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इसरो एक मिशन में 68 उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी में

September 3, 2016


इसरो एक मिशन में 68 उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी में

इसरो एक मिशन में 68 उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी में

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2017 की शुरुआत में एक मिशन में 68 उपग्रहों को उनकी कक्षा में पहुंचाने की तैयारी कर रहा है। इसरो की व्यवसायिक शाखा- एंट्रिक्स को कई देशों से नए ऑर्डर मिले हैं। इनमें अमेरिका की एक मौसम पूर्वानुमान उपग्रह कंपनी प्लेनेटक्यू के एक दर्जन उपग्रह शामिल हैं।

2017 की शुरुआत में एंट्रिक्स 68 उपग्रहों का प्रक्षेपण करने वाला है। यह उपग्रह नैनो प्रकृति के होंगे। इससे पहले एक मिशन में सबसे ज्यादा 20 सैटेलाइट एंट्रिक्स ने जून में प्रक्षेपित किए थे। इस दौरान उसे सभी 20 सैटेलाइट्स को उनकी कक्षा में स्थापित करने में सफलता मिली थी।

इसरो ने पिछले 15 साल में अपने भरोसेमंद वर्कहॉर्स पोलार सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के जरिए 74 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं। पीएसएलवी-सी34 का इस्तेमाल बेल्जियम, ब्रिटेन, कनाड़ा, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल और अमेरिका जैसे देशों के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में किया गया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जब इसे प्रक्षेपित किया गया तो इन उपग्रहों का कुल वजन 1,288 किलोग्राम था।

एंट्रिक्स पृथ्वी की निगरानी के लिए उपग्रह के प्रक्षेपण को भी तैयार है। एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शशिभूषण ने कहा- “हमें विदेशी ग्राहक से वजनदार अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट लॉन्च करने का ऑर्डर मिला है।” जो देश इस सैटेलाइट को लॉन्च करना चाह रहा है, उसके नाम का खुलासा अब तक नहीं किया गया है।

सैटेलाइट्स

68 सैटेलाइट्स छोटे और नैनो सैटेलाइट्स होंगे

पेलोड्स में एक्सपरिमेंट्स, इमेज कैप्चरिंग, कम्युनिकेशन सिग्नल ट्रांसमिट करने, डाटा जनरेशन, अर्थ ऑब्जर्वेशन और वेदर कंडीशंस व रिमोट सेंसिंग के उपकरण लगे होंगे।

इतने सारे सैटेलाइट लॉन्च करने के पीछे उद्देश्य है रॉकेट स्पेस का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना। इससे उस रॉकेट का पूरा-पूरा फायदा उठाया जा सकेगा।
एंट्रिक्स के अनुमान के मुताबिक, अगले एक दशक में वह 2,500 सैटेलाइट्स लॉन्च करेगा।

यह सैटेलाइट्स देशों की बढ़ती जरूरतों, जैसे- नेविगेशन, मरीटाइम, सर्विलांस आदि को पूरा करने के लिए लॉन्च किए जा रहे हैं।
एंट्रिक्स की योजना कई उद्देश्यों के लिए सैटेलाइट्स लॉन्च करने की मांग बढ़ाने की जरूरत पूरा करने की है।

इसरो सितंबर में जीएसएलवी एम-2 रॉकेट (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) को लॉन्च करने वाला है। एक बार यह ऑपरेशनल हो गया तो जीएसएलवी एम-2 रॉकेट से दो टन और उससे भी भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जा सकेगा। साथ ही वह जियो-स्टेशनरी ऑर्बिट में उन उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से 36,000 किमी की दूरी पर स्थापित किया जा सकेगा। जीएसएलवी एमके-2 में एक वेदर सैटेलाइट भी होगा, जिसे सितंबर में लॉन्च किया जाना है।

शशिभूषण ने कहा- “हम जीएसएलवी के कमर्शियल ऑपरेशन तलाश रहे हैं, जिसके लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजिन जियो-ऑर्बिट्स में और ज्यादा सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की तैयारी में हैं।”
निष्कर्ष

अपने अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई देशों को सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की जरूरत महसूस हो रही है। इसका फायदा भारत उठा सकता है। हजारों बिलियन डॉलर वाले इस लॉन्च मार्केट में भारत का दबदबा बन सकता है। रॉकेट्स और लॉन्चर्स की कमी के अलावा, भारत में कई अन्य देशों की तुलना में लॉन्च करना आसान और सस्ता भी है। यहां भारत सरकार अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए विशेष छूट जो देती है। शशिभूषण ने कहा- “एंट्रिक्स सस्ती और बिना किसी गलती की उपग्रह लॉन्च क्षमता की वजह से दुनिया का ध्यान खींच रहा है। पीएसएलवी व्यवसायिक रूप से प्रतिस्पर्धी है और यह एक कारण भी है कि कई देश और संगठन अब अपने सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में चाहते हैं।”

अमेरिका में एक तबके को इसरो के लॉन्च को लेकर शंकाएं हैं। खासकर इसे सरकारी मदद को लेकर। इस पर शशिभूषण कहते हैं- “सभी लॉन्च सब्सिडाइज्ड होते हैं। ऐसा नहीं है कि एक पर सब्सिडी मिलेगी और दूसरे पर नहीं। सरकार की ओर आरएंडडी इन्वेस्टमेंट के तौर पर सभी लॉन्च प्रोग्राम्स के लिए सब्सिडी मिलती है। अब कुछ प्राइवेट इंडस्ट्रीज भी सामने आई है और सवाल पूछ रही है। उन्हें सवाल पूछने दीजिए।”

उन्होंने दोहराया कि भारत ने दुनिया से प्रतिस्पर्धा करने की तैयारी कर ली है। हमारी सेवाएं निश्चित रूप से त्रुटिरहित होंगी।

यह भारत के लिए अच्छी खबर है कि वह मल्टीबिलियन डॉलर लॉन्च मार्केट का फायदा उठाने की क्षमता रखता है। विदेशी मुद्रा में कमाई होगी तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर ही है। ब्लूओरिजिन, फायरफ्लाई सिस्टम्स, रॉकेट लैब और स्पेसएक्स जैसी वैश्विक संस्थाओं से प्रतिस्पर्धा से इसरो को कड़ी मेहनत करनीहोगी। साथ ही किफायती दरों पर बेस्ट सर्विसेस देनी होंगी। इसरो को शुभकामनाएं!!

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