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बाबुलनाथ मंदिर, मुंबई

May 26, 2017


यदि आप एक व्यस्त शहरी जीवन जी रहे हैं तो धार्मिक स्थानों पर भ्रमण करने से आपके मन को शांति मिल सकती है। मुंबई के व्यस्त शहर में बाबुलनाथ मंदिर स्थित है जो भगवान बाबुलनाथ (भगवान शिव) को समर्पित है। मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी गई अद्भभुत आन्तरिक संरचना को देखकर, ऐसा लगता है जैसे कैलाश पर्वत पर स्थित मंदिर वहीं पर मौजूद है। बाबुलनाथ मंदिर की संपूर्ण छत और खंभे हिंदु पौराणिक कथाओं के सुंदर चित्रों से सुशोभित हैं। मंदिर का निर्माण सन् 1780 ई0 में हुआ था। यह मंदिर पूरे सप्ताह सुबह 5 बजे से सुबह 10 बजे तक खुला रहता है। सिर्फ सोमवार को सुबह 4:30 बजे से सुबह 11:30 बजे तक खुलाता है।

बाबुलनाथ मंदिर का इतिहास

हिंदू राजा भीमदेव ने 12 वीं शताब्दी में पवित्र शिवलिंग और मूर्तियों को बाबुलनाथ मंदिर के अन्दर स्थापित करवाया। यह मंदिर एक अवधि के अन्तराल के बाद भूमि के अन्दर समाहित हो गया। आधुनिक समय में मंदिर को फिर से खोजा गया और जब मूल मूर्तियों को खोदकर बाहर निकाल रहे थे तो पाँचवी मूर्ति पानी में डूब कर टूट गई थी। आज मूलतः भगवान शिव, पार्वती, गणेश और हनुमान जी की चार मूर्तियाँ मंदिर में स्थापित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जहाँ पर मालाबार पहाड़ी स्थित है वहाँ पर आज से लगभग 300 साल पहले एक बड़ा चरागाह था। उस क्षेत्र की अधिकांश जमीन एक समृद्ध सुनार  पांडुरंग के पास थी। पांडुरंग के पास अनेक गायें थीं, जिनकी देखभाल बाबुल नामक एक चारवाहा करता था, झुंड में कपिला नाम की एक गाय थी। हरी घास अधिक खाने के कारण वह गाय अन्य गायों की अपेक्षा अधिक दूध देती थी। एक शाम को, पांडुरंग ने देखा कि कपिला गाय ने दूध का एक भी बूँद नहीं दिया है। उसने अपने चरवाहे बाबुल से पूछा कि कपिला गाय ने दूध क्यों नहीं दिया? उसका जवाब सुनकर पांडुरंग चौंक गया। बाबुल ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जो कपिला ने दूध नहीं दिया है, बल्कि यह एक दैनिक प्रक्रिया है। उसके अनुसार कपिला गाय अपना पूरा दूध मैदान में एक विशेष स्थान पर डालती है। अगले दिन पांडुरंग सच्चाई जानने के लिए स्वयं वहाँ गया और सच देखकर आश्चर्यचकित हो गया। उसने अपने सैनिकों से उस जगह को खोदने के लिए कहा, खुदाई के बाद वहाँ एक स्वयंभू शिवलिंग निकला अर्थात काले पत्थर से निर्मित एक आत्म-अस्तित्व वाली शिवलिंग प्राप्त हुई, उस स्थान पर अब बाबुलनाथ मंदिर है जहाँ बाबुलनाथ की पूजा की जाती है।

स्थानः बाबुलनाथ मंदिर, गिरगांव/गिरग्राम चौपाटी के नजदीक, मरीन ड्राइव के अंत में स्थित है। चर्नी स्टेशन (पश्चिम) सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जहाँ से आप मंदिर तक पहुँचने के लिए टैक्सी ले सकते हैं। मंदिर बहुत अनोखा और आकर्षक माना जाता है। यहाँ पर भक्तजन सुंदर परिवेश और स्वच्छ वातावरण का आनंद लेते हैं। सुबह सुबह बाबुलनाथ मंदिर आने से मन को शांति मिलती है।

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