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महाराष्ट्र के शहरों में ऑटो और टैक्सियों का परमिट राज समाप्त

June 22, 2017


maharashtra-to-end-permit-raj-for-autos-and-taxis-in-cities-hindiहाल ही में 17 जून 2017 को एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के विभिन्न शहरों में ऑटो रिक्शा और टैक्सी वालों के लिये परमिट की आवश्यकता को समाप्त करने का आदेश दिया। राज्य सरकार ने उस आदेश को समाप्त कर दिया, जिन्होनें सड़कों पर चलने वाले वाहनों की संख्या पर सीमा तय की गयी थी। इसमें मुंबई, पुणे, ठाणे, नासिक, नागपुर, औरंगाबाद और सोलापुर शहर शामिल हैं। महाराष्ट्र में स्थानीय आटो वाले और टैक्सी चालकों के बीच ‘परमिट राज’ या ‘लाइसेंस राज’ की लोकप्रियता है।

“परमिट राज” तन्त्र की कमियाँ

तन्त्र परमिट की आवश्यकता के लिये 1997 से कार्यवाही कर रहा था। यह परिवहन वाहन के मालिक, खासकर एक टैक्सी या एक ऑटो के लिए परमिट प्राप्त करना अनिवार्य था। यहाँ 60,000 से अधिक मृत परमिट थे यह सम्पूर्ण राज्य के बाजार के विकास को प्रभावित कर रहे थे। इसमें चालकों को परमिट की उच्च लागत वसूलने के लिए मजबूर किया जाता था।

“सोसाइटी ऑफ इंडियन मैनक्सेसर्स परफॉर्मेंस ऑफ ऑटो इंडस्ट्री” 2016-17 की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-मार्च 2017 में तीन पहिया वाहनों की बिक्री में 4.93% की कमी आई जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में यात्रियों की वृद्धि 8.83% कम हो गई।

बजाज ऑटो लिमिटेड, सीवी बिजनेस के अध्यक्ष आर सी माहेश्वरी का विचार था कि यह परमिट तन्त्र (सिस्टम) में व्याप्त भ्रष्टाचार के मूल कारणों में से एक थे। इन परमिटों की लागत लगभग 18,000 रूपये के आस-पास थी और प्रत्येक परमिट पुणे और महाराष्ट्र के अन्य शहरों में 1 लाख रुपये की उच्च दर पर बेचे जा रहे थे। दिल्ली में प्रत्येक परमिट को 5 लाख रुपये में बेचा गया था। यह परमिट 5 वर्षों की अवधि के लिए दिया गया था और इसमें वास्तविक वाहन मूल्य को शामिल नहीं किया गया था। परमिट की उच्च लागत को वसूलने का दबाव ड्राइवरों पर होता था, जो अप्रत्यक्ष रूप से ग्राहकों को दी गई सेवा को प्रभावित करता था।

राज्य में नये परमिट जारी किए जाने वाले थे लेकिन इस प्रक्रिया में देरी हो गयी। आखिरकार केन्द्र सरकार के नए केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, सरकार ने महाराष्ट्र के शहरों में ऑटो और टैक्सी वालों के लिए परमिट जारी करने की पूरी व्यवस्था में संशोधन कर तन्त्र की समस्या को समाप्त कर दिया है।

लाभ

अब परमिट बाजार में बाधा नहीं डालेगें। तन्त्र से इसकी समाप्ति रोजगार के अवसरों को उपलब्ध कराने में मदद करेगी। ऑटो रिक्शा की बिक्री सीधे प्रत्येक राज्य द्वारा जारी किए गए परमिट की संख्या से संबंधित थी। परमिट तन्त्र के समाप्त के साथ, ऑटो रिक्शा की माँग अधिक बढ़ जाएगी। इससे अप्रत्यक्ष रूप से पेट्रोलियम विभाग को मदद मिलेगी क्योंकि देश के तीन पहिया वाहन, खासतौर पर बजाज ऑटो का पेट्रोल खंड में 96% की हिस्सेदारी है।

सारांश

गुजरात सरकार ने पहले ही परमिट राज को समाप्त कर दिया है और महाराष्ट्र सरकार ने अभी परमिट राज को समाप्त करने की घोषणा की है। यह अन्य राज्य की सरकारों द्वारा इस प्रस्ताव का अनुसरण करने का समय है। महाराष्ट्र में घोषणा के तुरंत बाद, सोमवार 19 जून 2017 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बजाज ऑटो स्टॉक 0.039% चढ़कर 2,820 पर बंद हुआ।