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ऋण माफी किसानों को कितना करेगी प्रभावित

June 15, 2017


loan-waiver-impact-on-farmers-hindi11 जून 2017 को, महाराष्ट्र राज्य सरकार ने किसानों के लिए ऋण माफी की घोषणा कर दी। किसानों के 10 दिवसीय विरोध के जवाब में राज्य सरकार ने यह शानदार घोषणा की, देश में अमन-चैन वापस लाने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। हालांकि, अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह नियम कैसे लागू किया जाएगा। इसी तरह, अप्रैल 2017 में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली यूपी सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद, घोषणा कर दी थी कि 31 मार्च 2016 तक के किसानों के बकाया ऋण को माफ करेगी। हाल ही में, तमिलनाडु के किसान इसका विरोध करने के लिए दिल्ली आये, इस बीच आरबीआई गवर्नर ने ऋण छूट के खिलाफ चेतावनी दी है। इन सभी ने एक बार फिर से कृषि ऋण छूट को नापसंद किया है।

कृषि ऋण पर छूट का एक संक्षिप्त विचार

इसमें किसानों द्वारा कृषि उपकरण खरीदने के लिए निवेश या फसली ऋण शामिल हैं। जब फसलें अच्छी होती है, तो किसानों और बैंको दोनों को अच्छा लाभ मिलता है। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं या खराब मानसून के कारण, किसानों को ऋण चुकाने में दिक्कतें आ जातीं हैं। ऐसी परिस्थितियों में, राज्य या केंद्र सरकार को ऋण पर छूट या ऋण माफी के रूप में राहत की पेशकश करनी पड़ती है। इसलिए सरकार किसानों की आर्थिक जिम्मेदारी लेती है और बैंकों को ऋण की रकम चुकाती है।

आमतौर पर छूट चयनात्मक होती हैं

सभी प्रकार के कृषि ऋण को छूट नहीं दी जाती है। उदाहरण के लिए-

  • 2008 में, 2 हेक्टेयर से कम भूमि स्वामित्व वाले किसानों के लिए फसली ऋण और निवेश ऋण पर छूट दी गई थी। इन्हें लघु और सीमांत किसानों के रूप में संदर्भित किया जाता है, अन्य किसानों के लिए, ऋण पर छूट केवल 25% थी।
  • हाल ही में, सरकार ने घोषणा की, कि यूपी के लघु और सीमांत किसान जिन्होंने 31 मार्च 2016 तक ऋण की जमा – निकासी नहीं की है, उनका 1 लाख रुपये तक का ऋण माफ हो जाएगा।
  • यहाँ तक कि महाराष्ट्र में, यह छूट एक चयनात्मक होगी, हालांकि अभी तक कुछ भी औपचारिक रूप से घोषित नहीं किया गया है।
  • दूसरी ओर, तमिलनाडु में किसानों के लिए, मद्रास उच्च न्यायालय ने राज्य के सभी किसानों को छूट देने का निर्देश दिया है।

किसानों पर ऋण माफी का प्रभाव

भारत में कृषि प्राथमिक व्यवसाय है। देश की 50% से अधिक आबादी कृषि में लगी हुई है। लेकिन इस क्षेत्र में कई समस्या ग्रस्त मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि –

  • भू-सम्पत्ति का विभाजन
  • जल स्तर का कमजोर होना
  • मिट्टी की खराब गुणवत्ता
  • लागत निवेश में वृद्धि
  • कम उत्पादकता
  • मानसून की अनियमितताएँ और उतार-चढ़ाव

इन सभी समस्याओं के साथ, फसलों की कीमतें अत्यधिक लाभदायक नहीं हो सकती हैं। किसान अक्सर व्यय की कमी के कारण, ऋण लेने के लिए मजबूर होते हैं। जबकि बड़े किसान बैंक ऋणों का विकल्प चुन सकते हैं, बड़ी संख्या में छोटे किसान, बैंक ऋण के लिए पात्र नहीं होते हैं और इसलिए उन्हें निजी स्रोतों से अत्यधिक उच्च ब्याज दरों पर किसी साहूकार से उधार लेना पड़ता हैं। कृषि संबंधी समस्याओं के साथ, अनियमित मानसून और फसल विफलताओं के साथ, किसानों के कर्ज बढ़ते रहते हैं। देश में ऋण ग्रस्त किसानों के बीच आत्महत्या की दरों में वृद्धि के लिए यह एक प्रमुख कारण है ऐसी स्थिति में ऋण माफी का विकल्प अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

ऋण माफी की सबसे बड़ी कमी

हालांकि, ऋण माफी की कुछ कमियाँ भी हैं –

  • यहाँ तक कि वे किसान जो ऋण चुकाने का खर्च वहन कर सकते हैं ऋण माफी की उम्मीद में, उन्होंने भी अपना ऋण नही चुकाया है। भविष्य में, क्रेडिट व्यवस्था की अवधारणा को निम्न तालिका में रखा जाएगा और कई बैंक किसानों को उधार देने के लिए अनिच्छुक होंगे।
  • ऋण माफी सरकार की वित्तीय प्रणाली को अव्यवस्थित कर सकती है।
  • करदाताओं के लिए भी ऋण छूट महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, इंटरनेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस के अनुसार, 2008 में ऋण माफी पर 525 अरब रुपये खर्च किए गए थे।
  • ऋण माफी भी चुनावी जीत के लिए एक रणनीति बन गई है, जिसमें राजनीतिक दलों और बड़े किसानों को फायदा होता है जबकि छोटे और सीमांत किसानों के हालात स्थिर रहते हैं।
  • इसके अलावा, चयनात्नक ऋण माफी को भी ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है। किसान अभी भी ऋण माफी के लिए पात्र किसानों के चयन के लिए मापदंड पर यूपी सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं।

प्रभावी उपाय

इसमें कोई शक नहीं है कि ऋण माफी से किसानों को काफी राहत मिली है, लेकिन इस तरह की माफी की  दीर्घकालिक अवधि को अभी तक प्रभावी नहीं किया गया है। हालांकि, कर्ज माफी से किसानों को अस्थायी राहत मिल सकती है, फिर भी कृषि को स्थायी बनाने के लिए एक दीर्घकालिक प्रभावी उपाय की आवश्यकता है। राज्य सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों और अन्य स्वैच्छिक व्यक्तियों, संगठनों द्वारा अपनाये जाने वाले कुछ उपाय हैं –

  • अक्षमता कम करके।
  • लागत कम करके।
  • आय में वृद्धि।
  • बीमा योजनाओं के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करना।