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केरल हुआ विद्युतीकरण से परिपूर्ण!

June 1, 2017


kerala-–-the-first-fully-electrified-state-hindiग्रामीण भारत में विद्युतीकरण लगभग हर सरकार के एजेंडे के शीर्ष पर रहा है। भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद देश के विकास के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं।जिसे एक महत्व्यपूर्ण विकास के रूप में देखा जा सकता है, देश का दक्षिणी राज्य केरल पूरी तरह से विद्युतीकरण के लिये निर्धारित है। केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने सोमवार 30 मई 2017 को इस राज्य को देश का पूर्ण रूप से विद्युतीकृत राज्य घोषित कर दिया है।

एक महत्वपूर्ण विकास

केरल के विद्युत मंत्री एमएम मणि ने पुष्टि की है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना का अंतिम चरण पूरा हो चुका है और 1.5 लाख से अधिक घरों (गरीबी रेखा के नीचे वाले 1.32 लाख घर मिलाकर) को पिछले वर्ष बिजली के कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। इस अवधि में लगभग 60,000 घरों में बिजली के तारों को भी लगवा दिया गया था। इस राज्य के ज्यादातर परिवार गरीबी के कारण तारों को नहीं लगवा पाये थे। केरल राज्य के विद्युत बोर्ड, सरकारी निधियों, विधायकों या सांसदो के योगदान और निजी दाताओं के कर्मचारी संघों ने इन गरीब घरों में बिजली के तारों को पहुँचवाया और उन्हे वित्त पोषित किया। इन दोनों में लगभग 63.82 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।

सरकार ने कुछ महीने पहले कहा था कि यह दूरदराज के गाँव को विद्युतीकरण प्रदान करने की योजना में है। सरकार को वायनाड और इडुक्की के जंगलों और पहाड़ी इलाकों में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। अब जब ये बाधाएं दूर हो गई हैं, तो इसकी उपलब्धि वाम लोकतंत्रीय मोर्चा वाली सरकार की झोली में जा रही है, जो वर्तमान में अपनी पहली वर्षगाँठ मना रही है।

गाँवों के विद्युतीकरण को समझना

आइए हम यहाँ एक मिनट लेते हैं और समझते हैं कि आमतौर पर पूर्ण विद्युतीकरण का मतलब क्या है। वर्तमान में भारतीय भाषा में एक गाँव को पूर्ण रूप से तब विद्युतीकृत घोषित किया जाता है जब गाँव में रहने वाले परिवारों के एक दसवें हिस्से में बिजली के कनेक्शन हो और गाँव में कम से कम दो सार्वजनिक उपयोगिताओं वाले बिजली आपूर्ति केंद्र हों। हालांकि, केरल में यह स्थिति नहीं है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केएसईबी के पास 1.25 करोड़ बिजली के उपभोक्ता हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1046 घरों को छोड़कर राज्य के सभी घरों में अब बिजली है। यह 1046 घर गहरे वन क्षेत्र के भीतर स्थित हैं और इन भागों में रहने वाले लोगों के घरों का अधिकार सवालों में है। वन विभाग और केरल की अदालत ने इस तरह के जंगल में रहने वाले लोगों के घरों पर आपत्ति जताई है जहाँ उन लोगों ने अपने जीवन, वहाँ की वनस्पतियों और जीवों को खतरे में डाल दिया है।

विद्युतीकरण से परे दिखना

हालांकि 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की एक शानदार उपलब्धि हासिल करने के बाद भी केरल की राज्य सरकार की मनोदशा प्रसन्नता वाली नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन अब जलविद्युत परियोजनाओं से आगे निकलकर राज्य के लिए ऊर्जा के स्वच्छ नवीनीकरण स्रोतों की आवश्यकताओं पर ध्यान लगाना शुरू कर देगा। पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए इससे बड़ी खुशखबरी क्या हो सकती है। असल में, नियोजन चरण में अथिरापल्ली झरने पर बनाए जाने वाली जलविद्युत परियोजनाओं को लागू करने में सरकार विशेष रूप से उत्सुक नहीं दिखाई दे रही है। क्योंकि अथिरापल्ली क्षेत्र कई पक्षियों का घर है, उनमें से कुछ लुप्तप्राय भी हैं और सरकार को इस परियोजना के निर्माण के लिए हाल के दिनों में पर्यावरणीय कार्यकर्ताओं से बहुत विरोध का सामना करना पड़ा है।

मुख्यमंत्री द्वारा की जाने वाली यह घोषणा सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने के राष्ट्रीय एजेंडे के साथ सुव्यवस्थित रूप से भी जुड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “जब हम घरों या नए भवनों का निर्माण करने के बारे में सोचते हैं, तो हमें सौर ऊर्जा की क्षमता का उपयोग करने के बारे में सोचने की जरूरत है। सभी घरों में सौर पैनल होने चाहिए यदि कार्यालयों में सौर पैनल हैं, तो वे अपनी आवश्यकताओं के लिए बिजली का उत्पादन भी कर सकते हैं”। इसका अर्थ यह भी है कि राज्य जल्द ही बिजली की कमी से मुक्त हो जायेगा।