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फिल्म समीक्षा – ट्यूबलाइट की चमक लेकिन स्क्रीन पर प्रभाव छोड़ने में असफल

June 24, 2017


tubelight-movie-reviewईद पर रिलीज होने वाली सलमान खान की फिल्म बॉलीवुड की हर साल सबसे ज्यादा प्रतीक्षा की जाने वाली फिल्मों में से एक है। इसलिए सुल्तान (2016), बजरंगी भाईजान (2015), किक (2014), एक था टाइगर (2012), बॉडीगार्ड (2011), दबंग (2010) और वांटेड (2009) जैसी फिल्मों की कमाई को जारी रखते हुए सलमान खान की 240 करोड़ रूपये में बनी फिल्म ट्यूबलाइट आज थियेटरों में आ गयी है। जैसे कि फिल्म की शुरूआत ही आपको बतायेगी, यह फिल्म 2015 में अलेजेड्रों गोमेज़ मोंटेवेर्डे द्वारा अमेरिकन वार पर बनी फिल्म ‘लिटिल बॉय’ पर आधारित है।

कलाकार – सलमान खान, सोहेल खान, झू झू, मातिन रे टेंगू, ओम पुरी, मोहम्मद जीशान अय्यूब

  • निर्देशक – कबीर खान
  • उत्पादित – सलमान खान
  • उत्पादन हाउस – सलमान खान फिल्म्स, कबीर खान फिल्म्स
  • लिखित – कबीर खान
  • पटकथा – कबीर खान, परवेज शेख
  • संवाद – मनुऋषि चड्ढा
  • संगीत – प्रीतम
  • पृष्ठभूमि स्कोर – जूलियस पैकिअम
  • छायांकन – रामेश्वर एस. भगत
  • अवधि – 2 घंटे 16 मिनट

विश्वास की झलक

यह सलमान खान की अगुवाही  में कबीर खान की तीसरी फिल्म है । बजरंगी भाईजान ने कई मिलियन लोगों के दिलों को जीत लिया था। इसलिए कबीर खान ने फैसला लिया कि वह अपने जीत के सूत्र का उपयोग करके एक और कीर्तिमान रच सकते हैं।

बजरंगी भाईजान और ट्यूबलाइट समानांतर चलती हैं। जैसे पाकिस्तान के साथ चीन, मुन्नी के साथ झू, मुन्नी को सुरक्षित घर ले जाने का दृढ़ संकल्प और झू को पूरी ईमानदारी के साथ उसके भाई के घर ले जाना और आप जानते हैं ट्यूबलाइट को सुलझाया गया है। कथानक उथला और दिशा अनियमित है।

आइए हम अपने हीरो के प्रदर्शन से शुरू करें। एक बार हम सलमान खान को पूरी तरह से कपड़े पहने हुए एक कमजोर चरित्र में देखते हैं। हम चाहते हैं कि सलमान खान ने एक दशक पहले ऐसी भूमिकाएं निभाई होतीं (जब अभिनय के लिये महान अवसर था)। यह हमें प्रभावित करने में बहुत देर हो सकती है। विचार यह है कि पहाड़ों पर निर्भरता ने बिकने वाली कई पुस्तकों और ब्लॉकबस्टर फिल्मों को प्रेरित किया है। ट्यूबलाइट उनमें से एक नहीं है। सलमान की यह फिल्म आसानी से एक गहरा अनुभव या भावात्मक कहानी हो सकती है। लेकिन कबीर खान ने एक औसत दर्जे की उदासीन कॉमेडी का निर्माण किया है। सलमान केवल एक नायक के रूप में आता है। सोहेल एक अभिनेता की तुलना से अधिक एक सहारे के रूप में आता है।

8 साल का मातिन रे टेंगू फिल्म ट्यूबलाइट का मुख्य नायक है। वह लूटा हुआ है, वह एक अद्भुत अभिनेता है, देखने में वह एक तारा है। झू झू सुंदर लगती है और तब भी जब वह रेडियो पर नाच रही है। एक बार फिर, निर्देशक उन क्षणों को फिल्माने में विफल हो जाता है जिससे हमें भारत में जन्मी चीनी महिला की दुर्दशा दिखाई जाती है, जिसे केवल पक्षपात और उत्पीड़न का सामना करने के लिए कलकत्ता में अपने घर से भागना पड़ता है।

संगीत की समीक्षा

गीत के बोलः अमिताभ भट्टाचार्य, कौसर मुनीर (तिनका तिनका)

संगीत – प्रीतम

प्रीतम का दावा है कि ट्यूबलाइट को कंपोज करना (लिखना या अपनी भावनाओं को व्यक्त करना) आसान नहीं था। सबसे अच्छे गानों को हमने औसत दर्जे का पाया। वास्तव में, अगर आपने इसके गानों को पहले नहीं सुना है तो रेडियो ही एकमात्र ऐसा गाना है जिसे आप याद करेंगे।

रेडियो

  • गायक – कमाल खान, अमित मिश्रा
  • अवधि – 4:49 मिनट

नाच मेरी जान

  • गायक – कमाल खान, नकाश अजीज, देव नेगी, तुषार जोशी
  • अवधि – 4:47 मिनट

तिनका तिनका दिल मेरा

  • गायक – राहत फतेह अली खान
  • अवधि – 5:02 मिनट

मैं अगर

  • गायक – आतिफ असलम
  • अवधि – 4:37 मिनट

मैं अगर (फिल्म संस्करण)

  • गायक – केके
  • अवधि – 3:28 मिनट

क्या अच्छा है, क्या बुरा?

वह चीज जो महान है लेकिन ट्यूबलाइट के बारे में अच्छी नहीं है वह हैं शानदार विजुअल, रंग योजना और मननोहक दृश्य। छायांकन टीम के लिए तीन चीयर्स (वाह वाह)। सहायक कलाकार मातिन रे टेंगू, झू झू और स्वर्गीय ओम पुरी सभी विश्वसनीय प्रदर्शन प्रदान करते हैं। शाहरुख खान एक जादूगर के कैमियो में आकर्षक लग रहे हैं। थोड़ी देर के लिये उनको अच्छा नहीं देखा गया है।

हालाँकि इसमें निर्देशक की रचनात्मकता में कोई कमी नहीं दिखी और यह फिल्म को बनाये रखने में पर्यापत है ।

हमारा फैसला

यह बार बार नहीं होता है कि सलमान खान अपनी कई फिल्मों में से इस फिल्म में पूरे कपड़े पहने हुए हैं। यह अभी तक दुर्लभ है कि वह परदे पर एक सुंदर नायिका के साथ रोमांस नहीं करते हैं। अगर आपको इन चीजों से ज्यादा मजा नहीं आता है तो अपने शानदार दृश्यों के लिए ट्यूबलाइट देखें, क्योंकि जब आपका दोस्त झू झू से बात करता है तो आप बाहर नहीं जाना चाहते हैं। अगर यह काफी अच्छा नहीं है, तो भी फिल्म को देखने जायें क्योंकि इस फिल्म में आप ओम पुरी को आखिरी बार पर्दे पर देखते हैं। अपनी उम्मीदों को घर पर छोड़ दें।