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मध्य प्रदेश जनवरी से दिसंबर तक चलायेगा वित्तीय चक्र

May 4, 2017


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पिछले महीने के अंत में, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया था कि उनकी सरकार वार्षिक वित्तीय चक्र अप्रैल-मार्च का पालन करने के लिये औपनिवेशिक विरासत को दूर करने पर विचार करेगी। इस प्रकार के कदम से बजट और टैक्स से संबंधित पूरी प्रणाली को एक नया आयाम मिल सकता है। केंद्र सरकार द्वारा इस बदलाव के परिणामों का अध्ययन करने तथा इस पर अपने सुझाव केंद्रीय मंत्रिमंडल को सौपने से पहले ही, मध्य प्रदेश सरकार ने जनवरी से दिसम्बर तक के कैलेंडर वर्ष के साथ-साथ राज्य के बजट चक्र को अपनाने का फैसला लिया है।

मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री ने कहा, ”राज्य मंत्रिमंडल ने अपनी बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज वित्तीय वर्ष को जनवरी-दिसंबर में बदलने का फैसला किया है। इसलिए, अब अगले वित्त वर्ष का बजट सत्र दिसंबर 2017 या जनवरी 2018 में आयोजित किया जायेगा”।

राज्य सरकार ने अपने विभिन्न विभागों को इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिये प्रत्येक तीन माह में अपनी वित्तीय रिर्पोट सौंपने और एक आधारभूत ढाँचा तैयार करने के निर्देश दिये हैं। राज्य सरकार दिसंबर तक चालू वित्तीय वर्ष की गतिविधियों का निष्कर्ष निकालने के बाद अपने विचार प्रस्तुत करेगी।

कृषि चक्र की सुविधा

ऐसा माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष के जनवरी-दिसंबर के पक्ष में जाने से कृषि को वित्तीय वर्ष का अधिक समय मिल सकेगा। भारत की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर करती है इसलिये वित्तीय वर्ष का यह चक्र राज्य में फसल उत्पादन और उपज के आधार पर चलाई गई योजनाओं को काफी हद तक सहायता प्रदान कर सकता है। इसके अलावा यह राज्य में होने वाली सभी निर्माण गतिविधियों को राज्य के राजकोष द्वारा मानसून की शुरूआत से पहले ही शुरू करने में भी सहायता प्रदान करेगा। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष के चक्र को बदलने के पक्ष में है। हालांकि, आलोचकों ने दावा किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की कृषि से निर्भरता कम हो रही है जो कि सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 17% के बराबर है। सभी कानूनों में संशोधन करने और राजकोषीय चक्र में राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव करने में बहुत अधिक लागत आने की संभावना है।

अनुत्तरित प्रश्न

मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले को राज्य मंत्रीमंडल ने मंजूरी दे दी है, फिर भी यहाँ पर कुछ अनुत्तरित सवाल हैं-

  • क्या मध्य प्रदेश सरकार दूसरे राज्यों के साथ जो अभी भी अप्रैल-मार्च वित्त वर्ष का पालन करते हैं, उनके साथ व्यापार और आर्थिक सहयोग की बात पर एक व्यापक भ्रम उत्पन्न कर रही है?
  • भारतीय नागरिकों और व्यवसायों द्वारा अभी भी टैक्स जमा करने के लिए अप्रैल-मार्च वित्त वर्ष का पालन किया जाता है। क्या एक राज्य द्वारा अचानक किया गया यह फैसला लोगों के लिये भ्रामक और दुःखदायी नहीं होगा?
  • क्या अन्य राज्य अपने बजट चक्र को जनवरी- दिसंबर में लागू करेंगे?
  • क्या भाजपा की अगुवाई वाली राज्य सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम केंद्र सरकार के आगामी कदम का संकेत है? नरेन्द्र मोदी सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी की शुरूआत के साथ अपनी साहसिक क्षमता का सबूत दे दिया है। क्या यह एक अगला बदलाव है?

वैश्विक अर्थव्यवस्था से तालमेल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक को सम्बोधित करते हुए, वैश्विक आर्थिक संरचना को बनाये रखने के लिये वित्तीय और लेखा वर्ष में बदलाव करने के बारे में सुझाव दिया था। केन्द्र सरकार ने इस तरह के बदलाव की “वांछनीयता और व्यवहार्यता” पर विचार करने के लिये प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री शंकर आचार्य की अध्यक्षता वाले एक दल का गठन किया था। इस दल ने अपनी रिर्पोट कैबिनेट को सौंप दी है।
भारत ने स्वयं को ब्रिटिश प्रणाली के लेखांकन के साथ समानता प्रदान करने के लिये, लगभग 150 साल पहले 1867 में, अप्रैल-मार्च वित्त वर्ष चक्र को अपनाया था। भारत की आजादी के बाद ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि जब भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ब्रिटिश परंपरा में काम कर रही है। 1924 में, लंदन में दोपहर के समय बनाया गया भारत का केन्द्रीय बजट, शाम 5 बजे प्रस्तुत किया गया। 2001 में, अटल बिहारी वाजपेई की अगुवाई में, बजट प्रस्तुतिकरण के समय को बदल कर दोपहर 11 बजे कर दिया गया।

इसी साल, बजट प्रस्तुतिकरण की तिथि को फरवरी अंत से बदलकर 1 फरवरी कर दिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार वित्तीय चक्र में बदलाव के लिये राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को देख रही है।