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जब हैरी मेट सेजल – हम कामना करते है वे न मिलें

August 5, 2017


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  • कलाकार – शाहरूख खान, अनुष्का शर्मा
  • निर्देशक – इम्तियाज अली
  • निर्माता – गौरी खान
  • लेखक – इम्तियाज अली
  • बैकग्राउंड स्कोर – हितेश सोनिक
  • संगीत – प्रीतम
  • छायांकन – के. यू. मोहनन
  • संपादित – आरती बजाज
  • प्रोडक्शन हाउस – रेड चिली एंटरटेनमेंट
  • अवधि – 2 घंटे 24 मिनट
  • शैली – रोमांस, कॉमेडी

फिल्म दिलवाले के बाद से करीबन 2 साल हो गए हैं। इसके अलावा पिछली बार के बाद से इस बार फिर एक मूवी रिव्यू करने के लिए मुझे अपने आप को मजबूर करना पड़ा।

फिल्म जब हैरी मेट सेजल की लोगों के बीच काफी चर्चा रही है, खासकर उन लोगों के बीच जो शाहरूख और अनुष्का के बीच की गहरी केमिस्ट्री को समझते हैं, शानदार दृश्यों को देखना पसंद करते हैं या कम से कम उन कथानकों (प्लॉट्स) को पसंद करते हैं जो शाहरूख खान की पहले की फिल्मों, रब ने बना दी जोड़ी और जब तक है जान की याद दिलाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं वे इस प्रकार का काम करते हैं कि वह आपकी उम्मीदों से अधिक हो और आपको निराश भी न होने दे।

जब हैरी मेट सेजल एक ऐसी मुसीबत है जिसे शाहरूख और अनुष्का दोनों के बिना भी बनाया जा सकता था।

इम्तियाज अली ने फिल्म जब हैरी मेट सेजल के द्वारा मुझे एक एसी वाले ठंडे और शांत सिनेमा हॉल में काफी लंबा, लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक का समय दिया वह भी सिर्फ यह जानने के लिए कि मुझे अपनी उम्मीद के मुताबिक कुछ क्यों नहीं मिलना चाहिए।

  • करीब 4 साल बाद ऐसा हुआ है कि शाहरूख खान जैसा अभिनेता (जिसको देख कर उसकी उम्र का अनुमान नहीं लगाया जा सकता और जिसमें किसी भी विजेता को पीछे करने की काबिलियत है) ने हमें एक मनोरंजन से भरी फिल्म दी है। लेकिन दिल तो पागल है से हम उम्मीद से परे यह सोच सकते हैं कि शाहरूख के पास अभी भी वह रोमांस शैली है जो उन्होंने दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे में दिखाई है और इसके जरिये अधिक पंजाबी भारतीयों की सुंदरता को यूरोप के मंचों पर एक यात्रा के दौरान लाया गया है। इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि शाहरूख की उम्र कितनी हो गई है और अखबारों में हमें उनकी उम्र क्या बताई जाती है। हम अपनी उम्मीदों को और ऊपर बढ़ाना जारी रखते हैं। सही कहा न?
  • इम्तियाज अली हमें कई फिल्मों जैसे जब वी मेट, लव आज कल और रॉकस्टार की याद दिलाते हैं लेकिन साथ में वह हमें “मिसअंडरस्टूड”, तमाशा, कॉकटेल और हाईवे जैसी फिल्मों की याद भी दिलाते हैं।
  • अनुष्का शर्मा वास्तव में बहुत प्रतिभाशाली हैं। इनको एक गुजराती अंग्रेजी लड़की- सेजल के रूप में देखना वास्तव में बहुत आकर्षित करता है। लेकिन अनुष्का शर्मा अकेले एक फिल्म के जरिये दर्शकों को रोकने में सक्षम नहीं हैं। अगर ऐसा नहीं है तो उनकी होम प्रोडक्शन फिल्म बिना चमक (सफलता) के गायब न होती।

बीती हुई बातों पर मुझे होशियारी से सोचना चाहिए। मुझे आज सुबह उठकर ज्यादा उत्साहित क्यों नहीं होना चाहिए, इन सब कारणों का पता लगाना होगा, चलो मुझे अपनी निराशाओं को दूर करने दीजिए।

प्लॉट ऐसा कभी न था

फिल्म जब हैरी मेट सेजल हैरी (शाहरूख खान) के एक यूरोपियन टूर गाइड की भूमिका के साथ शुरू होती है जो गुजरात से टहलने आये एक ग्रुप को गाइड कर रहा है। सेजल (अनुष्का शर्मा), जो इस गुजराती ग्रुप की एक सदस्य हैं, इंडिया वापस आने से इंकार कर देती हैं, क्योंकि वह अपनी मंगनी के लिए खोई हुई अंगूठी को खोजना चाहती है। वह हैरी की सहायता से अंगूठी को खोजना शुरू कर देती है और अभी हैरी और सेजल के बीच प्यार होने और मस्ती करने के लिए थोड़ा इंतजार करें क्योंकि अभी हैरी और सेजल यूरोप के खूबसूरत नजारों की यात्रा करते हैं। लेकिन कुछ अजीब दृश्यों के अलावा हम यहाँ पर किसी और चीज की बात करें तो इस इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि सेजल अपने मंगेतर को छोड़ देती है व हैरी अपने प्यार (सेजल) के लिए यूरोप को छोड़ देता है। मैं इस कथानक के बारे में क्यों और कैसे का पता लगाने की कोशिश कर रही हूँ।

अच्छा क्या है, बुरा क्या है?

चलिए अच्छी चीजों से ही शुरू करें क्योंकि इस फिल्म में अच्छाइयों की कमी है।

  • इस फिल्म के सिनेमेटोग्राफर के. यू. मोहनन ने यूरोप के कई क्षेत्रों के लुभावने दृश्यों को कैप्चर करने में बड़ी सफलता हासिल की है। जब हैरी मेट सेजल फिल्म को इन्हें ऑफर करके शायद सबसे अच्छा काम किया गया है।
  • शुरूआत की आधी फिल्म (इंटरवल ले पहले) में अनुष्का ने काफी हँसाने वाला काम किया है वरना यह फिल्म बहुत बोर करने वाली हो जाती। फर्स्ट हाफ में हमारी हीरोइन द्वारा किया गया यह शानदार प्रदर्शन सेकेंड हाफ में फिल्म को बर्बाद होने से बचा सकता है।
  • जब हैरी मेट सेजल के 17 गानों की लिस्ट का सिर्फ एक गाना, राधा (सुनिधि चौहान और शाहिद मालिया द्वारा गाया गया) ऐसा गाना है जिसे आप याद रख सकते हैं। बाकी गाने तो याद रखने लायक नहीं हैं। हम कह सकते हैं कि संगीतकार प्रीतम द्वारा अच्छी कोशिश की गई है।

चलो अब फिल्म की कमियों पर नजर डालते हैं।

  • कथानक (यह पहली ऐसी चीज है जिससे यह लग रहा है जैसे निर्देशक फिल्म बनाने के बारे में सोच रहा है।)
  • निर्देशक (ऐसा लग रहा है कि इम्तियाज अली गिनती भी नहीं कर रहे हैं और सोते हुए फिल्मों का उत्पादन कर रहे हैं।)
  • संपादक (इसका तो मन ही नहीं लग रहा है, उखड़े-उखड़े हैं।)
  • कुछ लॉजिक, हास्य और रोमांस यह सभी चीजे बस दर्शकों को लुभाने के लिए बनाई गई हैं।

हमारा फैसला

फिल्म जब हैरी मेट सेजल का टिकट बुक करवाने से पहले आपको अपने आप से कुछ सवाल पूछने चाहिए।

क्या आप शाहरूख खान के बहुत बड़े फैन हैं?

अगर आपका जवाब हाँ है तो हम सुझाव देते है कि आप इस फिल्म को न देखें क्योंकि यह आपको परेशान कर सकती है। फिल्म को देखने के बाद शर्मिंदा और असंतुष्ट होकर थियेटर से बाहर निकलने से बेहतर होगा कि आप इस फिल्म को अपनी जिंदगी में एक बंद पोटली की तरह ही रखें।

अगर आपका जवाब नहीं है तो अपने आप को बचाए, अपने पैसे बचाए और अपना समय बचाए। आपको शायद असली यूरोप की यात्रा करने के लिए पैसों की बचत शुरू कर देनी चाहिए। प्रार्थना करें कि जब आप प्राग या बुडापेस्ट में हों तो आपको शाहरूख खान न मिलें।

रेटिंग – 1 और ½*