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2018 के शीर्ष भारतीय राजनेता

December 26, 2018


2018 में सुर्खियां बटोरने वाले राजनेता

देश में कांग्रेस के पुनरुद्धार और उत्तर प्रदेश के सीएम के सुर्खियों में रहने से लेकर, तेलंगाना और फिर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने तक, कई मायने में साल 2018 राजनीतिक उठापटक के परिदृश्य के साथ काफी महत्वपूर्ण रहा। राजनीति कभी इधर कभी उधर लुढ़कने वाले बिन पेंदी के लोटा की तरह है इसके सिवा और कुछ नहीं।

हमारे प्रिय राजनेताओं के बिना राजनीतिक दृश्य क्या है? बिल्कुल, प्रिय ’नहीं? इसलिए, वर्ष की समाप्ति पर, हम आपके लिए शीर्ष पांच राजनेताओं की अपनी व्यक्तिगत (निजी) सूची लाए हैं- जो 2019 में पूरे ताकत के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

राहुल गांधी

राहुल गांधी को 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। अब एक साल हो गया- न सिर्फ गांधी के लिए, बल्कि हम सब लोगों के लिए जो इसके साक्ष्य रहे हैं। अभी भी “इटलियन राजकुमार” कहकर उनका उपहास किया जा रहा है जबकि पार्टी के साथ वह एक लंबा सफर तय कर चुके हैं।

2014 के लोकसभा चुनावों में बुरी तरह से हार जाने के बाद, कांग्रेस ने इस वर्ष छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख राज्यों में वापसी की। हालाँकि, उन्हें पूरी तरह से धारा प्रवाह जीत नहीं मिली। मिज़ोरम राज्य, उत्तर-पूर्व में कांग्रेस का आखिरी गढ़ है, जो पहले एक दशक के शासन के बाद अब एमएनएफ के अधीन है।

कलवकुंतला चंद्रशेखर राव (केसीआर)

तेलंगाना में दूसरी बार जीत दर्ज कर चुके मुख्यमंत्री के लिए यह साल काफी उल्लेखनीय रहा हालांकि यह काफी चुनौतीपूर्ण था। सितंबर 2018 में, राज्य विधानसभा को भंग करने का उनका निर्णय कठोर जांच और आलोचना के अधीन आया। स्वाभाविक रूप से, कई लोग आश्चर्यचकित थे कि क्या वह दिसंबर में होने वाले चुनावों में दूसरी बार सत्ता में वापसी कर पाएंगे।

हालांकि सत्ता विरोधी लहर का सामना करते हुए केसीआर की अगुवाई वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) न केवल सत्ता में आई, बल्कि वह अभूत पूर्व जीत के साथ ऐसा करने में सफल रही। टीआरएस ने कुल 119 सीटों में से 88 सीटें पर जीत हासिल की थी।

नरेन्द्र मोदी

भाजपा के कार्यकाल के पाँच वर्ष लगभग पूरे हो रहे है लेकिन ऐसा लग रहा है कि “मोदी की लोकप्रियता” का जादू अभी भी बरकरार है। 2018 के राज्य विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद, प्रधानमंत्री मोदी के साथ भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कमर कसनी शुरू कर दी है।

उनके नेतृत्व में सरकार ने हाल ही में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में कटौती की घोषणा की है। कांग्रेस की नवीनतम जीत के साथ, 2019 के लिए युद्ध का मैदान और अधिक समतल दिखाई देने लगा है, क्योकि अभी भी राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी एक दूसरे पर तंज कसते हुए नजर आते हैं।

योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सही या गलत दोनों में से किन्ही भी कारणों से वह पूरे साल सुर्खियों में रहे हैं। गाय के प्रति सतर्कता से लेकर भीड़ जुटाने और विशेष रूप से नाम बदलने की प्रथा तक, उत्तर प्रदेश राज्य, मीडिया की संज्ञान में था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को पहले से ही भाजपा सरकार की तरफ से मिश्रित प्रतिक्रिया मिल रही थी, हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा की है कि उनकी सरकार राज्य में भगवान राम की भव्य मूर्ति स्थापित करेगी।

इस साल की शुरुआत में, मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज और मुगलसराय जक्शन का नाम बदल कर दीन दयाल कर दिया, यह एक ऐसा कड़ा कदम था जो अलोचना और उपहास दोनों का विषय बना रहा। योगी आदित्यनाथ 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख प्रचारक थे।

नवजोत सिंह सिद्धू

कांग्रेस नेता व्यावहारिक रूप से इस साल विवादों के तहत सुर्खियों में रहे। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में उनकी मौजूदगी से लोगों ने उन पर अपनी निगाहें तरीछी कर रखी थी लेकिन इसके बाद पाक सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलने पर उनकी काफी आलोचना भी हुई। विरोधियों को जवाब देते हुए, सिद्धू ने केवल इतना कहा कि वह “इंसान हैं, रोबोट नहीं।”

जब वर्ष के अन्त में करतारपुर बॉर्डर की चर्चाएं प्रकाश में आईं, तो विरोध के बावजूद, बिना सलाह लिए सिद्धू व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान में उद्घाटन में शामिल हुए।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को समारोह के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। यहां तक कि पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह जैसे साथी दल के सदस्यों ने भी नवजोत सिंह सिद्धू की पाक प्रधानमंत्री के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए आलोचना की, यह एक ऐसा समय रहा जब दोनों राष्ट्रों ने कटु संबंधों को साझा किया।

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2018 के शीर्ष भारतीय राजनेता
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प्रमुख भारतीय राजनेता जो इस साल सुर्खियों में बने रहे।
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