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बिहार महाभारतः पीएम मोदी बिहार में 10 और महा-परिवर्तन रैली करेंगे

September 14, 2015


पीएम मोदी बिहार में 10 और महा-परिवर्तन रैली करेंगे

बिहार में अब तक जितनी भी परिवर्तन रैली हुई हैं, उनमें लोगों की मौजूदगी और उनका प्रतिसाद देखकर बीजेपी कार्यकर्ता और नेता उत्साहित हैं। ऐसा लगता है कि 1.25 लाख करोड़ रुपए के विशेष पैकेज का लोगों ने स्वागत किया है। इसी का नतीजा है कि अब बीजेपी राज्य में 10 और महापरिवर्तन रैलियां आयोजित कर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।

बीजेपी के पास बिहार में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसा कोई स्थानीय करिश्माई नेता या कुशल वक्ता नहीं है। इस वजह से पार्टी ने तय किया है कि बिहार में एनडीए के अभियान के चेहरे और रैलियों में प्रमुख शुभंकर के तौर पर नरेंद्र मोदी का इस्तेमाल किया जाए। इससे स्थानीय बीजेपी इकाई उत्साहित नजर आ रही है। उसे अपने दम पर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लेने का भरोसा है। एनडीए में सहयोगी दलों को भी बिहार की वस्तुस्थिति पता है। इसी वजह से ज्यादा सीटों के लिए घटक दलों की आवाज कम ही सुनाई दी है।

जीतन राम मांझी का बेटा हिरासत में

 

बिहार में सनसनीखेज घटनाक्रम के तहत पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के छोटे बेटे प्रवीण मांझी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। नक्सल प्रभावित जहानाबाद जिले में यह घटना घटी। नियमित जांच के लिए प्रवीण की कार को रोका गया था। जांच में कार में 4.5 लाख रुपए नगद बरामद हुए। प्रवीण इन पैसों का कोई हिसाब नहीं दे सका। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

यह घटना उस समय हुई जब जीतन मांझी दिल्ली में बीजेपी हाईकमान के सामने ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे। खबरों के मुताबिक वह इस बात से नाखुश हैं कि उन्हें 15 सीटों की पेशकश की गई। वे पांच सीट और चाहते हैं। वे इस बात से भी नाराज हैं कि बीजेपी ने एनडीए के अन्य दलों एलजेपी और आरएलएसपी के मुकाबले उन्हें सबसे कम सीटों की पेशकश की। वैसे अभी सीटों के बंटवारे की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।

धनबल और बाहुबल का साया चिंता का कारण

 

बिहार चुनावों पर पारंपरिक रूप से धनबल और बाहुबल का साया रहा है। काफी हद तक नतीजे भी प्रभावित होते आए हैं। चुनाव आयोग को इसी बात की चिंता है। वह कोई चूक नहीं करना चाहता। इसी वजह से उसने 18 हजार अराजक तत्वों की पहचान की है। उनसे सीआरपीसी की धारा 107 के तहत यह बॉन्ड भरवाया है कि वे चुनावों के दौरान अच्छा बर्ताव करेंगे। इसके जरिए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है कि उन पर पुलिस का दबाव रहे और वे चुनाव संबंधित किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल न हो।

पुलिस को सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उन सभी अपराधियों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए हैं जिनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हैं। इतना ही नहीं, 93 हजार लाइसेंसी हथियारों को चुनाव खत्म होने तक प्रशासन के पास जमा करने को कहा गया है।

बड़ी संख्या में मौजूद इन हथियारों के साथ ही बिहार में बेहिसाब अवैध हथियार भी हैं। इनकी वजह से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की चुनौतियां भी कम नहीं हैं। खासकर वोट प्रतिशत कम होने की आशंका बनी रहता है, जिसके प्रमुख कारणों में डर और दहशत भी शामिल है। 2010 के विधानसभा चुनावों में 52 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले थे। वहीं 2014 के लोकसभा चुनावों में 56 प्रतिशत ने।

चुनाव आयोग को भरोसा है कि इस बार वोटिंग का प्रतिशत रिकॉर्ड तोड़ेगा। किसी भी तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए अर्द्धसैनिक बलों को तैयार रहने को कहा गया है। ताकि मतदाता घर से बाहर निकलकर बिना किसी डर के वोट डाल सके।

 

इन नेताओं पर रहेगी नजरः सुशील कुमार मोदी

 

(जन्म 5 जनवरी 1952)

पटना, बिहार के कारोबारी परिवार में जन्में सुशील कुमार मोदी काफी कम उम्र में आरएसएस की ओर आकर्षित हुए थे। 1962 के भारतचीन युद्ध के दौरान सक्रिय रहे। इसके बाद सक्रिय प्रचारक बने और बिहार के कई हिस्सों में घूमघूमकर आरएसएस की विचारधारा का प्रचारप्रसार किया।

उन्होंने वनस्पति शास्त्र में बीएससी (ऑनर्स) की और फिर पटना विश्वविद्यालय में ही वनस्पति शास्त्र में एमएससी। पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति से जुड़े। छात्रसंघ के महासचिव तक बने। उस समय लालू यादव छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। इसके बाद सुशील मोदी बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति में भी शामिल हुए, जिसने 1974 में जेपी आंदोलन के दौरान बिहार के छात्रों का नेतृत्व किया था। उन्हें आपातकाल के दौरान पांच बार गिरफ्तार किया गया। 19 महीने तक जेल में भी रहे।

1990 में वे दलगत राजनीति में शामिल हुए। मध्य पटना विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते भी। 1995 और 2000 में भी विधायक चुने गए। 1996 से 2004 तक बिहार राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की। जिसमें आगे चलकर लालू दोषी साबित हुए और निचली अदालत ने सजा भी सुनाई। इसी वजह से वे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गए हैं।

नवंबर 2005 और जून 2013 के बीच, बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री रहे। 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में वे मुख्यमंत्री पद के बीजेपी के मजबूत दावेदारों में से एक हैं।

 

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः मधुबनी

मधुबनी पूर्वी चंपारन जिले का एक शहर है। 1972 में दरभंगा जिले से इसे अलग किया गया था। उससे पहले वह मिथिला का मध्य का हिस्सा हुआ करता था। मधुबनी का कृषि और बुनकरी में एक लंबा इतिहास है। मधुबनी को खादी से जोड़ा जाता है। वहीं मधुबनी पेंटिंग्स की लोकप्रियता भी कम नहीं है।
मधुबनी का क्षेत्रफलः 3501 वर्ग किमी

जनसंख्याः 2011 की जनगणना के मुताबिक 44,87,379

2010 विधानसभा चुनावों में विजेताः शिवजी राय, जेडी(यू)

जीत का अंतरः 10,122 वोट्स; कुल वैध मतों का 9.86%

उपविजेताः राणा रणधीर, आरजेडी

पुरुष मतदाताः 51,224; महिला मतदाताः 51,446; कुलः 1,02,670

मतदान प्रतिशतः 57.45 प्रतिशत

पुरुष उम्मीदवारः 10; महिला उम्मीदवारः 0

मतदान केंद्रः 192