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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विशेषताएं

May 16, 2017


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पृष्ठभूमि

सामाजिक सुरक्षा एक ऐसा एजेंडा था जो लोकसभा चुनाव (2014) में सत्ता में आने से पहले भाजपा के चुनाव घोषणापत्र का एक मुख्य आकर्षण था। एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाने के बाद कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जो देश के गरीब लोगों को बैंकिंग, पेंशन, रोजगार और बीमा प्रदान करने का वादा करती हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना(देश के ग्रामीण क्षेत्रों और खेतों में सिंचाई और जल संरक्षण में सुधार के लिए एक योजना) के शुभारंभ के दौरान सरकार ने ध्यान दिया कि कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में काम करना सबसे महत्वपूर्ण था। देश की लगभग आधी जनसंख्या रोजगार के लिये कृषि पर निर्भर है। इस प्रकार देश की प्रगति के लिए किसानों की सुरक्षा और कल्याण मुख्य आवश्यकताऐं हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 13 जनवरी 2016 को शुरू किया गया था। यह समय योजना के शुभारंभ के लिये बहुत अच्छा था, क्योंकि इसे भारत के प्रमुख फसल उत्सवों में से एक मकर संक्रांति (देश के कुछ हिस्सों में इसे लोहड़ी और पोंगल के रूप में मनाया जाता है) से शुरू किया गया था।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने केन्द्रीय संसदीय मामलों के मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू और केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह की मौजूदगी में फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया। श्री सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कम प्रीमियम के साथ अधिक बीमा की पेशकश करेगी और किसानों की क्रय क्षमता को बढ़ायेगी”। उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस ‘ऐतिहासिक’ योजना को अपनी मंजूरी दे दी है। पार्टी प्रमुख श्री अमित शाह समेत भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस योजना की प्रशंसा की और कहा कि स्वतंत्रता के बाद से यह किसानों के लिए भारत सरकार के द्वारा शुरू की गई सबसे उपयोगी योजनाओं में से एक है।

योजना की मुख्य विशेषताएं

  • कई सालों से, कई अन्य फसल बीमा योजनाएं मौजूद हैं। हालांकि, किसान इन योजनाओं का लाभ लेने में असमर्थ हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने अब सभी अन्य फसल बीमा योजनाओं को बदल दिया है और एक ही योजना में लाभ को एकीकृत किया है।
  • इसका अर्थ है कि राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस) जैसी पिछली योजनाएं अब उपलब्ध नहीं होंगी।
  • हाल ही के वर्षों में पहले से चल रही फसल बीमा योजनाओं से प्रीमियम दरों में तेजी आई है। इसका मतलब है कि यह कुल बीमाकृत प्रीमियम राशि का 25 प्रतिशत था। हर जगह प्रीमियम में वृद्धि 22 से 57 प्रतिशत के बीच थी। इसके विपरीत फसल की घाटे की स्थिति में किसानों द्वारा लिया गया मुआवजा बहुत कम था।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत की प्रीमियम राशि और रबी फसलों के लिए 5 प्रतिशत की प्रीमियम राशि पर आधारित है। इसमें भारत में उगाई जाने वाली अधिकांश खाद्य फसलों और तिलहन फसलों को शामिल किया गया है। एक वर्ष के लिए वाणिज्यिक या बागवानी फसलों (कपास सहित) के लिए प्रीमियम 5 प्रतिशत पर आंका जाता है।
  • इसका मतलब यह है कि किसानों को न्यूनतम प्रीमियम का भुगतान करके अधिकतम लाभ प्राप्त होगा। सरकार ने “कैपिंग” तंत्र से छुटकारा पाने का निर्णय लिया है, जिसके तहत किसानों को पहले से ही वैध लाभ लेने की अनुमति नहीं दी गई थी।
  • सरकार का कहना है कि फसल बीमा प्रीमियम में इस भारी कमी से केंद्र का वित्तीय भार 500 फीसदी बढ़ने की संभावना है। हालांकि, सरकार ने कहा है कि इस योजना से किसानों को लाभ होगा।
  • प्रीमियम पर राहत के अलावा, किसान इस योजना के लाभों को प्राप्त करेंगे, इसमें फसलों की क्षति का शीघ्र आकलन किया जायेगा। फसलों में होने वाली क्षति के आंकलन और मुआवजा देने जैसे मामलों में तेजी लाने के लिये स्मार्ट फोन, रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी और यहां तक ​​कि ड्रोन का इस्तेमाल किया जायेगा।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 के आगामी खरीफ सीजन से लागू होगी।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पीएमएफबीवाई के लिए दिशा निर्देश-

18 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के कुशल संचालन के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किये। यह दिशा निर्देश मध्य प्रदेश के शेरपुर गांव में आयोजित एक किसान सम्मेलन में जारी किये गये थे। भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह योजना 2016 की खरीफ ऋतु से लागू होगी।