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मैकडोनाल्ड्स के 41 आउटलेट्स बंद

July 3, 2017


McD-outlet-closed-hindiवैश्विक फास्ट फूड श्रंख्ला मैकडोनाल्ड्स को एक बड़ा झटका लगा, जब गुरुवार 29 जून 2017 को दिल्ली में उनके 55 में से 41 रेस्तरां लाइसेंस नवीनीकरण न होने के कारण रद्द कर दिये गये।

कनॉट प्लाजा रेस्टोरेंट प्राइवेट लिमिटेड (सीपीआरएल, सीपीआरएल के भूतपूर्व प्रबंध निदेशक विक्रम बख्शी और मैकडॉनल्ड्स इंडिया के बीच का स्थानीय संयुक्त व्यापार), मैकडोनाल्ड्स के उत्तर और पूर्व भारत के लाइसेंसधारी, आवश्यक नवीनीकरण लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप 41 आउटलेट बंद किए गए थे। सीआरपीएल पर 165 से अधिक मैकडोनाल्ड्स रेस्तरां के संचालन की जिम्मेदारी है।

रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि बंद किए गए आउटलेट्स में कार्यरत 1700 कर्मचारी अपनी नौकरी खो देंगे।

मैकडोनाल्ड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एमआईपीएल) के प्रवक्ता बैरी सम ने कहा कि कर्मचारियों को बेरोजगार बनाने वाली बात गलत है।

यह आउटलेट्स अस्थायी रूप से बंद हुए हैं, आउटलेट्स के कर्मचारियों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि रेस्तरां को पहले की तरह फिर से बनाया जाएगा और इस अवधि के (रेस्तरां की बंदी) दौरान कार्यरत कर्मचारियों को उचित वेतन का भुगतान किया जाएगा।

सीआरपीएल बोर्ड के सदस्य बख्शी ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया है और कहा है कि “यह अस्थायी रूप से बंद हुआ है, इन रेस्तरां में काम कर रहे सभी कर्मचारियों को काम पर रखा जाएगा।”

मैकडोनाल्ड्स के आउटलेट्स के बंद होने के पीछे, सीआरपीएल के संयुक्त उद्यम भागीदार विक्रम बख्शी और भारत के मैकडोनाल्ड्स के बीच कानूनी लड़ाई का नतीजा हो सकता है, क्योंकि दिल्ली के आउटलेट के लिए स्वास्थ्य की अनुमतियां नवीनीकृत नहीं हुईं थी। जबकि मैकडोनाल्ड्स ने 2013 में पुनः चुनाव में सीपीआरएल के प्रबंध निदेशक बख्शी के खिलाफ वोट किया था। बख्शी ने कंपनी लॉ बोर्ड (सीएलबी) द्वारा उनको हटाने पर चुनैती दी, जिसमें उन्होनें मैकडोनाल्ड्स पर कुप्रबंधन और उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। तब से मैकडोनाल्ड्स ने संयुक्त उद्यम समझौते को रद्द कर दिया था और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता वाले लंदन न्यायालय में बक्शी के खिलाफ आर्बिटरेशन लागू किया था।

हालांकि, मैकडोनाल्ड्स भारत ने एक बयान को जारी करते हुए कहा कि “कानूनी विवाद चल रहे हैं, लेकिन रेस्तरां के संचालन को बंद करना सीपीआरएल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का सामूहिक निर्णय है।”

मैकडोनाल्ड्स – पिज्जा हट, डोमिनोज़ पिज्जा, केएफसी और सबवे सहित भारत में अन्य फास्ट फूड श्रंख्ला के साथ मुकाबला करता है। यह ऐसी उम्मीद करता है कि इसके अस्थाई रूप से बंद होने के कारण इसकी लंबे समय से चली आ रही लोकप्रियता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि किसी ग्राहक से किये गये वादे के उल्लंघन के कारण यह घटना नहीं घटित हुई है।

मैकडोनाल्ड्स ने 1995 में अमित और विक्रम बख्शी की साझेदारी के अन्तर्गत भारतीय बाजार में प्रवेश किया था। हालांकि वर्षों से, बख्शी – मैकडोनाल्ड्स के व्यापारिक चेहरे और अमेरिकी काउंटरपार्ट (अलग उद्देश्य या संगठन में एक और उद्देश्य) जाटिया के मध्य संबंधों में खटास आ गई है, परिणामस्वरूप बख्शी ने मैकडोनाल्ड्स के लिए रूखापन अपनाया है और मैकडोनाल्ड्स को भड़काने के लिए जाटिया पर आरोप लगाये हैं।

यह देखा जाना चाहिए कि भारत में स्थापित पहली वैश्विक रेस्तरां श्रृंखलाओं में से एक, 27.5 अरब डॉलर की अमेरिकन हैमबर्गर और फास्ट फूड कंपनी का क्या होगा जो अपने आप को शुद्धता के साथ बेस्ट बर्गर और फ्राइज परोसने पर गर्व करती है।