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मोदी सरकार चारधाम यात्रा के लिए रेल संपर्क की योजना बना रही है

May 14, 2017


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भारत सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, चारधाम तीर्थयात्रा को जोड़ने वाले रेल संपर्क मार्ग को सुधारने की योजना बनाई है। भारतीय रेलवे एक नई रेलवे लाइन पर कार्य शुरू करने जा रहा है। इस परियोजना का नाम “सिंगल ब्रॉड गेज लाइन रेल कनेक्टिविटी के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण” दिया गया है और इसकी नींव 13 मई, 2017 को भारत के केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा रखी गयी थी। सरकार ने 2017-18 के केंद्रीय बजट में ‘अंतिम स्थान सर्वेक्षण’ के लिए 120.92 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। रेल मंत्रालय ने कहा है कि रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) नामक एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) को चारधाम यात्रा के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है जिसमें कर्णप्रयाग और देहरादून के रस्ते में गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और केदारनाथ शामिल हैं।

चारधाम क्या है?

जहाँ तक ​​हिंदू धर्म की तीर्थयात्राओं का सवाल है, चारधाम यात्रा सब देवताओं के मंदिरों के रूप में एक महत्वपूर्ण यात्रा है। यह आध्यात्मिक और रहस्यवादी आकांक्षाओं से बहुत निकटता से संबंधित है, जिसमें कई धार्मिक हिंदू विचारधाराएं हैं। हिमालय के बीहड़ पहाड़ों के बीच में सभी चारों धाम तीर्थस्थल स्थित हैं। उम्मीद की जाती है कि यह रेलवे के लिए भार, सुरक्षा, क्षमता और गति जैसे कारकों से संबंधित सीमाओं को ध्यान में रखते हुए रेल पटरियों का  निर्माण  एक बड़ी चुनौती होगी।

कुछ विशिष्ट विवरण

यह उम्मीद की जाती है कि ऊँचाई के पैमाने पर औसतन यह ट्रैक समुद्रतल से 2000 मीटर की ऊँचाई पर होगा। जब यह ट्रैक पूरा होकर नियमित संचालन के लिए तैयार हो जाएगा तब यह एक प्रमुख वास्तुशिल्प चमत्कार की तरह दिखेगा। 2014-15 में अपनी रेल कनेक्टिविटी परियोजना के भाग के रूप में, आरवीएनएल ने एक पूर्व-परीक्षण प्रोधोगिकी सर्वेक्षण (आरईसी) शुरू किया था। सर्वेक्षण के अनुसार, यह पाया गया कि सभी मार्ग 327 किमी लंबे होंगे।

चुनौतियाँ

यह नई लाइन एकल ब्रॉड गेज लाइन होने जा रही है। जैसा कि पहले से ही कहा गया है, कि इलाके में कुछ अनोखी चुनौतियां हैं जो कि इंजीनियरों को ध्यान में रखनी होंगी। कुछ समस्याग्रस्त भूवैज्ञानिक कारक हैं जो नाटकीय ढंग से भी होने जा रहे हैं। चारों धामों की अपनी अलग ऊँचाई हैं तथा उनके आध्यात्मिक महत्व भी एक दूसरे से अलग हैं। माना जाता है कि यमुनोत्री, एक बर्फ का दरिया है जहाँ से यमुना नदी निकलती है इसकी ऊँचाई समुद्रतल (एमएसएल) से 3293 मीटर है। इसी तरह गंगोत्री भी एक बर्फ का दरिया है जहाँ से गंगा नदी उत्पन्न होती है इसकी उँचाई समुद्रतल (एमएसएल) से 3408 मीटर है। केदारनाथ में भगवान शिव का मंदिर है। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है और इसकी उँचाई समुद्रतल से 3583 मीटर है। तथा चौथा धाम बद्रीनाथ है जहाँ भगवान विष्णु का मंदिर स्थित है। यह समुद्रतल से 3133 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

वर्तमान में डोईवाला, कर्णप्रयाग और ऋषिकेश, चारधाम यात्रा स्थलों के नजदीकी रेलवे लाइनों में से एक हैं। ये सभी आरवीएनएल द्वारा ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच बनाई जा रही नई रेल लाइन का हिस्सा हैं। औसतन वे समुद्र तल से 400 से 825 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं। इस प्रकार यह समझा जा सकता है कि भारतीय रेलवे समुद्रतल से 2000 मीटर की ऊँचाई पर रेलवे लाइन बनाने की कोशिश कर के एक महत्वपूर्ण चुनौती को प्रदर्शित कर रहा है।