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ओलिम्पिक्स 2016 के हीरोज को राजीव गांधी खेल रत्न

September 3, 2016


ओलिम्पिक्स 2016 के हीरोज को राजीव गांधी खेल रत्न

ओलिम्पिक्स 2016 के हीरोज को राजीव गांधी खेल रत्न

हर साल खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। इन सभी पुरस्कारों में राजीव गांधीखेल रत्न को भारत गणराज्य में खेलों का सर्वोच्च अलंकरण माना जाता है। यह पिछले चार साल में खेलों के क्षेत्र में असाधारण प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है।

इस साल, यह पुरस्कार समारोह महिला शक्ति को समर्पित था। पहली बार एक ही साल में तीन महिलाओं – पीवी सिंधु, साक्षी मलिक और दीपा कर्माकर- को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन तीनों को रियो ओलिम्पिक्स में उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए पुरस्कार के लिए चुना गया है। जहां एक ओर पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में रजत पदक जीता, वहीं साक्षी ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रौशन किया। भले ही दीपा कर्माकर कलात्मक जिमनास्टिक में पदक न हासिल कर सकी हो, उन्होंने इस श्रेणी में फाइनल तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया। मामूली अंतर से उन्होंने कांस्य पदक गंवाया और अपने प्रसिद्ध प्रोडुनोवा वॉल्ट की बदौलत चौथे स्थान पर रहीं।

इस साल चार खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न के लिए चुना गया। ऐसा पहली बार हुआ है। निशानेबाज जीतू राय चौथे खिलाड़ी हैं, जिन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुना गया है। वैसे, जीतू राय का प्रदर्शन रियो ओलिम्पिक में बहुत अच्छा नहीं रहा। लेकिन उन्हें यह पुरस्कार उनके पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर दिया गया। 2009 में तीन खिलाड़ियों, बॉक्सर विजेंद्र सिंह, एमसी मैरीकॉम और पहलवान सुशील कुमार को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

राजीव गांधी खेल रत्न

राजीव गांधी खेल रत्न की शुरुआत 1991-92 में हुई थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति राजीव गांधी के नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत युवा और खेल मंत्रालय ने की थी। यह पुरस्कार चार साल की अवधि में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असाधारण प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। इस अवार्ड में एक प्रमाण पत्र, एक मेडल और 7.5 लाख रुपए नगद होते हैं। पुरस्कार की नामांकन और चयन प्रक्रिया इस तरह हैः

सरकार को अवार्ड के लिए नामांकन अधिकृत राष्ट्रीय खेल फेडरेशनों की ओर से मिलते हैं। इसके अलावा इंडियन ओलिम्पिक एसोसिएशन, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई), स्पोर्ट्स प्रमोशन एंड कंट्रोल बोर्ड्स, बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया और राज्य व केंद्रशासित सरकारों की ओर से भी नाम भेजे जाते हैं।

सिर्फ दो पात्र खिलाड़ियों को हर श्रेणी में नामांकित किया जाता है।

नामांकित खिलाड़ियों की सूची साई (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) और नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी को भेजा जाता है, जहां सत्यापन प्रक्रिया पूरी की जाती है।
एक 12-सदस्यीय समिति वैध नामांकनों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है।

अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं, जैसे- ग्रीष्म और शीतकालीन ओलिम्पिक खेलों, पैरालिम्पिक्स गेम्स, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रदर्शन को 80 प्रतिशत वेटेज दिया जाता है।
बचा हुआ 20 प्रतिशत वेटेज खिलाड़ी की प्रोफाइल और जिस खेल प्रतियोगिता में खिलाड़ी ने भाग लिया है, उसके स्तर को दिया जाता है।

सिफारिशें अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय युवा एवं खेल मामलों के मंत्री के पास भेजी जाती हैं।

मशहूर शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद 1991-92 में यह पुरस्कार हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। वहीं अभिनव बिंद्रा 2001 में 18 साल की उम्र में यह पुरस्कार हासिल करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों में निम्न पुरस्कार शामिल हैं-

अर्जुन अवार्ड, जो किसी भी खेल में चार साल तक निरंतर असाधारण प्रदर्शन के लिए दिया जाता है।
द्रोणाचार्य पुरस्कार, उन प्रशिक्षकों को दिया जाता है जो अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वालों को प्रशिक्षित करते हैं।
ध्यानचंद अवार्ड खेलों के विकास में पूरी जिंदगी खपाने वाले खिलाड़ियों या प्रशिक्षकों को दिया जाता है।
राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार उन निजी और सरकारी कॉरपोरेट संस्थानों को दिया जाता है, जो खेलों को प्रोत्साहन देने और उसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
इंटर-यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप के लिए भी एक पुरस्कार होता है, जिसे मौलाना अबुल कलाम आजाद (माका) ट्रॉफी कहा जाता है।
अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवार्ड्स में ट्रॉफी, प्रमाण-पत्र और 5 लाख रुपए का नगद पुरस्कार दिया जाता है। जबकि माका ट्रॉफी के साथ 10 लाख रुपए का पुरस्कार रहता है। राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार में ट्रॉफी और प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं।

समारोह

29 अगस्त 2016 को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह आयोजित किया गया। इसमें भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पात्र खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न के साथ ही अन्य राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया।

इस साल अलग-अलग पुरस्कारों के लिए कई नामांकन आए थे। दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसके अग्रवाल के नेतृत्व वाली चयन समिति ने राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड और अर्जुन अवार्ड के लिए खिलाड़ी चुने। वहीं एम.सी. मैरी कॉम के नेतृत्व वाली समिति को द्रोणाचार्य पुरस्कार और ध्यान चंद अवार्ड के लिए खिलाड़ी और प्रशिक्षक चुने। चयनित खिलाड़ी इस प्रकार हैं-
पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, दीपा कर्माकर और जीतू राय को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नागपुरी रमेश (एथलेटिक्स), सागर मल धयाल (बॉक्सिंग), राज कुमार शर्मा (क्रिकेट), बिश्वेश्वर नंदी (जिमनास्टिक), एस. प्रदीप कुमार (तैराकी), महावीर सिंह (कुश्ती) को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया गया।

वीरेंदर सिंह, संदीप सिंह मान, अमित कुमार, विनेश फोगट, सौम्यजीत घोष, अपूर्वी चंदेला, गुरप्रीत सिंह, वीआर रघुनाथ, रानी, अजिंक्य रहाणे, शिव थापा, सौरव कोठारी, ललिता बाबर, रजत चौहान को अलग-अलग खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवार्ड के लिए चुना गया।

सत्ती गीता (एथलेटिक्स), सिल्वानस दुंग दुंग (हॉकी), राजेंद्र प्रहलाद शेल्के (रोविंग) को ध्यान चंद अवार्ड से सम्मानित किया गया।
पंजाब यूनिवर्सिटी ने माका ट्रॉफी जीती।

निष्कर्ष

पीवी सिंधु, साक्षी मलिक और दीपा कर्माकर ने यह साबित कर दिया कि यदि व्यक्ति में चाह और प्रतिबद्धता हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। उनमें से हर एक ने किसी न किसी तरह से इतिहास रचा है। युवा माता-पिता को यह महसूस करना होगा कि खेल भी उनके बच्चे के लिए करियर का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। भारत को अच्छे खिलाड़ियों की जरूरत है, जो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर सके। अब वक्त आ गया है, जब हम अपने बच्चों को किसी न किसी खेल को चुनने के लिए प्रोत्साहित करें। वह पेशेवर तौर पर खेलता है और कुछ अच्छा करता है तो उसके परिवार के साथ-साथ भारत के लिए भी गौरव बन सकता है।