Home / / दिल्ली में निजामुद्दीन दरगाह: निजामुद्दीन औलिया का मकबरा

दिल्ली में निजामुद्दीन दरगाह: निजामुद्दीन औलिया का मकबरा

June 12, 2017


nizamuddin-dargah-delhi-665x498

निजामुद्दीन औलिया का मकबरा – दिल्ली में निजामुद्दीन दरगाह निजामुद्दीन औलिया का मकबरा

दिल्ली में निजामुद्दीन दरगाह: निजामुद्दीन औलिया का मकबरा है जो दुनिया के सबसे प्रसिद्ध सूफी संतों में गिने जाते हैं। यह दिल्ली के लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है, इसलिए प्रतिदिन सैकड़ों लोगों द्वारा यहाँ की यात्रा की जाती है। भव्य हजरत निजामुद्दीन मकबरा में जाली, संगमरमर के मेहराब और आंगन हैं। श्रद्धालु एक विश्वास के साथ लाल धागे बाधंते हैं ताकि उनकी इच्छाएं पूरी हो जाएं। मकबरा के अंदर पवित्र स्थान सुगंधित गहरे हरे कपड़े के साथ कवर किया गया है। भक्त पवित्र स्थान के सामने धूप लगाते हैं गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार करते हैं और प्रार्थना करते हैं।

दरगाह परिसर के अन्दर प्रसिद्ध कवि आमिर खुसरो और एक मुगल राजकुमारी जहान आरा बेगम का मकबारा भी स्थित है। इसके अलावा दरगाह परिसर में आपको कई ऐसे लोगों के मकबरे मिलेंगे, जिनकी मृत्यु के बाद सूफी संत के बगल में दफन होने की इच्छा थी।

किसी भी दिन दरगाह की यात्रा कर सकते हैं, लेकिन प्रत्येक गुरुवार निजामुद्दीन दरगाह में विशेष कव्वाली कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, और दरगाह सुंदर रोशनी के साथ सजाई जाती है। यहाँ तक कि बॉलीवुड की भी दरगाह में निष्ठा है और दरगाह पर कई पारंपरिक कव्वालियों की सूटिंग भी की हैं, जैसे नवीनतम फिल्म रॉकस्टार के लिए “कुन फाया कुन” यहीं फिल्माया गया है। उर्स सहित इस्लामिक त्यौहार और सूफी संतों निजामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो की पुण्यतिथि यहाँ मनाई जाती हैं।

पता: पुराना निजामुद्दीन बाजार, निजामुद्दीन पूर्व नई दिल्ली।

हज़रत निजामुद्दीन मकबरे के आस पास: निजामुद्दीन बाजार, दिल्ली चिड़ियाघर, हुमायूं का मकबरा, खान मार्केट, सेंट्रल मार्केट।

निकटतम मेट्रो स्टेशन: जेएलएन मेट्रो स्टेशन।

समय: सभी दिन खुला (यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय 6:00 बजे से 7.30 बजे तक) रहता है।

त्वरित सुझाव:

  • दरगाह में प्रवेश करने से पहले आपको अपने जूते दरगाह से बाहर उतारना होता है और अपने सिर को ढककर दरगाह में प्रवेश किया जाता है।
  • महिलाओं को मुख्य पवित्र स्थान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
  • कव्वाली में उपस्थित होने के लिए, गुरुवार को शाम 7:00 बजे दरगाह में पहुँचें क्योंकि इसके बाद बहुत भीड़ होती है।
  • आस पास के बाजार में कुछ लज़ीज़ (स्वादिष्ट) कबाबों का स्वाद मिलता है।