ओणम – भगवान के देश में नए साल का उत्सव
बंगाल में एक कहावत है, “बारो माशे तेरो पर्बन”। इसका मतलब यह है कि साल में 12 महीने होते हैं और 13 त्यौहार मनाए जाते हैं। भारत में विविध संस्कृतियाँ होने के साथ साथ मनाने के लिए अनगिनत त्यौहार भी हैं। ओणम एक ऐसा त्यौहार है, जो कि ‘भगवान का अपना देश’ केरल में मनाया जाता है। ओणम चावल की फसल पर होने वाला एक त्यौहार है और दुनिया भर के हिंदू मलयाली के लिए नए साल की शुरुआत है। यह त्यौहार मलयालम कैलेंडर के चिंगम के महीने में और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अगस्त-सितंबर महीने में पड़ता है। ओणम त्यौहार 10 दिन तक होता है और इस साल यह शुक्रवार 25 अगस्त को शुरू होकर 06 सितंबर को तिरुवोनम के साथ संपन्न होगा।
सभी धर्मों के लोगों को एक साथ एकत्र करने वाला ओणम वास्तव में एक अनोखा त्यौहार है। हिंदू, ईसाई और मुसलमान एक महान उत्साह के साथ यह त्यौहार मनाते हैं।
महोत्सव के पीछे की कथा
भारत में सभी त्यौहारों की तरह, ओणम के उत्सव के साथ भी दो सुंदर पौराणिक कहानियां जुड़ी हैं।
पहली पौराणिक कथा के अनुसार:
- हिरण्यकश्यप के परपोते और प्रह्लाद के पोते, महाबली एक बहुत अच्छे शासक और भगवान विष्णु के परम भक्त थे।
- महाबली बहुत शक्तिशाली बन गए और देवताओं को हराने के बाद तीनों लोको पर अधिकार कर लिया।
- पराजित देवता सहायता के लिए भगवान विष्णु की शरण में गए लेकिन भगवान विष्णु ने इनकार कर दिया क्योंकि महाबली एक अच्छे शासक थे।
- हालांकि महाबली की भक्ति का परीक्षण करने के लिए, भगवान विष्णु ने वामन (बौने) के अवतार में उनके पास गए और तीन पग धरती दान स्वरूप माँगी और उनसे मापने के लिए बोला।
- महाबली सहमत हो गए और तब भगवान विष्णु ने अपने आकार (शरीर) को बड़ा कर लिया और महाबली द्वारा राज्य किए जाने वाले सम्पूर्ण क्षेत्र को सिर्फ दो कदमों में ही नाप लिया।
- अपना वचन पूरा करने के लिए, महाबली ने स्वयं को तीसरे कदम के लिए प्रस्तुत किया।
- भगवान विष्णु महाबली की परम भक्ति से अति प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि हर साल वह अपने राज्य में पधार सकते हैं।
- महाबली के यहाँ फिर से पधारने के रूप में ओणम त्यौहार मनाया जाता है।
- ओणम त्यौहार, महाबली के अच्छे शासन, नम्रता और विष्णु को दिए गए वचन के पालन का एक अनुस्मारक है।
- यह माना जाता है कि हर साल राजा महाबली केरल के लोगों के लिए अच्छी फसल के रूप में उन्हें समृद्धि प्रदान करते हैं।
- ऋग्वेद के साथ-साथ शतपथ ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार महाबली, मॉनसून के दौरान चावल की फसल के उपहार को धन्यवाद स्वरूप भेंट करने का प्रतीक है और विष्णु गर्मियों के दौरान सूरज की रोशनी का रूपक है, जो ओणम से पहले होती है।
दूसरी कथा राजा कर्तवीर्य के युग में विष्णु के छठे अवतार परशुराम (“एक कुल्हाड़ीधारी राम”) की थी। कर्तवीर्य ने लोगों को सताया और परेशान किया और एक बार परशुराम के आश्रम से उनका बछड़ा भी चुरा लिया। परशुराम ने उसे और उसके दमनकारी योद्धाओं को मारकर दुष्ट कर्तवीर्य को समाप्त कर दिया। तब उन्होंने उस कुल्हाड़ी को समुद्र में फेंका और जहाँ पर कुल्हाड़ी गिरी समुद्र ने भगवान का अपना देश, केरल बनाना शुरू कर दिया। इस पौराणिक कथा के अनुसार ओणम उत्सव, उन दिनों परशुराम द्वारा केरल के निर्माण और नववर्ष के जश्न के रूप में मनाया जाता है।
समारोह
ओणम समारोह मलयाली नव वर्ष को चिन्हित करता है और 10 दिनों तक चलता है। इसे अथम, चिठरा, चोधी, विशाकम, अनिझम, थ्रिकिटा, मूलम, पूरादम, उथ्रादोम और तिरुवोनम के नाम से जाना जाता है। केरल के लोगों के लिए इस त्यौहार का पहला और आखिरी दिन विशेष महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं। पूरे केरल राज्य में ओणम को निम्नलिखित तरीके से महान उत्साह के साथ मनाया जाता है:
- उत्सव कोच्चि के पास त्रिपुन्थुरा में भव्य जुलूस ‘अट्ठचम्यम्’ के साथ शुरू होता है। सुन्दर सजे हुए हाथी, लोक कला रूपों का प्रदर्शन करने वाले कलाकार, महाभारत और रामायण और बाइबिल जैसे महाकाव्यों के दृश्यों को चित्रित करने वाली खूबसूरत नावें और चेडा (केरल के ड्रम) का बजना हर साल इस जुलूस के प्रतीक होते हैं। जुलूस की समाप्ति एरनाकुलम जिले के वामनमूर्ति मंदिर में होती है।
- केरल में उत्सव का प्रदर्शन वास्तविक रूप से आयोजित विश्व प्रसिद्ध अप्रवाही नाव की दौड़ है। ओणम के दौरान वल्लम कली (सर्प नाव दौड़), अरनमुला उथ्रतधी नाव दौड़ और नेहरू ट्रॉफी नाव दौड़ आयोजित होते हैं, जिसमें केरल के विभिन्न जिलों की भागीदारी होती है। प्रत्येक नाव में 90 चालक होते हैं और एक ही समय में दौड़ने वाली नाव वालों का दृश्य दर्शनीय और खुशनुमा होता है। दौड़ के प्रदर्शन को देखने के लिए विदेशियों सहित हजारों लोगों की भीड़ पानी के करीब एकत्र हो जाती है ।
- अन्य आयोजन जैसे पुलिकली (बाघ नृत्य), पूक्कलम (पुष्प प्रबंधन), ओनथप्पन (पूजा), ओणम कली, रस्साकशी, थुंबी थुल्लल (महिला नृत्य), कुम्मती कली (मुखौटा नृत्य), ओनथल्लू (मार्शल आर्ट), ओनविल्लू (संगीत), कझ्चककुला (केनेन प्रसाद), ओनापट्टन (वेशभूषा), और अट्चम्यम(लोक गीत और नृत्य) भी आयोजित किए जाते हैं।
- अंतिम दिन तिरुवोनम (ओनसाद्य) के रूप में जाना जाता है और ओणम की दावत के लिए 24-28 व्यंजन तैयार किए जाते हैं।