्ड साइकिल कंपनी इससे पहले हथियार भी बनाती थी, मसलन- इनफील्ड राइफल। इसी वजह से मोटरसाइकिल और लोगो का डिजाइन उनके सूत्रवाक्य, “मेड लाइक अ गन” की झलक देते हैं।
  • रॉयल इनफील्ड भारत में 1955 में आई, वह भी इनफील्ड ऑफ इंडिया के तौर पर। उस समय कंपनी ने चेन्नई में मद्रास मोटर्स से भागीदारी की थी। बाइक्स भी जल्द ही यहां असेंबल होने लगी। 1962 तक बाइक के अन्य हिस्से भी भारत में ही बनने लगे।
  • धीरे-धीरे इनफील्ड साइकिल कंपनी ने अपने दरवाजे बंद कर दिए, लेकिन इनफील्ड ऑफ इंडिया का काम जारी रहा। वह रॉयल इनफील्ड के ब्रांड के सहारे ‘बुलेट’ का उत्पादन करती रहीं।

उन लोगों के लिए, जो जानते हैं और अपनी बाइक्स से प्यार करते हैं, रॉयल इनफील्ड (आरई) सिर्फ बाइक नहीं है। इसके साथ सबसे रंगबिरंगे इतिहास वाली एक महान विरासत भी आपके साथ चलती है।

  • प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रॉयल इनफील्ड ने अपनी छाप छोड़ी और अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। उस समय ब्रिटिश सरकार के युद्ध विभाग को मोटर साइकिल्स सप्लाई की थी। युद्ध के समय स्पेशल एडिशन निकाला गया था। एक तरफ साइड-कार जोड़ी गई थी। उस पर एक मशीन गन लगी थी। आप इस तरह की एक मोटरसाइकिल को ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में देख सकते हैं, लेकिन वह बिना मशीन गन वाली है।
  • बुलेट मॉडल का उत्पादन 1948 से हो रहा है। यह संभवतः दुनिया का सबसे ज्यादा समय तक चलने वाला मोटरसाइकिल मॉडल है।
  • भारत सरकार ने 1965 में रॉयल इनफील्ड पुलिस और सेना के लिए खरीदा था। ताकि सीमा पर चौकसी के दौरान सिपाही इसका इस्तेमाल कर सके। आज भी, भारतीय सेना में हजारों रॉयल इनफील्ड अपनी सेवाएं दे रही हैं।
  • इस समय रॉयल इनफील्ड अपनी मोटर साइकिलें दुनिया के 42 देशों को भेजती है। इसमें ब्रिटेन भी शामिल हैं, जहां इसका जन्म हुआ था।
  • रॉयल इनफील्ड ने हाल ही के वर्षों में बिक्री में कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कैलेंडर वर्ष 2015 में कंपनी ने 4.5 लाख बाइक्स बेचकर 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। इतना ही नहीं, 2014 में रॉयल इनफील्ड दुनिया की सबसे लोकप्रिय बाइक हार्ले डेविड्सन को पीछे छोड़ चुकी है।
  • इस बात में कोई संदेह नहीं है कि रॉयल इनफील्ड दुनियाभर में स्टाइल मंत्र बनती जा रही है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि हार्ले डेविड्सन के मुकाबले इसकी कीमत काफी कम है। यहां तक कि गणतंत्र दिवस परेड समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जब सैनिकों को इन गाड़ियों पर स्टंट करते देखा तो खुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने जमकर इन बाइक्स की तारीफ की थी।

जैसे-जैसे भारत विकसित देश होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, टाटा और रॉयल इनफील्ड जैसे ब्रांड्स निश्चित तौर पर उसकी ताकत बनेंगे।