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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

June 29, 2017


Pradhan-Mantri-Ujwala-Yojna-hindi1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में दौरा करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ का शुभारंभ किया था। इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी अग्रलिखित है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना क्या है?

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना मूल रूप से एनडीए सरकार की योजना है जो अगले तीन वर्षों अर्थात 2019 तक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले सभी परिवारों के लिए 5 करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस योजना को बलिया में इस लिए लॉन्च किया गया था क्योंकि इस शहर में उपलब्ध एलपीजी कनेक्शनों की संख्या कम थी। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक वरदान के रूप में कार्य कर रही है और भ्रष्टाचार पर पूर्ण रूप से रोक लगाने के लिए सब्सिडी की पेशकश परिवार की प्रमुख महिलाओं के जनधन खातों में की जाएगी। एलपीजी कनेक्शन महिलाओं के स्वास्थ्य में काफी सुधार करने में सहायता करेंगे क्योंकि खाना पकाते समय लकड़ियों से निकलने वाले हानिकारक धुँए का महिलाओं और लड़कियों को सामना करना पड़ता है।

धुएँ का जहर

संसद में अपने बजट भाषण के दौरान, केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि देश भर की महिलाओं को घर की रसोई में हर समय धुँए के कारण एक “अभिशाप” का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने रसोई घर की 60 मिनट खुली आग की तुलना 400 सिगरेटों के धुयें के बराबर की, विशेषज्ञों का कहना है उनका बयान सही है और इस तरह यह खुलासा किया कि इस मुद्दे से निपटने का समय आ गया है। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि आगामी वित्त वर्ष के बजट में कार्यक्रम के शुरुआती खर्चों को पूरा करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कैसे काम करती है?

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना प्रत्येक बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन के लिए 1,600 रुपये की मौद्रिक सहायता देती है। इस योजना के पात्र सभी बीपीएल परिवारों की पहचान, राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों के साथ-साथ 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आधार पर विस्तृत चर्चा के बाद की जाती है।

गिव इट अप पहल क्या है?

कई लोगों ने स्वेच्छा से प्रधानमंत्री मोदी के ‘गिव इट अप’ पहल के माध्यम से अपनी सब्सिडी छोड़ी है। 8,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों को आंशिक रूप से वित्त पोषित किया जायेगा। 1.13 करोड़ रुपये की यह राशि रसोई गैस के उपभोक्ताओं के लिए संचित की गई है। एक बड़े पैमाने पर इस अभियान के माध्यम से 5000 करोड़ रुपये की सब्सिडी संचित कर ली जाएगी, जिसका प्रयोग इन परिवारों को एलपीजी कनेक्शन जैसी जीवन की बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के क्या लाभ हैं?

भारत सरकार का दावा है कि यह अभियान बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में रसोई गैस की एक वैश्विक पहुँच सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, यह महिलाओं को सशक्त बनाने, उनके बुनियादी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करने, कठिनाइयों को कम करने और खाना पकाने में व्यय समय की भी बचत करेगा। यहाँ तक ​​कि जो ग्रामीण युवा रसोई गैस की आपूर्ति श्रृंखला में लगे हुए हैं, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिए रोजगार के अवसरों को बेहतर बनाने में सक्षम होंगे। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिए गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले करीब 1.5 करोड़ परिवारों को फायदा होगा। इस कार्यक्रम में 5 करोड़ ऐसे परिवारों को शामिल करने की उम्मीद है जो परिवार भारत के ग्रामीण इलाकों में जीवन-यापन करते हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्वास व्यक्त किया कि एक बार योजना सफल हो गई, तो यह सुनिश्चित हो जाएगा कि भारत के हर परिवार में खाना पकाने के लिए एलपीजी गैस है। केंद्रीय तेलमंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि इस योजना का उद्देश्य भारत में महिलाओं को अधिक शक्ति प्रदान करना और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना है। यह भी उम्मीद की जाती है कि इन सिलेंडरों का उपयोग करने के परिणामस्वरूप, महिलाओं को रसोई में कम समय बिताना पड़ेगा और वे बचे हुए समय का घर के अन्य कामों में उपयोग करने में सक्षम होंगी।

यह योजना विशेष क्यों है?

यह योजना कई अनुमानो के आधार पर प्रशंसनीय है। यह शायद पहली बार हुआ है कि केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने मिलकर पूरे देश के गरीब परिवारों की करोड़ों महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजना शुरू की है। भारत मूल रूप से विश्व में एक तीसरा ऐसा देश है जिसकी एलपीजी जैसी रसोई गैस तक पहुँच सीमित है। जिन अत्यधिक गरीब लोगों को इस योजना का फायदा मिलना चाहिए उन तक यह लाभ नहीं पहुँचा है। अभी तक, सरकार ने शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में ही एलपीजी सिलेंडरों को उपलब्ध कराया है, जिसमें मुख्य रूप से उच्च वर्ग या मध्यम वर्ग के परिवार अच्छी तरह से लाभान्वित हुए हैं। गरीबों के द्वारा उपयोग किए जाने वाले जीवाश्म ईंधन के कारण ज्यादातर महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो रहीं हैं, जिनमें कुपोषण, अत्यधिक कामकाज और कई बच्चों की देखभाल करने और परिवार का निर्वाहन करने का दबाव मुख्य कारण हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि भारत में खाना पकाने के लिये अपशिष्ट ईंधन के उपयोग के कारण एक साल में करीब पाँच लाख लोग उससे होने वाले प्रदूषण से अपनी जान गँवा देते हैं। ज्यादातर मामलों में ये मौतें गैर-संक्रमणीय बीमारियों जैसे हृदय रोग, दीर्घकालिक फेफड़ों संबंधी रोग, दिल के दौरे और फेफड़ों के कैंसर जैसे कारणों से होती हैं। घर के अंदर होने वाले प्रदूषण के कारण युवा बच्चे भी श्वसन संबंधी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं।