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तेलंगाना के प्रस्तावित जिले

June 21, 2017


Districts-of-Telangana-hindiतेलंगाना की सरकार राज्य में बेहतर प्रशासन के लिए नए जिले बनाने का विचार कर रही है और उन्होंने प्रत्येक जिले के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव भी रखा है। इससे पहले जून 2016 में 13 नए जिले बनने की उम्मीद थी और इसी के लिए आयोजित कलेक्टरों के सम्मेलन में इस योजना को जल्द पूरा करने के लिए उन्हे प्रोत्साहन भी मिला था।

जिलों के पुनर्गठन के लिए तेलंगाना ने जारी की प्रारुप अधिसूचना

22 अगस्त 2016 को तेलंगाना सरकार ने राज्य के जिलों के पुनर्गठन और मंडलों के लिए एक प्रारुप अधिसूचना जारी कर दी है। जिसमें हैदराबाद को छोड़कर 4 नए जिलों को 13 जिलों की प्रारंभिक गिनती में जोड़कर 17 जिले बनाए हैं जिससे मौजूदा जिलों की कुल संख्या में 10 जिलों की वृद्धि हुई है। राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा कि हाल में जोड़े गए जिलों को अंतिम रूप देने के लिए दो सर्व-पक्षीय बैठकों का आयोजन किया जाएगा। 19 अगस्त को दो बैठकें हुई थीं जिसमें सभी लोगों ने सत्तारूढ़ सरकार की कार्यवाही का समर्थन किया था।

मीडिया के मौजूद सूत्रों ने बताया कि पार्टी के सदस्यों को मसौदा प्रस्तावों पर 30 दिनों के भीतर सरकार के राजस्व विभाग के सचिव, भू-राजस्व के आयुक्त या भू-प्रशासन के आयुक्त के खिलाफ सुझाव या शिकायत संबंधी बात-चीत जिले के कलेक्टर से की जा सकती है। इससे संबंधित जानकारी के लिये ‘www.newdistrictsformation.telangana.gov.in’ एक वेबसाइट शुरू की गई थी।

तेलंगाना के जिलों के नाम

प्रस्तावित नए जिले: आचार्य जयशंकर, हनमकोंडा, जग्तिअल, कामारेड्डी, कोमाराम भीम, कोथागुडेम, महबूबाबाद, मलकाजगिरी, नगरकुरनूल, निर्मल, पेद्दपल्ली, संगरेड्डी, शामशाबाद, सिद्दीपेट, सूर्यपेट, वनापर्ती और यदादरी।

राज्य सरकार लगभग 90 मंडलों को जोड़ना चाहती है; भारत के सबसे नये राज्य तेलंगाना में पहले से ही 464 मंडल हैं। सरकार नए जिलों के मुख्यालयों में सरकारी आवासों के निर्माण के लिए लगभग 30 एकड़ जमीन आवंटित करेगी। राव ने कलेक्टरों को यह निर्देश दिए हैं कि आवासों और जमीन का उचित निर्धारण किया जाए ताकि नए जिलों की आधारिक संरचना को सही जगह मिल सके।

सरकार करीमनगर से राजना नामक एक जिला बनाने की कोशिश कर रही है। माना जाता है कि इस जिले की स्थापना विमुलावाड़ा और सिससिला के पास की जाएगी। रंगा रेड्डी से विकराबाद नामक एक जिला बनाया जाएगा। यह माना जाता है कि मुख्यमंत्री जमीन के मुख्य आयुक्तों, कलेक्टरों, मुख्य राजस्व सचिव और राज्य पुलिस बल के वरिष्ठ अधिकारियों से हैदराबाद और रंगा रेड्डी के शेष भागों के निर्माण के सिलसिले में सभी से अलग-अलग मुलाकात करेगें।

यह भी उम्मीद की जा रही है कि करीमनगर को एक नया नाम दिया जाएगा। प्रस्तावित जिलों के नाम खोजने की प्रक्रिया वर्तमान में सक्रिय रूप से चल रही है।

करीमनगर रूपान्तरण के कारण अब नए नाम पी.वी. नरसिम्हा राव से जाना जाएगा और मंचिर्याल को कोमराम भीम के नाम से जाना जाएगा जबकि भूपालपल्ली को कोथापल्ली जयशंकर के नाम से जाना जाएगा, भोंगिर को यदादरी और कोठागुदेम को भद्राद्रि के नाम से जाना जाएगा। भद्राद्रि को खम्मम से बनाया जाएगा और आदिलाबाद से मंचिर्याल बनाया जाएगा। यदादरी और सूर्यपेट नलगोंडा से बनाए जाएगें, मेदक से संगरेड्डी और सिद्धिपेट जिले बनाए जायेंगे और महबूबनगर से नागकरनूल और वनापर्थी जिला बनाए जाने की संभावना है। यह भी उम्मीद है कि भूपलपल्ली से आचार्य जयशंकर जिला और करीमनगर से जग्तिअल जिला बनेगा और वारंगल से महबूबाबाद जिला बनाया जायेगा।

सरकार ने राजस्व अधिकारियों से भी 20 जून को या इससे पहले मंडलों को पुनर्गठित करने के प्रस्ताव को पेश करने को कहा है। उम्मीद की जाती है कि प्रत्येक जिले में करीब 20 मंडल होंगे। संयोग से यदादरी और भद्रचलम को एक नया जिला बनाने की कोशिश की जा रही है जो दोनों मंदिर नगर हैं। हैदराबाद के बाहरी हिस्सों से एक नया जिला श्रीनिवास जनयाला बनाया जा सकता है यह आईटी गलियारे के साथ-साथ बढ़ती बस्ती का घर होगा।

जनमत के आधार पर नाम

के.सी. राव का मानना ​​है कि प्रस्तावित जिलों की सूची जनता को उपलब्ध कराई जाने की जरूरत है ताकि वे अपने सुझाव दे सकें। वास्तव में 15 अगस्त से पहले जब नए जिलों के लिए अधिसूचना जारी की गई थी तभी गाँवों में सार्वजनिक सुनवाई का भी आयोजन किया गया था। 11 अक्टूबर को राज्य के नए जिलों में दसारा त्योहार मनाये जाने की संभावना है।

निर्णय के लाभ

भूमि मामलों के चीफ कमिश्नर रॉयमंड पीटर के अनुसार, नए जिलों में सरकार की मदद से प्रशासनिक कार्य बेहतर तरीके से किए जाएंगे। सेवाओं का वितरण करने से जनता को भी लाभ होगा और इससे पहले की तुलना में काफी सुधार भी होगा। जैसा कि पीटर द्वारा कहा गया है कि राज्य में नए जिलों के निर्माण के लिए पहले से ही बहुत जगह है। इस तथ्य पर विचार करते हुए कि तेलंगाना के प्रत्येक जिले में रहने वाले लोगों की औसत संख्या 19 लाख है, यह देश के अन्य जिलों की 35 लाख आबादी की तुलना में कम है।

वर्तमान परिदृश्य में बड़े अधिकार क्षेत्र के साथ प्रशासन को कम संसाधनों के कारण बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा है। न्याय के लिए लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और साथ ही ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। जबकि कुछ छोटी प्रशासनिक इकाइयों के जरिये इन परेशानियों से आसानी से बचा जा सकता है।

रंगा रेड्डी में फायदे

उम्मीद है कि रंगा रेड्डी के लोग नए जिला ढाँचे के संचालन के बाद एक बार फिर हासिल करने के लिए खड़े होंगे और सभी कार्यालय एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगे। जिले में अभी भी सरकारी कार्यालय 40 विभिन्न स्थानों में विस्तारित हैं। हैदराबाद और रंगा रेड्डी में कोई विधानसभा क्षेत्र या राजस्व मंडल नहीं है। इन नामों का एक भी गाँव नहीं है। इब्राहिमपत्तनम और महेश्वरम जैसे विधान सभा क्षेत्र सरूरनगर राजस्व विभाजन का हिस्सा हैं, जहाँ आरडीओ के कार्यालय में लोग उचित पहुँच नहीं बना पाते हैं।

यहाँ के लोगों को कृषि अधिकारी से मिलने के लिए मालकपेट जाना पड़ता है और पशुपालन और बागवानी अधिकारियों के मिलने का स्थान रेड हिल्स है। उप्पल ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यालय और मत्स्य पालन कार्यालय मल्लेपल्ली में है। इब्राहिमपत्तनम उपखंड के प्रभारी सहकारी अधिकारियों के कार्यालय उचित जगह पर है लेकिन इनके बीच की दूरी 50 किलोमीटर है। नालाकुन्ता में खनन कार्यालय है और जिले के पूर्वी भाग से 100 कि.मी. की दूरी पर विकराबाद में पुलिस कार्यालय है। लकड़ीकापुल में जिला कलेक्टर का कार्यालय है इसके बावजूद वहाँ अधिक विभागों के कार्यालय नहीं हैं। इसलिए, कोई भी हंसमुख व्यक्ति अच्छी तरह समझ सकता है कि नया स्वरूप लागू होने के बाद क्या होगा।