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भारत में 10 जगहें, जहां महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है

September 8, 2016


भारत में 10 जगहें, जहां महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है

भारत में 10 जगहें, जहां महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सूची में सबसे ऊपर है, जहां महिलाओं के परिसर में प्रवेश पर पाबंदी है। संस्थान ने हाल ही में मौलाना आजाद लाइब्रेरी में लड़कियों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया। संस्थान के कुलपति (वीसी) का कहना है कि यदि लड़कियों को लाइब्रेरी में आने दिया तो लड़कों का ध्यान बंटेगा। साथ ही अनुशासन से जुड़ी समस्याएं भी पैदा हो जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि लड़कियों को लाइब्रेरी में आने दिया तो लड़के चार गुना तादाद में वहां पहुंचेंगे और समस्या पैदा करेंगे

हाजी अली दरगाह, मुंबई

मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह के अंदर वाले हिस्से में महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती। दरगाह ट्रस्ट के पदाधिकारियों के मुताबिक शरीया कानून महिलाओं को कब्रिस्तान या कब्र के पास जाने की इजाजत नहीं देता। दरगाह में कब्र का हिस्सा सबसे पवित्र है। इस्लामिक कानून में महिलाएं कब्र पर नहीं जा सकती और दरगाह का अंदरूनी हिस्सा एक कब्र होने की वजह से महिलाओं पर यह कानून लागू होता है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले महिलाओं को कब्र तक जाने की अनुमति थी, जो एक बड़ी गलती थी। 2012 में एक फैसले के जरिए महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया और उस गलती को ठीक किया गया।

हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने आदेश में हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के आदेश को पलट दिया। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रस्ट का आदेश संविधान में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करता है। यदि किसी जगह पर पुरुष जाकर आराधना कर सकते हैं तो वहां महिलाओं को रोका नहीं जा सकता। उन्हें भी बराबरी से वहां जाकर आराधना करने का हक है।

अयप्पा मंदिर, सबरीमाला

सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि इस आयु समूह की लड़कियों और महिलाओं को माहवारी होती है, इस वजह से वह अपवित्र होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस प्रश्न पर मंथन शुरू किया है कि क्या एक ही लिंग के लोगों से भेदभाव की इजाजत धर्म या कोई मान्यता देती है? मंदिर प्रशासन इस व्यवस्था को पिछली कई सदियों से मान रहा है और इस पर चल रहा है। जबकि न्यायिक संस्था का मानना है कि यह प्रथा लोकतांत्रिक देश में समानता के अधिकार का उल्लंघन करती हैं।

दिल्ली की जामा मस्जिद

दिल्ली की जामा मस्जिद देश में अपनी तरह की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसमें सूर्यास्त की नमाज यानी मगरीब के बाद महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल

केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में महिलाएं मंदिर के तहखाने तक नहीं जा सकतीं। हाल ही में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की एक महिला अधिकारी ने प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने की कोशिश की तो उसे भी रोका गया था। तहखानों में सदियों पुराना लाखों करोड़ रुपए का खजाना रखा हुआ है।

भगवान कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर

ऐसा कहा जाता है कि पुष्कर के कार्तिकेय मंदिर में यदि महिला जाती है तो उसे आशीर्वाद नहीं बल्कि श्राप मिलता है। सदियों पुरानी यह व्यवस्था आज भी कायम है। मंदिर में महिलाएं प्रवेश नहीं करतीं।

पतबौसी सत्र, असम

असम के पतबौसी सत्र मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है। इसके पीछे एक आदेश है कि मंदिर को अपवित्र होने से बचाना है। मंदिर को चलाने वाली प्रशासनिक संस्था का कहना है कि माहवारी में महिला अपवित्र हो जाती है। 2010 में, असम के तत्कालीन राज्यपाल जेबी पटनायक ने कुछ महिलाओं के साथ मंदिर में प्रवेश कर नियम तोड़ा था। लेकिन बाद में यह नियम फिर से लागू कर दिया गया।

जैन मंदिर, गुना, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उत्तरी हिस्से में स्थित गुना के जैन मंदिरों में सामुदायिक नेताओं ने टॉप्स और जींस जैसे पश्चिमी परिधानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यदि लड़की या महिला ने ऐसे कपड़े पहने हैं तो वह मंदिर में नहीं जा सकती।

निजामुद्दीन दरगाह, नई दिल्ली

नई दिल्ली की निजामुद्दीन दरगाह पर महिलाओं को कब्र तक जाने की इजाजत नहीं है। उन्हें सिर्फ बाहरी हिस्से में जाने की इजाजत है। दरगाह प्रशासन का कहना है कि भले ही मुंबई की हाजी अली दरगाह में महिलाओं को अंदर तक प्रवेश की इजाजत दे दी गई हो, हम ऐसा नहीं होने देंगे। उनकी दलील है कि हाजी अली में कुछ साल पहले तक महिलाएं प्रवेश कर पाती थी, लेकिन निजामुद्दीन दरगाह में महिलाओं को कभी भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। यह नियम सभी महिलाओं पर लागू होता है, फिर चाहे वह कोई भी हो।

भवानी दीक्षा मंडपम, विजयवाड़ा

हाल ही में विजयवाड़ा में भवानी दीक्षा मंडपम में जयंती विमला को मंदिर का मुख्य पुजारी बनाया गया। इससे पहले उनके पिता मुख्य पुजारी थे, जिनका निधन हो गया। चूंकि, उनके पिता को कोई पुत्र नहीं था, इस वजह से आंध्र प्रदेश सरकार ने 1990 में उन्हें वम्सा परंपर्या अचक्य या उत्तराधिकारी होने के नाते मुख्य पुजारी बनाया था। उनके इस पद के बावजूद उन्हें मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। अन्य महिलाओं को अनुमति देने का तो सवाल ही नहीं उठता।