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तेलंगाना की प्यास बुझाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने किया मिशन भागीरथ का शुभारंभ

May 15, 2017


Mission-Bhagiratha-hindi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 अगस्त 2016 को गजवेल विधानसभा क्षेत्र के कोमातिबांदा गांव में 42,000 करोड़ रुपये की लागत से ‘मिशन भागीरथ’ परियोजना की शुरूआत की जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र को पाइप द्वारा पेयजल उपलब्ध कराना है जो तेलंगाना के मेडक जिले का हिस्सा है। यह परियोजना मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस परियोजना से गजवेल विधानसभा क्षेत्र के 67,000 शहरी और 25,000 ग्रामीण परिवारों की पेयजल की समस्या का अंत हो जायेगा। प्रधानमंत्री ने कोठापल्ली से मनोहराबाद के बीच 152 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का शुभारंभ भी किया है। यह रेलवे लाइन हैदराबाद को करीमनगर से जोड़ने में अहम भूमिका निभायेगी, इस प्रकार इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों की कई समस्याओं का अंत हो जायेगा। प्रधानमंत्री ने एनटीपीसी के तेलंगाना सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की स्टेज 1 – 2×800 मेगावाट की नींव रखी और जिला करीमनगर में रामागुंदम उर्वरक संयंत्र के पुनरुद्धार की शुरुआत की। राज्य में चिकित्सा के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और वारंगल के कालोजी नारायण राव यूनिवर्सिटी फॉर हेल्थ साइंसेज की शुरूआत की। 2014 में तेलंगाला की स्थापना के बाद यह प्रधानमंत्री की पहली तेलंगाला यात्रा है, अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने केसीआर की अगुवाई वाली सरकार की तारीफ की, जब उन्होंने पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार की उपलब्धियों की बात की थी। अनियमित मानसून और बारिश के पानी के उपयोग में खराब बुनियादी रखरखाव से ग्रस्त इस क्षेत्र को इस विशाल पेयजल आपूर्ति परियोजना की बहुत आवश्यकता है। मिशन भागीरथ परियोजना के 2018 तक पूर होने की उम्मीद है। इस परियोजना से राज्य के एक बड़ा हिस्से को पाइप युक्त पेयजल के अलावा कृषि और उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी जल प्राप्त हो जायेगा। भारत का यह सबसे छोटा राज्य साल भर बहने वाली दो नदियों गोदावरी और कृष्णा के समीप बसा है। आंधी युक्त मानसून से पीड़ित होने के कारण इस राज्य में सूखे जैसी विकट समस्यी पैदा हो गई है। कई बड़ी समस्याओं से ग्रस्त इस क्षेत्र के करीब 973 गाँव उच्च फ्लोराइड युक्त दूषित जल पीने को मजबूर हैं। परिणामस्वरूप, लोग फ्लोरोसिस जैसी बीमारियों का सामना कर रहे हैं।

मिशन भागीरथ की मुख्य विशेषताएं

  • राज्य में पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिये क्षेत्र के जलाशयों के अलावा कृष्णा और गोदावरी नदियों के जल का  संरक्षण और आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी।
  • 1,30,000 कि.मी लंबी पानी की पाइप लाइन से- कुल 26 आंतरिक ग्रिड, 62 मध्यवर्ती पम्पिंग स्टेशन, 16 कुओं, 110 जल उपचार संयंत्र और 37,573 ओवरहेड सेवा जलाशयों को जल की आपूर्ति की जायेगी।
  • इसके निर्माण में 42,000 करोड़ रुपये की कुल लागत आयेगी।
  • 2018 तक इसका निर्माण कार्य पूरा होगा।
  • विस्तृत स्थलाकृति विश्लेषण के आधार पर, न्यूनतम बिजली (182 मेगावाट) और गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके पानी का उत्पादन किया जायेगा।
  • गजवेल विधानसभा के, नगर निगमों के क्षेत्र में 67,000 शहरी परिवारों को 150 लीटर प्रति दिन प्रति घर की दर से पेयजल आपूर्ति की जायेगी।
  • ग्रामीण क्षेत्र के 25,000 परिवारों को 100 लीटर प्रति दिन प्रति घर की दर से पेयजल आपूर्ति की जायेगी।
  • परियोजना का 10% जल औद्योगिक उपयोग के लिए आवंटित है।
  • गांवों में महिलाएं गांवों में पानी के वितरण, निरीक्षण करने और करों का संग्रह करने के लिए सशक्त हैं।
  • गोदावरी नदी से खींचा जाने वाला पानी: 19.67 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी)।
  • कृष्णा नदी से खींचा पानी: 19.65 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी)।

 मिशन भागीरथ में एकीकृत ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क

राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिये तेलंगाना, भारत के सबसे बड़े ऑप्टिकल फाइबर आधारित ब्रॉडबैंड नेटवर्क को स्थापित करने के लिए तैयार है। इस योजना के तहत ऑप्टिकल फाइबर पाइप लाइनों को बिछाने के लिये मिशन भागीरथ योजना के तहत स्थापित किए जा रहे व्यापक जल पाइप लाइनों का इस्तेमाल किया जायेगा। इससे राज्य को एक बड़ी राशि प्राप्त होगी जो एक अलग ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क स्थापित करने के लिए आवश्यक होगी। इस कार्य के पूरा होने पर, राज्य में हर उस स्थान पर जहाँ पर भी जल पाइप लाइनों की उपलब्धता होगी, कम लागत वाला उच्च गति डेटा और वीडियो उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे तेलंगाना राज्य में ई-गवर्नेंस, ई-हेल्थ सर्विसेज और ई-शिक्षा पहल को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य इस परियोजना से प्रेरणा लेकर इस मॉडल को अपनाने की योजना बना रहे हैं।

केसीआर अपनी पहली सफलता को दोहरा रहे हैं

मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव एक ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जो मैक्रो जल प्रबंधन और वितरण के तरीकों पर अधिकारिक दावा कर सकते हैं। चंद्रशेखर राव ने 1996 में, एक युवा विधायक के रूप में, सिद्दीपेट के सूखे क्षेत्र में 60 करोड़ की लागत से एक पाइप युक्त पेयजल परियोजना बनाई और लागू की। इस परियोजना के तहत, लोअर माने बांध से लिये गये पानी से 180 गाँवों के घरों की आपूर्ति की गई। दो दशक बाद, यह परियोजना सफलतापूर्वक काम कर रही है और इस सफलता का श्रेय चंद्रशेखर राव को जाता है। चंद्रशेखर राव मिशन भागीरथ जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना के प्रेरणा स्त्रोत हैं। अपने कार्यकाल के शुरूआती दो साल के दौरान वे ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाये परन्तु इस परियोजना के साथ, चंद्रशेखर राव तेलंगाना की राजनीति में सबसे बड़े नेता के रूप में उभरने के लिए तैयार हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू को हैदराबाद में आईटी क्रांति लाने के लिये हमेशा याद किया जाएगा, लेकिन इस परियोजना के साथ, सीएम के. चंद्रशेखर का राव स्तर भी आगे बढ़ेगा। राज्य में आईटी नेटवर्क के साथ जल वितरण के विकास की उनकी दोहरी रणनीति, तकनीकी और राजनीतिक रूप से एक शानदार कदम है। प्रधानमंत्री मोदी को यह एहसास है कि आज के दिन से केसीआर की स्थिति और मजबूत हो रही है। तीसरे मोर्चे को संभावित खतरे के साथ, बीजेपी को अपने पक्ष में एक सहायक केसीआर की जरूरत है और सीधे गठबंधन नहीं होने पर वह यह सुनिश्चित करने के लिए दूरी तक जाने के लिए तैयार हैं कि वह राजनीतिक रूप से मित्रवत रहें। कोई आश्चर्य नहीं कि वे पिछले दो वर्षों में शुरू किए गए प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री और उनके प्रशासन की प्रशंसा थे। ऐसा लगता है कि यह एक ऐसा संगठन है जो अभी भी प्रगति पर काम कर रहा है।