क्या छत्तीसगढ़ बचा पाएगी भाजपा?
90 विधानसभा सीटों पर प्रतिनिधियों के भाग्य का फैसला करने के लिए छत्तीसगढ़ की जनता ने 12 और 20 नवंबर 2018 को मतदान किया था। जिसके परिणाम 11 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।
तो, इस समय एक सवाल लोगों के जहन में उठ रहा है कि क्या रमन सिंह की अगुआई वाली भाजपा सत्ता में बनी रहेगी या क्या लोगों का विचार तीन बार लगातार सत्ता में रही पार्टी को हटाने का है?
राजनीतिक विश्लेषक, चुनाव विश्लेषक, पत्रकार और राजनीतिक निरीक्षक संभावित नतीजों का अंतिम परिणाम घोषित करने में लगे हैं। आयोजित किए गए विभिन्न एग्जिट पोलों द्वारा अलग-अलग निष्कर्ष प्रकाशित किए गए हैं। तो चलिए देखते हैं कि छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए एग्जिट पोलों की क्या रिपोर्ट है।
कुल 90 सीटों के सभी एग्जिट पोलों के मुताबिक, कांग्रेस को 42 सीटें, भाजपा 41 सीटें और बसपा को 4 सीटें मिलने की संभावना है। चुनाव में कड़ी टक्कर होगी, जिसमें कोई भी प्रतिनिधि विजयी हो सकता है।
कुल सीटें – 90
बहुमत – 46
व्यक्तिगत एग्जिट पोलों के विभिन्न परिणाम निम्न हैं:
मीडिया | बीजेपी | आईएनसी | बीएसपी | अन्य |
एबीपी सीएसडीएस | 52 | 35 | 0 | 3 |
रिपब्लिक टीवी-सीवोटर | 35-43 | 40-50 | 3-7 | 0 |
इंडिया टुडे एक्सिस | 21-31 | 55-65 | 4-8 | 0 |
इंडिया टीवी-सीएनएक्स | 42-50 | 32-38 | 6-8 | 1-3 |
रिपब्लिक जन की बात | 40-48 | 37-43 | 5-6 | 0-1 |
टाइम्स नाउ- सीएनएक्स | 46 | 35 | 7 | 2 |
न्यूज 24-पेस | 36 | 50 | 0 | 4 |
न्यूजएक्स-नेता | 43 | 40 | 6 | 1 |
मैप्स ऑफ इंडिया | 48 | 37 | 0 | 5 |
आठ में से पांच एक्जिट पोल के अनुसार छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के बने रहने के संकेत हैं, इसके साथ कई सीटों पर जीत का अंतर बहुत कम है जिससे नतीजा किसी भी तरफ घूम सकता है। आठ में से केवल तीन पोलों के अनुसार कांग्रेस की जीत की संभावना है।
चावल बाबा के नाम से जाने जाने वाले मौजूदा मुख्यमंत्री, रमन सिंह गरीबों के लिए खाद्यान्न योजना शुरू करने के लिए पूरे राज्य में बहुत लोकप्रिय हैं और ये छत्तीसगढ़ में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री के पद पर रह चुके हैं।
पूरे देश में फैले हुए किसान संकट ने छत्तीसगढ़ के किसानों को बहुत प्रभावित किया है जिससे नतीजों में साफ दिख रहा कि यह राज्य में सत्ता का बदलने का कारण भी बन सकता है। किसानों ने राज्य में, मुख्यमंत्री के रूप में रमन सिंह का समर्थन कृषि के लिए ही किया था, लेकिन अस्थिर मॉनसून, विमुद्रीकरण और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ने मौजूदा मुख्यमंत्री रमन सिंह की लोकप्रियता को खत्म कर दिया है।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि रमन सिंह लोकप्रिय नहीं हैं वे अभी भी लोगों के पसंदीदा मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनकी सरकार की छवि ने, विशेषकर गरीबों में, अपनी चमक खो दी है। इन क्षेत्रों के हिस्सों ने माओवादियों को समर्थन देना जारी रखा है।
कांग्रेस ने इस मौके को पूरी तरह से भुनाते हुए पार्टी को बेहतर रूप से मैदान पर उतारने के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया।
अवसर को देखते हुए अपने कार्यकर्ताओं को पार्टी को बेहतर रूप में पेश करने के लिए सक्रिय किया। अजीत जोगी का पीछे हटना पार्टी की संभावनाओं पर हमला है और इन्हें कांग्रेस का वोट शेयर गटकने की उम्मीद थी। एग्जिट पोल के संभावित परिणामों के अनुसार कांग्रेस और भाजपा के वोटों में काफी नजदीकी टक्कर दिखाई दे रही है, हालांकि ऐसा लग रहा है कि अजीत जोगी की सीजेसी पार्टी ने कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा को अधिक प्रभावित किया है।
मायावती की पार्टी का जोगी की पार्टी के साथ गठबंधन करने का उद्देश्य भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही प्रदर्शन को खराब करना था और वे स्वयं विजेता के रूप में उभरकर अपनी पार्टी को जिताने का आधार बनाने की बात कर रहे थे, लेकिन चुनावों के एग्जिट पोल के संभावित परिणामों से पता चल रहा है कि जोगी का दांव कार्यरत नहीं रहा है।
2018 के चुनावों में रमन सिंह की भाजपा पार्टी को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के वोटों में बहुत ही कम अन्तर था जिसमें भाजपा को 5,365,272 वोट मिले थे जो कुल वोटों का 41 प्रतिशत था तथा कांग्रेस को 5,267,698 वोट मिले थे, जो कुल वोटों का 40.3 प्रतिशत था। 2013 की तुलना इस साल 2018 में किसान संकट को देखते हुए वोटों का अन्तर बेहद संकीर्ण है। 11 दिसंबर को मतगणना शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री का ब्लडप्रेशर निश्चित ही हाई होगा।
कांग्रेस को एक अनुभवी रमन सिंह को लेने के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर आलोचना का सामना करना पड़ा और उन्हें पार्टी के खिलाफ जाने की उम्मीद थी। एग्जिट पोल से पता चलता है कि यह एक कारक नहीं था, जो बदले में, मुख्यमंत्री के उम्मीदवारों पर आर्थिक विकास और जनजातीय कल्याण पर लोगों का ध्यान केंद्रित करता है।
यहां कांग्रेस की जीत 2019 में पार्टी को उत्साहित करेगी और पार्टी को एक व्यावहारिक महागठबंधन पर बातचीत करने के लिए एक मजबूत कदम रखेगी। 11 दिसंबर को नतीजे आने से पहले भाजपा की सांसे तेज हो गईं होंगी।
संदर्भ :