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इसरो ने श्रीहरिकोटा से दक्षिण एशिया सैटेलाइट जीएसएटी-9 का किया प्रक्षेपण

May 8, 2017


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भारत ने 5 मई, 2017 को सायं 4:57 बजे प्रथम दक्षिण एशियाई सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया। ऐसी उम्मीद की जा सकती है, कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चलाये गये इस अभियान को भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया है। यह माना जा रहा है कि भारत का यह कार्य अपने पड़ोसी देशों को ‘पहली नीति’ के रूप में बढ़ावा देगा और भारत जो अर्थव्यस्था में होने वाला दिग्गज है अपने पड़ोसियों के लिए इस उपहार के माध्यम से अंतरिक्ष कूटनीति में स्वयं के लिए एक विशेष स्थान बनाता है। इस दक्षिण एशियाई सैटेलाइट को जीएसएटी-9 के नाम से भी जाना जाता है, यह प्राकृतिक संसाधनों का मानचित्रण करने, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कनेक्टिविटी, टेलीमेडिसिन और विभिन्न देशों के लोगों के बीच संबंध स्थापित करने जैसी कई सुविधायें प्रदान करती है।

यह भारत के लिये कूटनीतिक रूप से कैसे सहायक है?

ऐसी उम्मीद की जा रही है कि यह दक्षिण एशियाई सैटेलाइट भारत के अपने पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका जैसे अन्य देशों के साथ संबंधों को और मजबूत करने में सहायता प्रदान करेगी। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच न्यूनतम हद तक खराब संबंधों में सुधार आने की उम्मीद जताई जा रही है। वास्तव में, दक्षिण एशिया में पाकिस्तान अकेला ऐसा देश है जिसने इस परियोजना में भाग नहीं लिया। नरेन्द्र मोदी ने इस लांचिंग को एतिहासिक क्षण के रूप में संबोधित किया है।

कुछ तकनीकी जानकारियाँ-

जीएसएटी-9 सैटेलाइट, जीएसएलवी-एफ-09 (जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल) द्वारा ले जाया गया था और यह इसरो द्वारा विकसित किया गया था। रॉकेट में भारत में ही स्वयं बनाया गया क्रायोजेनिक ऊपरी स्तर भी है। इस सैटेलाइट को लांच करने के लिये, श्रीहरिकोटा के दूसरे लांच पैड, सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र (एसएलपी) का उपयोग किया गया। इस सैटेलाइट की लागत 235 करोड़ (भारतीय) रूपये है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस सैटेलाइट द्वारा उन देशों के बीच दूरसंचार और आपदा संबंधों में सुधार होगा जो इस कार्यक्रम से लाभान्वित होने पर सहमत हैं। इस प्रक्षेपण के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने इस सैटेलाइट के सफल परीक्षण में लगे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत की सराहना की है।

गर्व की बात-

नरेन्द्र मोदी ने वैज्ञानिकों द्वारा की गई कड़ी मेहनत से प्राप्त इन सकारात्मक परिणामों पर गर्व व्यक्त किया है। वास्तव में, इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले छह लाभार्थी राष्ट्र प्रमुखों के साथ प्रक्षेपण बहुत अधिक विशेष बन गया था। उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये इस कार्यक्रम में भाग लिया और मीडिया को भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों की सूची-

  • अशरफ गनी, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति
  • शेख हसीना, बांग्लादेश की प्रधान मंत्री
  • टीशरिंग तोबगे, भूटान के प्रधान मंत्री
  • अब्दुल्ला यामीन, मालदीव के राष्ट्रपति
  • पुष्पा कुमार दहल (प्रचंड), नेपाल के प्रधान मंत्री
  • मैथरीपाल सिरीसेना, श्रीलंका के राष्ट्रपति

वास्तव में, नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग के संबंध में, इस नये सैटेलाइट के प्रक्षेपण से पता चलता है कि आकाश को भी सीमा के रूप में नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सैटेलाइट भविष्य में इस तरह के प्रयासों के लिये एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य पर सकती है। भारतीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि यह सैटेलाइट दक्षिण एशिया की प्रगति और विकास में एक सहायक के रूप में कार्य करेगी। पहले से उल्लेख की गयी क्षमताओं के अलावा यह सैटेलाइट प्रसारण करने में भी सक्षम है।