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बेंगलूरु के लिए पॉड कैब – सपना या हकीकत?

May 11, 2017


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एक विकसित शहर की परिभाषा निजी वाहनों की संख्या से नहीं होती है, जो वहां के निवासियों के पास हैं बल्कि उसकी ताकत वहां का सार्वजनिक परिवहन होता है। भारत जैसे देश जो अधिक से अधिक स्मार्ट शहरों का निर्माण करने की इच्छा रखते हैं, तब वहां स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित एक मजबूत सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क का विकास और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत सरकार सयुक्त रूप से गति,  सौर ऊर्जा और कुशल परिवहन को एक निश्चित समाधान प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी पर ध्यान दे रही है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि बेंगलुरू (एक शहर जिसे अक्सर भारत की तकनीकी राजधानी कहा जाता है) को देश में पहली निजी रैपिड ट्रांजिट (पीआरटी) प्रणाली की मेजबानी के लिए चुना गया है।

पॉड कैब्स का परिचय

पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एक प्रोवाईड-ऑन-डिमांड (पीओडी) है जो एक चालक-रहित (स्वचालित) टैक्सी है, यह एक ऊंचे ट्रैक पर चलती है और इसे केंद्रीय रूप से नियंत्रित किया जाता है। यह बिल्कुल केबल कार जैसी दिखती है, कम दबाव वाले ट्यूबों के माध्यम से इस स्वचालित टैक्सी को चलाने के लिये चुंबकीय बलों का इस्तेमाल करते हुए परिवहन की एक तकनीकी के रूप में बहुत उन्नत प्रणाली तैयार की गई है। आप अपने गंतव्य को पूर्व निर्धारित कई विकल्पों में से चुन सकते हैं। बेंगलुरू के वर्कबेन्च प्रोजेक्ट्स को हाइपरलूप इंडिया के साथ भागीदारी करने के लिए चुना गया है जो एक आदर्शपॉड का निर्माण करने के लिए वैश्विक कार्यान्वयन के लिए चुना जा सकता है। लंदन में आगंतुकों को हीथ्रो हवाई अड्डे से लंदन अंडरग्राउंड (ट्यूब) स्टेशनों तक पहुचने के लिए पोड कैब उपलब्ध हैं।

हाइपरलूप वन ग्लोबल चैलेंज (एचओजीसी)

हाइपरलूप एक लॉस एंजेल्स आधारित कंपनी है जो पॉड पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम को एक वास्तविकता बनाने के लिए काम कर रही है। मई 2016 में कंपनी ने वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए भारत की पांच टीमों को चुना था। दुनिया के 90 देशों की 2600 कम्पनीयों में से 35 कम्पनियाँ चुनी गयीं थीं जिनमे से ये पांच कम्पनियाँ आपके सामने हैं – एईसीओएम, डिनक्लिक्स ग्राउंड वर्क्स, हाइपरलूप इंडिया, इंफी-अल्फा, और लक्स हायपरलूप नेटवर्क। वॉशिंगटन डीसी और लंदन में आयोजित वैश्विक चुनौती के दो प्रदर्शन स्पर्धाओं के अलावा, एक इस साल फरवरी में नई दिल्ली में आयोजित हुई जो भारत के महत्व को दर्शाती है।

हाइपरलूप इंडिया के ऑर्कापॉड ने 35 कंपनियां चुनी हैं जिनमें से 5 भारतीय कंपनियाँ चुनी गयी हैं, हाइपरलूप इंडिया के ऑर्कापॉड  सबसे अधिक खरा उतरा है जिनमें कैलिफ़ोर्निया के हॉथोर्न में स्पेसएक्स की वैक्यूम ट्यूब सुविधा का परीक्षण किया जा रहा है। हाइपरलूप इंडिया टीम में बीआईटीएस पिलानी और आईआईएम अहमदाबाद सहित कुछ प्रमुख भारतीय संस्थानों के लगभग 80 छात्र शामिल हैं।

परीक्षण ग्राउंड इंडिया

हाइपरलूप वन और इसके मुख्य प्रतियोगी हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजीज (एचटीटी) दोनों ही भारत को आदर्श परीक्षण जगह के रूप में देख रहे हैं। एचटीटी प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न मंत्रियों से मुलाकात की थी। उनके पास गुड़गांव में पॉड परीक्षण के बारे में कुछ खबर थी, लेकिन हाइपरलूप इंडिया और वर्कबेन्च परियोजनाओं के बीच नई साझेदारी को देखते हुए अब यह लगता है कि अब ये पॉड कैब बेंगलुरु में जांच की जा सकती हैं। वास्तव में, शहर के मुख्य नगर निगम, बृहत बेंगलुरु महानगरा पालीके (बीबीएमपी) ने भी 35 किलोमीटर से अधिक तक के छह अलग-अलग मार्गों को चुना है, जहां इन पॉड कैब का कार्यान्वयन किया जा सकता है।

चुनौतियां

पॉड कैब को वास्तविकता प्रदान करने से पहले कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, वैसे पॉड कैब को चलाने का विचार अद्भुत है, धन की समस्या बड़े चुनौतियों में से एक है कि बीबीएमपी पहले ही नकदी की तंगी से जूझ रही है तथा प्रदूषण और खराब कचरा प्रबंधन प्रणालियों जैसे कई मुद्दों का सामना कर रही है। क्या हमारे देश की महान जनता पॉड कैब्स का व्यावहारिक समर्थन करेगी? भारतीय परिस्थितियों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में समर्थन प्राप्त करना एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती है जिसका सामना करना होगा।

पॉड कैब एक खूबसूरत सपना है और हमें आशा है कि यह जल्द ही बेंगलुरू में वास्तविकता के रूप में साकार होगा।