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नई जीएसटी दरें: माल और सेवा कर परिषद द्वारा 40 वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव

September 13, 2017


नई जीएसटी दरें: माल और सेवा कर परिषद द्वारा 40 वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव

माल और सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने अपनी 21 वीं बैठक के बाद, भारत की  मौजूदा जीएसटी (माल और सेवा कर) दरों में कुछ बदलाव किए हैं। यह बैठक 9 सितंबर 2017 को हैदराबाद में आयोजित हुई थी। संयोगवश यह जीएसटी दरों के लागू होने के बाद दूसरी समीक्षा बैठक थी। इससे मोटर वाहनों जैसी वस्तुओं पर लगने वाले उपकर (सैस) की दर में इजाफा हुआ है। मध्यम लागत वाली कारों पर लगने वाले उपकर में 2 प्रतिशत की और महँगी कारों पर लगने वाले उपकर की दर में 5प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) पर लगने वाले उपकर में 7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। शुरूआत में बोर्ड ने जीएसटी कानून को कुल मिलाकर दरों में 10 प्रतिशत की वृद्धि का सुझाव दिया था। अब कुल कर की व्यापकता 50 प्रतिशत से कम रखी गई है। इसका मतलब यह है कि अब निम्न लागत वाली कारों पर कुल कर की बढ़ोतरी 45 प्रतिशत तक, एसयूवी पर बढ़ोतरी 50 प्रतिशत तक और महँगी कारों पर बढ़ोतरी 48 प्रतिशत तक हो जाएगी। इससे पहले 28 प्रतिशत जीएसटी और 15 प्रतिशत उपकर के साथ कुल कर 43 प्रतिशत था।

उद्योग में पूर्वकथित क्या था?

उद्योगों ने वास्तव में अधिकारियों से करों के अंतर वृद्धि के परिणाम के बारे में पूछ-ताछ की थी। उन्होने तर्क के साथ यह सुझाव दिया था कि निम्न लागत वाले वाहनों की बढ़ोतरी में कमी हो रही है और यदि इस श्रेणी में कीमतें बढ़ी, तो इसका मध्य वर्ग वाले लोगों (ऐसी कारों के सबसे बड़े खरीदारों) पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा। अपनी पिछली बैठक में जीएसटी परिषद ने प्रतिकर कानून में संशोधन के लिए उपकर को 15 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक बढ़ाने की माँग को मंजूरी दे दी थी।

जीएसटी के लागू होने के समय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने कीमतों में भारी कमी की थी। जैसे कि इसने उपकर की व्यापक बढ़ोतरी का विरोध किया था। हाइब्रिड वाहनों, छोटी कारों और 13 सीटों वाले वाहनों के उपकर की दरें एक समान हैं।

जीएसटी दरों में गिरावट

परिषद ने 40 से अधिक वस्तुओं की जीएसटी दरों को घटा दिया है और उनमें से कुछ वस्तुओं का उल्लेख नीचे किया गया है:

  • अखरोट
  • झाड़ू
  • मिट्टी की मूर्तियाँ
  • कस्टर्ड पाउडर
  • इडली-डोसा का पेस्ट
  • रबर बैंड
  • रेनकोट
  • धूप बत्ती
  • साड़ी के फाल
  • कॉरड्रॉय के कपड़े
  • कंप्यूटर मॉनीटर
  • मेज और बरतन
  • पूजा में प्रयोग की जाने वाली मोतीमाला

इसके साथ ही खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के बाजारों से खरीदे जाने वाले खादी उत्पाद, पूरी तरह जीएसटी मुक्त कर दिए गए हैं। यही छूट मिट्टी की मूर्तियों पर भी लागू होती है। सरकार ने अन्य राज्यों को अपने हस्तशिल्प उत्पाद बेचने वाले व्यापारियों और जो साल में 20 लाख रुपये से कम कमाते हैं, उनको पूरी छूट प्रदान की है। उन्हें इसके लिए पंजीकरण करवाने की आवश्यकता नहीं है।

आम आदमी द्वारा दैनिक उपयोग में की जाने वाली वस्तुओं पर लाभ

यह कहने की आवश्यकता है कि जिन वस्तुओं पर जीएसटी की दरें कम की गई है, उनमें से अधिकांश वस्तुएं दैनिक उपयोग वाली हैं और जैसे ही ये वस्तुएं सस्ती होगीं, यह रोजाना इन वस्तुओं का इस्तेमाल करने वाले आम लोगों के लिए बहुत ही हितकर साबित होगा। मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती प्रकृति ने निर्णय निर्माताओं को कुछ दरों को कम करने में सक्षम बनाया है।

इससे पहले इडली और डोसा के पेस्ट पर जीएसटी की लागू दर 18 प्रतिशत थी, लेकिन अब यह दर घटाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है। ब्रश और झाडू को पूरी तरह से कर मुक्त कर दिया गया है। जहाँ तक ​​कंप्यूटर मॉनिटरों की बात है, तो उन पर छूट केवल 20 इंच के या उससे कम स्क्रीन आकार वाले मॉनिटर पर ही लागू होगी।

जीएसटी की प्रगति

परिषद ने फाइलिंग रिटर्न की तारीख भी बढ़ा दी है, क्योंकि उद्योगों को समय पर फाइलिंग रिटर्न करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि जीएसटी वेबसाइट सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रही है और रिटर्न भी एक नियत दर पर भरना होता है। जीएसटी कैसे कार्य कर रहा है, सरकार ने इस पर नजर रखने के लिए एक मंत्रीस्तरीय समूह की भी स्थापना की है। राज्य की आय सकारात्मक रूप से सही दिशा में लगाई जा रही है और ब्रांडेड पैक किए गए खाद्य पदार्थों के लिए एक नए ढाँचे की भी स्थापना की गई है।