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क्या ग्रामीण जीवन शहर के जीवन से बेहतर है?

August 4, 2017


Urban-Vibes-vs-Rural-Charm-hindi

भारत में एक क्षेत्र को गाँव या ग्रामीण क्षेत्र तब माना जाता है, जब जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो, इसमें नगर पालिका बोर्ड के बिना सीमांत सीमाओं को स्पष्ट किया गया हो और कामकाजी आबादी का 75% कृषि या किसी भी कुटीर उद्योग, मछली पकड़ने या मिट्टी के बर्तनों के लिए आजीविका से जुड़ा हुआ हो। भारत के 50,000 गाँवों में लगभग 72% ग्रामीण आबादी रहती है।

भारत में शहरी और नगरीय क्षेत्रों के गठन के लिए, किसी भी क्षेत्र में 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक जनसंख्या का घनत्व शामिल होता है। यह निर्मित वातावरण की बुनियादी सुविधाओं के मामले में ग्रामीण क्षेत्र से अलग है। यहाँ की 75% से अधिक आबादी गैर-कृषि गतिविधियों में निहित है। 2011 की जनगणना अधिक से अधिक लोगों को रोजगार की तलाश करने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में शहरी इलाकों में पलायन के साथ एक त्वरित शहरीकरण की योजना बना रही है।

ग्रामीण जीवन

भारत में लगभग 50,000 गाँव हैं। शहरों की भीड़-भाड़ से बहुत दूर गाँवों का अपना खुद का एक आकर्षण है। अधिकांश गाँवों का दृश्य सुंदर और वातावरण शांत रहता है। वायु प्रदूषण से मुक्त पर्यावरण शांतिपूर्ण रहता है। हालांकि, गाँव में रहना मुसीबत और समस्याओं से भरा होता है।

  • ज्यादातर गाँवों की स्थापना स्वयं गाँव वालों द्वारा की जाती है। गाँव का जीवन कठिन है और श्रम गहन है।
  • भारत में अधिकांश गाँव बहुत दूरदराज के हैं, इसलिए शाब्दिक रूप से वे गाँव अधिक दुर्गम हैं।
  • वास्तव में, गाँव का जीवन बहुत ही बुनियादी और परिस्थितियां आदिम होता हैं, गाँव में पानी या बिजली के लिए कोई आधारभूत संरचना नहीं होती है।
  • गाँवों में उचित स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं उपलब्ध नहीं होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई ग्रामीण लोग कुपोषण और टीबी जैसे रोगों से ग्रस्त रहते हैं। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, भारत में 57 लाख बच्चे कुपोषित हैं, जिनमें से ज्यादातर बच्चे गाँवों में ही रहते हैं।
  • भू-स्वाधीनता की प्रथा, जहाँ गाँव वालों की भूमि कुछ अमीर लोगों के स्वामित्व में होती है, इसलिए गाँवों में गरीबी की वृद्धि हुई है, साथ ही समृद्ध जमीनदार गरीब ग्रामीणों का शोषण करके समृद्ध हो रहे हैं।
  • जाति व्यवस्था अभी भी गाँवों में प्रचलित है, जो गरीबों की समस्याओं को बढ़ाती है।
  • गाँवों में उपलब्ध शिक्षा में बुनियादी सुविधाओं और अच्छे अध्यापकों का अभाव है, जिसके कारण इसका स्तर अच्छा नहीं है।
  • शिक्षा गरीबी को समाप्त करती है। इसके बावजूद, परिवार की जीविका चलाने के लिए अधिक से अधिक बच्चों को काम पर ले जाया जाता है।
  • विरासत के दौरान बेटों के बीच भूमि को विभाजित करने की व्यवस्था के परिणामस्वरूप भूखंडों को समय-समय पर छोटा बना दिया जाता है जब तक कि वे स्वयं का उपयोग नहीं करते।

ग्रामीण जीवन

शहरी जीवन, गाँव के जीवन की तुलना में आसान है। यहाँ की बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और स्वच्छता अच्छी तरह से सुसज्जित हैं इसलिए बढ़ते प्रदूषण के बावजूद शहर में जीवन अधिक सहज है। एक शहर के जीवन में निम्नलिखित सुविधाएं होती हैं:

  • शहरों में वे सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो कि जीवन को और अधिक आरामदायक और आसान बनाती हैं।
  • शहरों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होती है इसलिए शहरी क्षेत्रों में लोग बेहतर योग्यता प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें बेहतरीन नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में बढ़ावा मिलता है।
  • शहरी क्षेत्रों में विकास से रोजगार के अवसरों की अनुमति मिलती है और प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किए गए प्रयास से सफलता मिलती है। जबकि जमींदारों द्वारा किसानों का पूंजीकरण किया जा रहा है, शहर का जीवन प्रत्येक दिन बेहतरीन होता है।
  • यहाँ पर कोई जाति व्यवस्था या भेदभाव नहीं है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति द्वारा चुने गए क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने का एक समान मौका होता है।
  • आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंधित लोगों को नि:शुल्क उपचार प्रदान करने वाले अस्पतालों में उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।

प्रवास

2011 की जनगणना के अनुसार, शहरों में अधिकांश लोग रोजगार, शिक्षा आदि के साथ पलायन कर रहे हैं। वहीं शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी पलायन हो रहा है, लेकिन गांवों से शहर तक जाने वाले लोगों की तुलना में प्रतिशत कम है। मुंबई में 12.5 मिलियन की आबादी के साथ सबसे बड़ा पलायन हुआ है, वर्तमान में पलायन के मामले में दिल्ली (11 मिलियन) सबसे बड़ा महानगर है और कोलकाता की आबादी में 2% की वृद्धि हुई है। भारत में, आजादी के बाद शहरीकरण शुरू हुआ, लेकिन हाल ही के वर्षों में इस प्रवृत्ति में तेजी आई है। इस प्रवृत्ति के लिए शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं व रोजगार के अवसर एक बेहतर गुणवत्ता का वादा कर रहे हैं।

हालांकि, शहरीकरण की इस त्वरित गति को पूरा करने के लिए भारतीय शहर सुसज्जित नहीं हैं, इसलिए इस प्रवृत्ति में पानी की आपूर्ति, बिजली की लाइनों और सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाओं पर इसका असर है। नतीजतन, न केवल झुग्गी क्षेत्रों और असुरक्षित तथा अनाधिकृत भवनों के निर्माण में वृद्धि हुई है, बल्कि पानी और बिजली की कमी के मुद्दे भी हैं, जो जीवन के शहरी मानक में गिरावट का कारण बन रहे हैं।

उपरोक्त समस्याओं के अलावा, शहरीकरण भी अन्य तरीकों से कहर पैदा कर रहा है, जैसे कि बाज़ार में असमानता, उद्योगों के रूप में श्रम का दुरुपयोग और आखिरी लेकिन महत्वपूर्ण, एक ही शहरीकरण जो रोजगार की उपलब्धता के आधार पर शुरू हुआ, अब अत्यधिक कर्मचारियों की उपलब्धता की वजह से बेरोजगारी और प्रच्छन्न रोजगार में वृद्धि हो रही है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि गाँव कृषि आवश्यकताओं को संतुलित करके एक संतुलन प्रदान करते हैं, जल स्तर को बनाए रखने और प्रदूषण को नियंत्रित करने, शहरों का आर्थिक संतुलन और आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए एक समर्थन प्रणाली के रूप में भी काम करते हैं। इस प्रकार ग्रामीण आबादी में रहने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है, जहाँ वे ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर रहे हैं। भारत सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और सांसद आदर्श ग्राम योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से भी इसी दिशा में काम कर रही है।