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भारत के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने ली शपथ

July 26, 2017


ramnath-kovind-the-new-president-of-india-hindiभारत के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद को दोपहर 12:15 बजे के आस-पास संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक समारोह में शपथ दिलाई गई। वह हाल ही में सेवानिवृत्त हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ दिखाई दिये, क्या इस कार्यक्रम को एक औपचारिक समारोह कहा जा सकता है। इस समारोह से पहले नियमानुसार, उन्होंने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में मुखर्जी से मुलाकात की और मानदंडों के अनुसार, सेना द्वारा उनकी रक्षा शुरू कर दी गयी। संसद में पीठासीन अधिकारियों, लोकसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति तथा राज्यसभा के अध्यक्ष ने सबसे पहले उनका स्वागत किया।

भारत के मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर को राष्ट्रपति की शपथ दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शपथ ग्रहण करने के बाद, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और नव निर्वाचित राष्ट्रपति के बीच कुर्सियों की अदला-बदली की गई। शपथ ग्रहण के बाद नये राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गयी और उसके बाद नए राष्ट्रपति ने अपना पहला भाषण दिया। इस कार्यक्रम में भारत के उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा के अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जैसे कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

उनके शपथ समारोह में मौजूद अतिथि

इस समारोह में कई केंद्रीय मंत्रियों, राजदूतों, राज्यपालों, विभन्न राजनयिक के अध्यक्षों तथा मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। समारोह में आने वाले अतिथियों में संसद (सांसद) के सदस्य और नागरिक तथा सैन्य रैंकों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। समारोह समाप्त होने के बाद कोविंद रायसीना हिल पर स्थित राष्ट्रपति भवन में चले गये। राष्ट्रपति भवन के सामने स्थित प्रांगण में उनको गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया।

मुखर्जी अपने नए पते 10 राजाजी मार्ग पर स्थित घर में स्थानांतरित हो गए। हालांकि, पद छोड़ने से पहले उन्होंने नए राष्ट्रपति के साथ राष्ट्रपति भवन का दौरा किया। संयोग से, भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम भी राजाजी मार्ग पर स्थित घर में रह चुके हैं। मुखर्जी अंतिम बार खुली छत वाली गाड़ी पर सवार होकर राष्ट्रपति भवन से राजाजी मार्ग तक गये। वास्तव में, पहले ही 22 जुलाई को इस प्रकार का एक अभ्यास किया गया था।

कोविंद कैसे बने राष्ट्रपति?

संयोग से, कोविंद सात लाख से अधिक मत हासिल करके, काफी विश्वासप्रद तरीके से सत्ता में आये। उनकी प्रतिद्वंदी मीरा कुमार को केवल 3.6 लाख मत ही मिले, जो कोविंद के प्राप्त मतों से काफी कम थे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा समर्थित कोविंद को 522 सांसदों के वोट मिले, जबकि कुमार को 225 सांसदों के ही वोट मिले।

क्या यह एक बड़ा बदलाव है?

वास्तव में, राजनीतिक विशेषज्ञों को नहीं लगता है कि राष्ट्रपति पद के लिए कोविंद का चयन एक बड़ा बदलाव है जो लोग ऐसा सोंचते है वे बहुत भोले हैं। भाजपा द्वारा समर्थित पहले दलित उम्मीदवार होने के बावजूद इस स्थिति पर महत्व देने के बजाय विशेषज्ञ इस मामले पर नकारात्मक रवैया अपना रहे हैं। के.आर. नारायणन भारत के राष्ट्रपति बनने वाले पहले दलित हैं। वह कांग्रेस द्वारा समर्थित थे। विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि भाजपा द्वारा एक दलित को समर्थन देने से इस समुदाय के साथ-साथ भाजपा को बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है।