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तो ट्रैकिंग के लिए तैयार हो जाइए, क्या और क्यों होना चाहिए आपके बैग में

September 1, 2016


ट्रैकिंग के लिए क्या और क्यों होना चाहिए आपके बैग में

ट्रैकिंग के लिए क्या और क्यों होना चाहिए आपके बैग में

आउटडोर टूरिज्म पसंद करने वालों के लिए भारत एक स्वर्ग है। यहां हर तरह के ट्रैक्स उपलब्ध हैं। देश में ट्रैकिंग का सीजन अभी शुरू होने ही वाला है। मानसून के ठीक बाद यह मौसम शुरू होगा, जो नवंबर तक रहेगा। सर्दियों के शुरू होने से पहले तक।

यदि आप नए ट्रैकर हैं या कभी-कभार ट्रैकिंग पर जाते हैं तो आपके लिए यहां दी जा रही सूचना काफी उपयोगी साबित हो सकती है। सफर शुरू करने से पहले यह जानकारी काफी काम की है। ऐसे में इसे पढ़िए और अपने बैकपैक्स को पैक करने के लिए तैयार हो जाइए।

ट्रैक के लिए तैयारी

पहली बार ट्रैकिंग पर जाने वालों के साथ ही सभी ट्रैकर्स को यह सुझाव दिया जाता है कि ट्रिप से पहले वे एक फिटनेस रूटीन बनाएं। इसमें जॉगिंग, ब्रिस्क वॉकिंग, सिट-अप्स और कार्डियो रूटीन शामिल होना चाहिए। यह आपकी मांसपेशियों को मजबूती देने के साथ ही ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित होगा। ट्रैक के दौरान कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्र में भी सांस लेने के लिए फेफड़ों की मजबूती जरूरी है। यदि आप एक भरे हुए बैकपैक के साथ पैदल चल सकते हैं, तो यह आपके लिए सबसे अच्छा है।

बैकपैक

आपके लिए एक बहुत अच्छा डिजाइन वाला, मजबूत बैकपैक चाहिए। बैग वाटरप्रूफ होना चाहिए। कम से कम पानी से बचाव करने वाला तो होना ही चाहिए। डिजाइन ऐसा होना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा सामान आ जाए। लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि उसमें उतना ही सामान रखें, जितना आप लेकर पैदल चल सकते हैं। पहली बार ट्रैक पर जाने वालों को सलाह दी जाती है कि वह कम से कम वजन रखें। लेकिन उसमें नीचे दी गई सभी आवश्यक सामग्री होनी चाहिएः

भारत में अच्छा आउटडोर और कैम्पिंग गियर आप यहां से खरीद सकते हैं-
वन स्टॉप शॉपः डेकाथलॉन- एक लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय ब्रांड होने के साथ ही यहां आपको एक ही छत के नीचे ट्रैकिंग और कैम्पिंग गियर से जुड़ा हर सामान मिल जाएगा। इसके स्टोर भारत के सभी प्रमुख शहरों में है।
ट्रैकिंग शूजः वुडलैंड, टिम्बरलैंड। मार्केट में कई सारे विकल्प मौजूद हैं। (आपको एंकल लेंग्थ के जूते खरीदना होंगे, जिनके सोल की ग्रिप अच्छी हो। यह जूते आपको अच्छे-से फिट आने चाहिए और यह बेहद जरूरी है।)
बैकपैक्सः वाइल्डक्राफ्ट, विक्टरआइनॉक्स, अमेरिकन टूरिस्टर, फास्टट्रैक, प्यूमा, द नॉर्थ फेस और वीआईपी।
स्विस आर्मी नाइफः विक्टरआइनॉक्स
बहुपयोगी सभी मौसम में पहनी जाने वाली घड़ीः कैसियो

समग्र चेक लिस्टः

स्लीपिंग बैग (1), टैंट एंड पेग्स (यदि जरूरत हो तो), हल्की रोल मैट्रेस (1), ट्रैकिंग पेंट (2), वार्म इनर वियर- टॉप एंड बॉटम (2), स्वेट शर्ट फुल (2) और टी-शर्ट्स (3), अंडरवियर (4 सेट्स), रूमाल (4), बारिश/हवा/बर्फ से बचाव करने वाले बाहरी कपड़े जिसमें हूड भी हो (1), पानी से बचाने वाले ट्रैकिंग शूज (1 जोड़ी), कॉटन सॉक्स (3 जोड़ी), प्रोटेक्शन ग्लव्स (1 जोड़ी), पानी की विशेष बोतल (1), मेडिकल किट बैग (1), सनग्लास (1), ट्रैकिंग हैट (1), ऊनी टोपी (1), कमर पर पहनने वाला पाउच, जिसमें मोबाइल फोन, पैसा रखा जा सके (1), कम्पॉस (1) और एल्टीट्यूड वॉच कम ट्रैकंग डिवाइस, केमिकल बर्निंग डिस्क (15-20 डिस्क) के साथ पोर्टेबल कुकिंग (1) और एक लाइटिंग इक्विपमेंट (1 सेट), एलईडी टॉर्च (1), रीचार्जेबल बैटरी (डिवाइस के अनुसार), रस्सी और घिरनी (1), अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्वीकार्य मल्टीपल पॉइंट चार्जर (1), कोहनी और घुटने के जोड़ों और मांसपेशियों को सपोर्ट (1), हेड माउंटेड लाइट (1), वॉकिंग स्टिक (1), स्विस आर्मी नाइफ (1), मोबाइल फोन पावर बैंक 10,000 एमएएच (1), टंग क्लीनर (1), टूथ पिक (1 पैक), टिश्यू पेपर (छोटा पैक), लिक्विड हैंड सेनिटाइजर (1), कप (1), चम्मच (2), लिक्विड सोप या एक साबुन, हेयर ब्रश या कंघा (1), मॉइश्चराइजर (1), लिप क्रीम (1), माउथ फ्रेशनर (1 लिस्टरीन छोटा वाला), गैस लाइटर (2), पॉकेट नोटबुक और पेन (1-1), मोबाइल कभी भी कवरेज एरिया से बाहर जा सकता है, ऐसे में जिस जगह ट्रैकिंग करने वाले हैं, उस इलाके का एक रोड मैप (हार्ड कॉपी) आपके पास होना चाहिए। इसके अलावा कचरा रखने के लिए बैग होना चाहिए, जिसमें आप अपना कचरा वापस लेकर आएं (3)।

इसके अलावा आपको दवाइयों और अन्य जरूरी सामान के तौर पर निम्न सामग्री भी अपने साथ रखनी चाहिएः
अमोक्सीसिलिन स्ट्रिप (एंटीबायोटिक – 2 स्ट्रिप्स), नोरफ्लॉक्स स्ट्रिप (पेट में गड़बड़ी होने पर एंटीबायोटिक – 2 स्ट्रिप्स), पैरासिटेमॉल स्ट्रिप (बुखार- 2 स्ट्रिप्स), थर्मामीटर (1), इलेक्ट्रॉल सैशे (रिहाइड्रेशन – 1 पैकेट), ग्लूकोज पाउडर (रिहाइड्रेशन – 2 पैकेट्स), वॉलिनी (मांसपेशियों को राहत देने वाला स्प्रे – 1), वोवेरान एसआर 100 टैबलेट्स (मसल पेन रिलीफ – 1 स्ट्रिप), बैंड-एड स्ट्रिप्स, डेटॉल/सैवलॉन एंटी-बायोटिक लोशन (1 बोतल), स्टेरिलाइज्ड गॉज एंड टेप, 3एम माइक्रोपोर टेप (1 रोल), क्रैप बैंडेज (1 रोल), वाटर स्टेरिलाइजिंग टेबलेट्स या ड्रॉप्स।

सनस्क्रीन लोशन

एंटी-मॉस्किटो रिपेलेंट क्रीम या लोशन – ओडोमॉस
हाई प्रोटीन बिस्कुट्स और बार – प्रोटिनेक्स, थ्रेप्टिन और राइटबाइट
चॉकलेट्स बार- स्निकर्स, ड्राय फ्रूट बार (ग्रेनोला), पीनट बटर जार, चीज स्प्रेड जार, कैन फूड (अपनी-अपनी पसंद के अनुसार और वजन की जरूरत को ध्यान में रखते हुए), मैगी या नोर नूडल्स।

पढ़ने के लिए किताब- अपनी पसंद के अनुसार। ट्रैकिंग के दौरान आपके पास खूब वक्त होगा। आप इसका इस्तेमाल अच्छी किताब पढ़ने में कर सकते हैं। आप अपने पसंदीदा लेखक की कोई किताब साथ में रख सकते हैं। ‘लोनली प्लेनेट’ का ताजा अंक भी आपकी मदद करेगा।

यदि आपको लिखना अच्छा लगता है तो बड़ी नोट बुक एक अच्छा आइडिया है। यदि आप नेचर फोटोग्राफी में रुचि रखते हैं तो आप अपने साथ डीएसएलआर कैमरा भी रख सकते हैं। खासकर यदि आपको लगता है कि आपके मोबाइल का कैमरा अच्छा नहीं है। अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार कैनन ईओएस सीरीज, निकॉन और सोनी डीएसएलआर कैमरा और उसकी एसेसरीज को चुने।

सबसे महत्वपूर्ण, आपकी पैकिंग लिस्ट की पहली शर्त यह है कि आपके बैग में उतना ही सामान होना चाहिए, जितना आप उठाकर पैदल चल सके। यह भी देखना जरूरी है कि आप अकेले जा रहे हैं या आपके साथ कोई और भी होगा। उस स्थिति में आप जरूरी सामान बांट सकते हैं। आधा सामान वो ले लें और आधा आप। इससे आपके पास अतिरिक्त कपड़े या खाना रखने का
विकल्प होगा।

स्मार्ट ट्रैकिंग के लिए कुछ टिप्सः

जिस क्षेत्र या इलाके में आप ट्रैकिंग करने जा रहे हैं, उसके बारे में जानकारी हासिल कर लें। आप जिस जगह पर ट्रैक करने वाले हैं, उसके आसपास की जगहों की जानकारी भी आपको याद होनी चाहिए। बेहतर होगा कि आप उस जगह के नक्शे को अपने दिमाग में उतार ले।

स्थानीय लोगों के बारे में पढ़िए। उनकी संस्कृति, खान-पान, त्योहार के बारे में पता कीजिए। वे एक-दूसरे का अभिवादन कैसे करते हैं, यह जानना आपके लिए लाभकारी साबित होगा। बेहतर होगा यदि आप स्थानीय भाषा में कुछ अभिवादन और प्रश्न सीख जाइए, यह आपको स्थानीय लोगों से जुड़ने में मददगार साबित होगा। यह भी याद रखें कि जरूरत के वक्त पर स्थानीय लोग ही आपकी मदद कर सकते हैं।

हमेशा यात्रा के सामान वाला बैग हल्का होना चाहिए, लेकिन उसमें सभी जरूरी वस्तुएं शामिल होने चाहिए।
अपने साथ एक्स्ट्रा चॉकलेट्स और कैंडीज रखें, जिन्हें आप स्थानीय बच्चों को देंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा। वे खुश होंगे।
आपके पास स्थानीय अस्पताल, पुलिस थाने, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ऑफिस के नंबर होने चाहिए। साथ ही पास के पोस्ट ऑफिस और बैंक का पता व नंबर भी लिख लीजिए। आपको नहीं पता कि आपको इनकी जरूरत कब पड़ जाए।

स्थानीय नियम और रीति-रिवाजों को कभी न तोड़ें, कचरा न फैलाएं (अपना कचरा साथ लाएं या निर्धारित स्थान पर ही फेंकें या नष्ट करें)।
विनम्र रहे। स्थानीय लोगों से बात करते वक्त धीमी आवाज में बात करें। तेज आवाज में संगीत न बजाएं। शराब पीने से बचे और बेवजह लोगों को परेशान न करें। शहरी अहंकार किसी को पसंद नहीं आता।

ट्रैक के स्टार्टिंग पॉइंट पर पहुंचने की योजना बनाएं और स्थानीय गाइड की मदद लें।
यह सुनिश्चित करें कि आपके सभी आउटरवियर वाटर प्रूफ, विंड रेजिस्टेंट होने के साथ ही आरामदेह हो।
ट्रैक के दौरान, दूसरों से आगे रहने के लिए अति-उत्साही बनने की कोशिश न करें। अपने शरीर की सुने। यदि आप थकान या अस्वस्थता महसूस कर रहे हैं तो अपने गाइड से बात करें।

ट्रैक के लिए कहां जाएं-

उत्तर में, लद्दाख, हिमचाल प्रदेश और उत्तराखंड में कई तरह के ट्रैकिंग विकल्प मिलते हैं। कम, मध्यम और ऊंची एल्टीट्यूड वाले ट्रैक्स हैं। यह ट्रैक पर जाने वाले के अनुभव और फिटनेस पर निर्भर करता है।

यदि पहली ही बार ट्रैक पर जा रहे हैं तो 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले स्थान से बचे। हर दिन 4-5 किमी से ज्यादा न चलें। फिर चाहे आपको ऐसा लग रहा हो कि आपका शरीर और आगे जा सकता है। यदि आप लंबे ट्रैक पर हैं तो इसे बाद में बढ़ाकर 6-7 किमी तक ले जा सकते हैं। आपका शरीर भी बढ़ा हुआ तनाव सहन करने योग्य बन जाता है।

पहाड़ पर एक किलोमीटर की चढ़ाई और मैदानी इलाकों में तीन किलोमीटर की ब्रिस्क वॉक एक जैसी ही है। दोनों में स्ट्रेस लेवल समान होता है। यह भी याद रखें कि आप रोज जैसे पैदल चलते हैं, ट्रैकिंग वैसा नहीं है। आपको सामान भी लादकर चलना है। इसी वजह से ट्रैक पर जाने से पहले हाई कार्डियो फिटनेस रूटीन की सलाह दी जाती है। खासकर ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने से पहले।

ऊंचे पहाड़ों पर ट्रैकिंग के लिए मौसम से जुड़ी सीमाएं होती हैं। लेकिन कई ऐसे स्थान भी है जहां साल में कभी भी ट्रैकिंग की जा सकती है। यह जंगली या कम ऊंचाई वाले स्थान हैं। आप इसमें से कोई एक चुन सकते हैं।

कुछ लोकप्रिय ट्रैक्स की जानकारी नीचे दी गई हैः

उत्तरः
लद्दाख में ट्रैकिंगः
मरखा घाटी ट्रैक – 5,000 फीट की ऊंचाई वाला ट्रैक। सबसे अच्छा वक्त होता है- जून से सितंबर के बीच का।
लामायुरु से दरचा ट्रैक – 16,400 फीट की ऊंचाई। सबसे अच्छा वक्त- जुलाई से सितंबर।
रिपचर घाटी ट्रैक- 14,000 फीट की ऊंचाई। सबसे अच्छा वक्त- जुलाई से सितंबर।
मरखा घाटी से स्टोर कांगड़ी – 16,000 फीट की ऊंचाई। सबसे अच्छा वक्त- जून से अक्टूबर मध्य।
हिमाचल प्रदेश में ट्रैकिंग
हम्प्टा दर्रा ट्रैकः कुल्लू-मनाली घाटी से लाहौल में चंद्र घाटी के बीच में – 13,800 फीट की ऊंचाई। सबसे अच्छा वक्त – जून से अक्टूबर।
बारालाचा चंद्रताल ट्रैक- बारालचा से चंद्रताल या मून लेक तक का खूबसूरत ट्रैक- 16,000 फीट की ऊंचाई। सबसे अच्छा वक्त- अप्रैल से अक्टूबर।
त्रिकुंड धरमकोट ट्रैक- दौलाधर रेंज की तलहटी से शुरू होकर यह ट्रैक धरमकोट तक जाता है। 9,800 फीट की ऊंचाई। सबसे अच्छा वक्त- अगस्त से अक्टूबर।
मैकलोडगंज चंबा ट्रैक- यह ट्रैक जंगलों से होकर गुजरता है और पीर पंजाल पहाड़ी तक पहुंचता है। पृष्ठभूमि में दौलाधर रेंज की पहाड़ी दिखाई देती है। 12,000 फीट की ऊंचाई। सबसे अच्छा वक्त- जन और सितंबर से अक्टूबर तक।
राज्य में ट्रैकिंग से जुड़ी और जानकारी के लिए आप यहां संपर्क कर सकते हैं-
हिमाचल प्रदेशः अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड अलाइड स्पोर्ट्स, मनाली (एबीवीआईएमएएस)
उत्तराखंड में ट्रैकिंगः

चोपटा चंद्रशिला ट्रैकः गोपेश्वर-उखीमठ रास्ते पर स्थित चोपटा से चंद्रशिला का ट्रैक आपको तुंगनाथ मंदिर तक ले जाएगा। यह हिमालय में स्थित सभी मंदिरों में से सबसे ऊंचाई पर स्थित है। चोपटा 9,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां जाने का सबसे अच्छा वक्त है- मार्च से नवंबर।

ऋषिकेश फूलों की घाटी ट्रैक- ऋषिकेश से शुरू होकर यह फूलों की घाटी तक तीन किमी का एक तुलनात्मक रूप से आसान ट्रैक है। 11,800 फीट की ऊंचाई। सालभर खुला रहता है। हालांकि, मानसून में ट्रैकिंग से बचे।

कुअरी दर्रा रूपकुंड ट्रैक- यह ट्रैक आपको नंदादेवी के खूबसूरत और नयनाभिराम दृश्यों के पास ले जाएगा। चौखंभा, त्रिशुल और कामेट भी यहां से दिखाई देते हैं। कुअरी 13,600 फीट और रूपकुंड 14,800 फीट ऊंचे ट्रैक है। सबसे अच्छा वक्त होता है- जून, सितंबर और अक्टूबर।
राज्य में ट्रैकिंग से जुड़ी और जानकारी हासिल करने के लिए आप संपर्क कर सकते हैं-
नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, देहरादून