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बिहार में विवाह के लिये अपहरण

June 7, 2017


marriage-by-abduction-in-bihar-hindiटेक 1: एक 19 वर्षीय लड़की जूली, जो सुंदर सी दुल्हन की पोशाक पहनकर अपने दूल्हे का इंतजार कर रही है। एक 22 वर्षीय युवक, अभिनय कुमार दूल्हे की पोशाक में आता है और फिर वे एक-दूसरे से जयमाल का आदान-प्रदान करते हैं। वह जूली के साथ वैवाहिक गाँठ में बँध जाता है। विवाह मंत्र पूरे हो गए हैं अब वे एक विवाहित जोड़ी हैं।

टेक 2: विवाह स्थल पर पुलिस आती है। पुलिस दूल्हे की खोज कर रही है। वास्तव में दूल्हे अभिनय कुमार का जूली के परिवार वालों ने अपहरण कर लिया था और उन्होंने बंदूक की नोक पर उसको विवाह करने के लिए मजबूर किया था। अभिनय के माता-पिता अब भी उसे इस जबरदस्ती के विवाह से बचाना चाहते हैं। लेकिन, पुलिस अब कुछ नहीं कर सकती है। जूली और अभिनय अब कानूनी रूप से शादीशुदा हैं। हालांकि, पुलिस अधिक संख्या में दोबारा आती है, लड़की के घर में घुसकर उपद्रव मचाती है, रिश्तेदारों और दोस्तों को घायल कर देती है, अभिनय कुमार के पास जूली को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने के आलवा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

क्या यह सीधे एक हिंदी फिल्म नहीं है? लेकिन यह एक फिल्म का दृश्य नहीं है। यह वास्तविकता है। यह वास्तव में 25 मई 2017 को बिहार राज्य के एक छोटे से कस्बे मुजफ्फरपुर में हुआ था।

बिहार में अपहरण करके विवाह करने के मामलों में बढ़ोतरी

बिहार राज्य में हर साल लगभग 3000 जोड़ों में दूल्हे का अपहरण करके उसे विवाह के लिये मजबूर किया जाता है। 2016 में 3075 दूल्हों का अपहरण किया गया था। 2015 में 3001 और 2014 में 2533 दूल्हों का अपहरण किया गया  और दुल्हन के परिवारी जनों द्वारा दूल्हे को बंदूक की नोक पर विवाह के लिए मजबूर किया गया था। बिहार में औसतन प्रतिदिन ऐसे 9 विवाह होते हैं। वास्तव में, बिहार में अपहरण करके विवाह करना एक स्वीकार्य प्रवृत्ति बन गयी है। इस तरह के विवाह को पकड़वा विवाह के रूप में जाना जाता है। यह प्रवृत्ति 2017 में भी चल रही है हाल ही में जूली और अभिनय का विवाह भी पकड़वा विवाह ही है। मार्च 2017 तक अपहरण के 800 से अधिक मामले पुलिस में पंजीकृत किये गये थे, इनमें से केवल 8 मामलों में फिरौती के लिये अपहरण किया गया था। शेष मामलों में विवाह के लिए अपहरण किया गया था। राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय आधिकारिक आंकड़ों का लगभग 17% हिस्सा अकेले बिहार राज्य का है। विवाह के लिए अपहरण किए गए सभी लड़के 17 से 30 साल की आयु के करीब हैं। इसलिए यह एक सच है कि बिहार में अपहरण के द्वारा विवाह में बढ़ोतरी हुई है। पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद, बिहार में यह एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति बन गई है क्योंकि इनमें से अधिकांश विवाह लंबे समय तक टिके रहते हैं।

कुछ और मामले

  • मार्च 2017 में, 12 वीं क्लास के 17 वर्षीय एक छात्र का अपहरण कर लिया गया था और जबरदस्ती उसका विवाह पटना की एक 15 वर्षीय लड़की से करवाया गया। वहाँ पर दो बाइक पर चार लोग सवार होकर आये और उसको बेहोश करके ले गए थे। जब तक उसको होश आया, उसका विवाह हो चुका था और वह विवाह के पोशाक में था।
  • कभी-कभी लड़की के परिवार के लोग विवाह के लिये अपहरण करवाने हेतु पेशेवर अपहरणकर्ताओं को किराये पर लेते हैं।
  • मई 2009 में, गया के 16 वर्षीय लालबाबू को विवाह के लिए पेशेवर अपहरणकर्ताओं द्वारा अपहृत किया गया। उस समय दूल्हे के दोस्तों को भयभीत करके भगाने के लिये आग लगा दी गयी थी। लालबाबू के दोस्तों में से एक प्रवीण को बंदूक की गोली लग गई जिससे उसकी मृत्यु हो गई। लालबाबू को जिनाबाद जिले के मंदिर में ले जाकर, 13 वर्षीय बबिता के साथ बंदूक की नोक पर विवाह करने के लिए मजबूर किया गया था।
  • एक बार, बिहार केडर के आईपीएस अधिकारी के अंगरक्षक का अपहरण कर लिया गया था जब वह जमालपुर में तैनात था।
  • एक और मामला था जहाँ एक ही परिवार के तीन भाइयों का अपहरण कर लिया गया था और बंदूक की नोक पर विवाह के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि, अब तीनों भाई खुशी से अपनी पत्नियों के साथ विवाहित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

विवाह के लिए अपहरण का कारण : दहेज

बिहार में शादी के लिए दूल्हे के अपहरण की बढ़ती प्रवृत्ति का एक सीधा कारण यह है कि राज्य में दहेज की मांगों में वृद्धि हो रही है। यह एक ज्ञात तथ्य है कि बिहार पारंपरिक रूप से पितृसत्तात्मक समाज है और योग्य लड़कों के माता-पिता के लिए दहेज पैसा कमाने का एक व्यवसाय बन गया है। परिणामस्वरूप, अधिकांश लड़कियाँ अविवाहित रह जाती हैं क्योंकि उनके माता-पिता ऐसे दूल्हे की माँगों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। अनेक मामलों में, जब लड़की के परिवार वाले अपनी बेटियों का विवाह करने में दहेज का प्रबंध नहीं कर पाते तो, अपनी बेटियों के लिये एक योग्य वर चुनने में अपहरण जैसे अवैध तरीके अपनाते हैं।

निष्कर्ष

वास्तव में विवाह के लिए अपहरण की प्रथा अवैध है, लेकिन अभी तक इसके लिए कोई भी कानून लागू नहीं किया गया है। हालांकि यह एक क्रूर प्रथा है, फिर भी अंत में इसे व्यावहारिक माना जाता है। इन मामलों का एक कारण यह भी है कि ज्यादातर मामलों में, दुल्हन और दूल्हे के परिवारों के बीच सुलह हो जाती है। बाद में दोनों पति और पत्नी हमेशा खुश रहते हैं।