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बिहार महाभारतः एनडीए और महागठबंधन से मुकाबले के लिए बना तीसरा मोर्चा

September 18, 2015


एनडीए और महागठबंधन से मुकाबले के लिए बना तीसरा मोर्चा

समाजवादी पार्टी ने कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 12 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे बिहार के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए “तीसरे मोर्चे” के गठन का ऐलान किया।

प्रेस को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने घोषणा की कि एसपी चुनावों में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता दलडेमोक्रेटिक (एसजेडीडी) और पीए संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एऩपीपी) के साथ मिलकर बिहार के चुनाव लड़ेगी। एसपी ने आरजेडी नेता रघुनाथ झा के साथ ही जेडी(यू) के पूर्व विधान पार्षद (एमएलसी) मुन्ना सिंह के पार्टी में आने की घोषणा भी कर दी।

बिहार चुनावों में चार पार्टियों का यह “तीसरा मोर्चा” अब एनडीए और महागठबंधन को चुनौती देगा। इससे मुकाबला तीनतरफा हो जाएगा। एनडीए में बीजेपी, एलजेपी, आरएलएसपी और हम है तो वहीं महागठबंधन में जेडी(यू)-आरजेडीकांग्रेस है।

तो अब मुलायम सिंह यादव का गेम प्लान क्या है? वह किसी भी एक गठबंधन का हिस्सा हो सकते थे, तब उन्होंने यह तीसरा मोर्चा क्यों बनाया? इसका एकमात्र संभावित जवाब यह है कि इसके जरिए उन्होंने यू.पी. के चुनावों के लिए एसपी को सुरक्षित रख लिया है। यदि जेडी(यू)-आरजेडी गठबंधन नाकाम रहती है तो इसका एसपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं एसपी को बाहर रखकर उन्होंने किसी भी गठबंधन को बाहरी समर्थन देने का विकल्प खुला रखा है।

मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गंभीर प्रवृत्ति के आपराधिक आरोप हैं। ऐसे में वह चाहते हैं कि जो भी संभावित विजेता बनकर सामने आए, उसके साथ अपनी शर्तों पर समझौता किया जाए। यदि एनडीए आंशिक अंतर से जीतता है या बहुमत का आंकड़ा छूतेछूते रह जाता है तो मुलायम समर्थन के लिए कड़ी शर्तें थोप सकते हैं। इसी तरह की स्थिति महागठबंधन के साथ भी है। किसी भी स्थिति में एसपी एक किंगमेकर की भूमिका में उभर सकती है।

चुनावों के पहले चरण में 49 विधानसभा सीटों पर 12 अक्टूबर को वोटिंग शुरू हो जाएगी।

कांग्रेस राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की तैयारी में

पार्टी का फोकस अभी बिहार चुनावों पर है, लेकिन कांग्रेस के भीतरी सूत्र ही कहते हैं कि इस साल के अंत तक राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाएगा। बिहार चुनावों के परिणामों का इस फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस में ही कुछ तबके हैं जो उनकी पदोन्नति का विरोध कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि सोनिया गांधी ही पार्टी की अध्यक्ष बनी रहे। हालांकि, राहुल गांधी की पदोन्नति का दबाव भी बहुत ज्यादा है। उन्हें अगले चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करने से पहले अपनी नई टीम बनाने के लिए वक्त भी चाहिए होगा।

बिहार में राहुल गांधी की छह रैलियां होंगी, जबकि चार रैलियों का नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।

पश्चिम चंपारन जिले के राम नगर में राहुल गांधी 19 सितंबर को मेगा रैली के जरिए अपने बिहार अभियान का आगाज करने वाले हैं। आयोजन स्थल का चुनाव भी सांकेतिक है। ब्रिटिश काल में चंपारन से ही महात्मा गांधी ने नील की खेती के विरोध में आंदोलन शुरू किया था।

हालांकि, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार इस रैली से दूर रहने वाले हैं। एक तरह से यह इस बात का संकेत है कि वे राहुल गांधी को मंजूरी नहीं दे रहे। लालू प्रसाद अपने छोटे बेटे तेजस्वी को उनका प्रतिनिधित्व करने रैली में भेजेंगे। वहीं जेडी(यू) के केसी त्यागी रैली में नीतीश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

इस बीच, पार्टी की राज्य इकाई ने 20 सितंबर को मिलने का फैसला किया है। ताकि उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया जाए और 21 सितंबर को नामों की घोषणा कर दी जाए। पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख 23 सितंबर है।

जनमत सर्वेक्षणों में आगे चल रहे हैं नीतीश कुमार

नए जनमत सर्वेक्षणों में भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के पद के लिए पसंदीदा बने हुए हैं। एबीपी न्यूजनीलसन ने 37 विधानसभा क्षेत्रों में सर्वेक्षण करवाया। इसमें 52% लोगों ने नीतीश कुमार को सबसे पसंदीदा राजनेता बताया है। जबकि नरेंद्र मोदी को 47% लोगों ने।

मुख्यमंत्री के पद के लिए, 88% लोगों ने नीतीश कुमार का पक्ष लिया है। मुस्लिम समुदाय ने भी उनके पक्ष में मुहर लगाई है। ज्यादातर ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री के पद के लिए तुलनात्मक रूप से नीतीश कुमार के पक्ष में 51% और बीजेपी के सुशील मोदी के पक्ष में 43% लोगों ने वोट दिए हैं। हालांकि, 66% को लगता है कि सुशील मोदी नीतीश कुमार को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। जीतन मांझी के खिलाफ कोई मुकाबला ही नहीं है क्योंकि ज्यादातर नीतीश के समर्थन में है।

शासन के मुद्दे पर 62% लोगों ने नीतीश कुमार की सरकार के ओवरऑल परफॉर्मेंस पर अच्छा से बहुत अच्छा बताया है। हालांकि, व्यक्तिगत रूप से रेटिंग में 52% को लगता है कि बीजेपी के समर्थन के दौरान सरकार का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा था।

एक रोचक फीडबैक के तौर पर 41% लोगों ने कहा कि आप के अरविंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार को समर्थन दिया, इसी वजह से वे भी महागठबंधन को समर्थन देंगे।

एआईएमआईएम की वजह से महागठबंधन के चुनावी प्रदर्शन पर असर के बारे में पूछा गया तो 49% ने कहा कि इसका नकारात्मक असर होगा। जबकि 41% का कहना है कि इससे महागठबंधन को मदद मिलेगी।

इससे पहले आईटीजीसिसरो के जनमत सर्वेक्षण में भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के पद के लिए पहली पसंद बनकर सामने आए थे।

चर्चा में राजनेताः तेजस्वी यादव (जन्मः 8 नवंबर 1989)

तेजस्वी यादव का जन्म पटना में हुआ। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के घर। नौ बच्चों में सबसे छोटे तेजस्वी मथुरा रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़े। उसके बाद कॉमर्स में उन्होंने स्नातक डिग्री ली। क्रिकेट भी खेले और झारखंड का प्रथम श्रेणी मुकाबलों में प्रतिनिधित्व भी किया। वह 2008, 2009, 2011 और 2012 के आईपीएल संस्करणों में दिल्ली डेयरडेविल्स टीम के सदस्य भी रहे हैं।

तेजस्वी के मातापिता चर्चित और लोकप्रिय राजनीतिक शख्सियतें हैं। इस नाते उनका राजनीति में आना सहज ही था। उन्होंने 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में अपने पिता के अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई थी। अब वे लालू प्रसाद की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। वह 2015 के विधानसभा चुनावों में क्या प्रदर्शन करते हैं, यह देखना अभी शेष है।

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः सुपौल

सुपौल शहर सुपौल जिले का मुख्यालय है। इसे 14 मार्च 1991 को सहरसा जिले से काटकर अलग किया गया था। सुपौल जिला 2,410 वर्ग किमी में फैला है। इसमें 4 उपसंभाग है, जिनमें सुपौल, बीरपुर, निर्मली और त्रिवेणीगंज शामिल है।

2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की जनसंख्या 17,45,069 है। साक्षरता दर 37.8% है।

2010 के विधानसभा चुनाव परिणाम

  • 2010 के विधानसभा चुनावों में विजेताः बिजेंद्र प्रसाद यादव
  • जीत का अंतरः 15,400 वोट्स; 12.69% वैध मतों का
  • निकटतम प्रतिद्वंद्वीः रवींद्र कुमार रमन
  • पुरुष मतदाताः 55,928; महिला मतदाताः 65,403; कुलः 1,21,377
  • मतदान प्रतिशतः 55.33%
  • पुरुष उम्मीदवारः 9; महिला उम्मीदवारः 0
  • मतदान केंद्रः 236