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मिशन भागीरथ

August 12, 2016


प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना की प्यास बुझाने शुरू किया मिशन भागीरथ

प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना की प्यास बुझाने शुरू किया मिशन भागीरथ

7 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के मेडक जिले की गजवेल विधानसभा क्षेत्र स्थित कोमतीबंडा गांव में ‘मिशन भागीरथ’ का उद्घाटन किया। यह एक नल के जरिए पेयजल पहुंचाने का प्रोजेक्ट है, जिसकी लागत 42 हजार करोड़ रुपए तय की गई है।

मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। पाइप के जरिए पेयजल पहुंचाने के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से गजवेल विधानसभा क्षेत्र के 67 हजार शहरी और 25 हजार ग्रामीण परिवारों को पीने का पानी पहुंचाया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने 152 किलोमीटर लंबी कोथपल्लीमनोहराबाद रेलवे लाइन का शिलान्यास भी किया। यह लाइन हैदराबाद और करीमनगर को जोड़ेगी। इसके जरिए भी क्षेत्र के स्थानीय लोगों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री ने एनटीपीसी के तेलंगाना सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट स्टेज-1 के तहत 800 मेगावाट के दो प्लांट्स प्लांट का शिलान्यास भी किया। इसके साथ ही करीमनगर जिले में रामागुंडम फर्टिलाइजर प्लांट को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया की भी शुरू की।

राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने वारंगल में कलोजी नारायण राव यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के लिए भी शिलान्यास किया।

2014 में तेलंगाना के बनने के बाद पहली बार यात्रा पर आए प्रधानमंत्री मोदी ने केसीआर के नेतृत्व वाली सरकार की भूरिभूरि प्रशंसा की। उन्होंने पिछले दो साल में राज्य सरकार की उपलब्धियों को भी अपने भाषण में रेखांकित किया।

व्यापक पेयजल आपूर्ति परियोजना राज्य की बहुत बड़ी आवश्यकता थी, जो खराब मानसून और बारिश के पानी को सुरक्षित रखने के खराब बुनियादी ढांचे से जूझ रहा है।

मिशन भागीरथ 2018 तक पूरा होना है। उस समय तक राज्य के बड़े हिस्से में पाइप के जरिए पेयजल मिलने लगेगा। इसके साथ ही कृषि और औद्योगिक जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा।

भारत के इस सबसे नए राज्य को दो बड़ी नदियों का वरदान मिला हुआ हैगोदावरी और कृष्णा। राज्य इसके बाद भी मानसून की बेरुखी का सामना करता है और राज्य के बड़े हिस्से में सूखेजैसी स्थिति बनी रहती है।

ऐसी परिस्थितियों में राज्य के करीब 973 गांव प्रदूषित भूजल पीने को बाध्य है। उसमें फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है। इस कारण लोगों में फ्लोरोसिस जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही है।

मिशन भागीरथ की विशेषताएं

कृष्णा और गोदावरी नदियों को राज्य के जलाशयों से इंटरलिंक किया जाएगा। इससे राज्य की जरूरत के मुताबिक पानी के संग्रहण, संरक्षण और आपूर्ति की व्यवस्था सुधारी जाएगी।

पानी की पाइपलाइन की कुल लंबाईः 1,30,000 किमी– 26 इंटरनल ग्रिड्स, 62 इंटरमीडिएट पम्पिंग स्टेशन, 16 इनटेक वेल्स, 110 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स और 37,573 ओवरहेड सर्विस रिजर्वायर।

कुल लागतः 42 हजार करोड़

कब तक पूरा होगाः 2018

विस्तृत टोपोग्राफी विश्लेषण के आधार पर, पानी को गुरुत्वाकर्षण बल और कम से कम बिजली (182 मेगावाट) का इस्तेमाल कर पम्प किया जाएगा।

पाइप के जरिए गजवेल विधानसभा क्षेत्र के 67 हजार शहरी परिवारों को पेयजल आपूर्ति की जाएगी। वह भी नगर निगमों के दायरे में आने वाले क्षेत्र में 150 लीटर प्रति परिवार की दर से।

पाइप के जरिए क्षेत्र के 25 हजार ग्रामीण परिवारों को पेयजल आपूर्ति की जाएगी। वह भी प्रति परिवार 100 लीटर प्रति परिवार की दर से।

प्रोजेक्ट के तहत पानी का औद्योगिक इस्तेमालः 10 प्रतिशत

गांवों में पानी के आवंटन और वितरण के साथ ही टैक्स संग्रह की जिम्मेदारी महिलाएं भी संभालेंगी।

गोदावरी नदी से पानी लिया जाएगाः 19.62 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी)

कृष्णा नदी से पानी लिया जाएगाः 19.65 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी)

मिशन भागीरथ के साथ इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क

राज्य की सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है। इससे तेलंगाना भारत में सबसे व्यापक ऑप्टिकल फाइबर बेस्ड ब्रॉडबैंड नेटवर्क शुरू करने वाला है।

मिशन भागीरथ के तहत बिछाई जाने वाली पानी की पाइपलाइन के साथ ही ऑप्टिकल फाइबर की पाइपलाइन बिछाने की योजना है। इससे राज्य का पैसा बचेगा, जो उसे ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की पाइपलाइन बिछाने में लग सकता था।

इस परियोजना के पूरी होने पर जहांजहां भी पाइपलाइन बिछी है, वहां कम लागत में हाईस्पीड डेटा और वीडियो का ट्रांसफर हो सकेगा। यह राज्य के ईगवर्नेंस, हेल्थ सेवाओं के साथ ही तेलंगाना के ईशिक्षा के प्रयासों को मजबूती देगा।

बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्य इस प्रोजेक्ट से प्रेरणा लेकर इस मॉडल को अपने राज्य में दोहराने की योजना बना रहे हैं।

केसीआर ने शुरुआती सफलता को दोहराया

यदि किसी एक राजनेता का नाम लेना हो, जो व्यापक तौर पर पानी का प्रबंधन और वितरण तरीकों पर अधिकार रखता हो तो वह है मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव। 1996 में एक युवा विधायक के तौर पर केसीआर ने पानी की कमी से जूझ रहे सिद्दीपेट इलाके में 60 करोड़ रुपए की लागत से पाइप के जरिए पेयजल पहुंचाने की योजना बनाई और उसे क्रियान्वित भी किया था।

इस प्रोजेक्ट के तहत लोवर माने बांध से पानी लेकर 180 गांवों के परिवारों को उसकी आपूर्ति करनी थी। दो दशक के बाद यह प्रोजेक्ट आज भी सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है। इसकी सफलता ने ही केसीआर को अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनामिशन भागीरथ शुरू करने की प्रेरणा दी।

शुरुआती दो वर्ष लोप्रोफाइल बिताने के बाद केसीआर ने इस प्रोजेक्ट के जरिए तेलंगाना की राजनीति में सर्वोच्च नेताओं की श्रेणी में खुद को खड़ा करने की तैयारी कर ली है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को हमेशा ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा, जिन्होंने हैदराबाद में आईटी क्रांति लाई। लेकिन इस प्रोजेक्ट के साथ मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी उनकी बराबरी कर लेंगे या उनसे आगे निकल जाएंगे। पानी की आपूर्ति के साथ ही राज्य में आईटी नेटवर्क को मजबूती देने की दोहरी रणनीति एक बेहतरीन कदम है। न केवल प्रौद्योगिकी के तौर पर बल्कि राजनीतिक तौर पर भी।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह महसूस कर लिया है कि केसीआर लंबी रेस के खिलाड़ी हैं और दिनदिन मजबूत होते जाएंगे। तीसरा मोर्चा एक संभावित चुनौती है, उसे देखते हुए भाजपा को केसीआर को अपने साथ करना जरूरी है। ऐसे में वह चाहते हैं कि सीधेसीधे साथ आने के बजाय यदि दोनों की राजनीतिक दोस्ती भी बनी रहे तो इसमें कोई हर्ज नहीं होगा।

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि प्रधानमंत्री ने पिछले दो वर्षों में मुख्यमंत्री के तौर पर उनके कामकाज और उनके शासन की भूरिभूरि प्रशंसा की। बदले में केसीआर ने भी प्रधानमंत्री को देश के अत्यंत लोकप्रिय नेता की पदवी दे दी। ऐसा लगता है कि दोनों के बीच सहयोग की प्रक्रिया और आगे जाएगी।