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भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार के लिये आरईआरए

May 3, 2017


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ऐसा कहा जाता है कि 2020 तक, भारत में रियल एस्टेट सेक्टर की कीमत लगभग 180 अरब डॉलर तक हो जायेगी। एक बड़ा मूल्यांकन होने के बाद भी रियल एस्टेट भारत के एक बहुत ही अनियमित बाजार के रूप में उभरा है। यहाँ पर उपभोक्ता वह अंतिम हो या मध्य का उसे हर कार्य के लिये प्रचारक, सम्पत्ति विक्रेता तथा बेईमान बिचौलियों पर निर्भर रहना पड़ता है। अक्सर लोगों की अज्ञानता के कारण बिल्डरों द्वारा भवन निर्माण में धोखाधड़ी करने, घटिया और देर से निर्माण करने के लिये लोगों की अज्ञानता का, सुरक्षा उपायों में कमी का और कई बार विभिन्न कानूनी विकल्पों का प्रयोग किया जाता है और अंत में घर खरीदने वाले आम आदमी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। रियल एस्टेट के रूप में काले धन का विनिमय एक बहुत बड़ा अवैध व्यापार बन रहा है।

आरईआरए क्या है?

यह भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा मार्च 2016 में पारित किया गया एक कानून है जो रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016, के नाम  से जाना जाता है। यह कानून रियल एस्टेट के क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और बिल्डरों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया है। आरईआरए को 1 मई, 2017 से लागू किया गया। यह एक आदर्श कानून है – इसका अर्थ यह है कि केन्द्रीय विधानमंडल से इस कानून के पारित होने के बाद यह राज्य सरकारों पर निर्भर करता है कि वे अपना कानून तैयार करके उसे लागू करें। संसद के दोनों सदनों से इस कानून के पारित होने के बाद भी, सभी राज्यों ने इस कानून का मसौदा तैयार करने और संसद को सूचित करने में 12 महीने से अधिक समय लगा दिया था। हालांकि, कल, भारत भर के केवल 13 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने आरईआरए के अनुसार नए रियल एस्टेट कानूनों को अधिसूचित किया है।

आरईआरए के दिशा निर्देश –

  • सभी बिल्डरों / प्रमोटरों को आरईआरए के तहत लिये जाने वाले प्रोजेक्ट को पंजीकृत करने की आवश्यकता होगी। इस पंजीकरण संख्या को सभी प्रोजेक्ट के विज्ञापनों और प्रचारों में दर्शाया जायेगा। इस पंजीकरण संख्या से ग्राहकों को आरईआरए की वेबसाइट से किये जाने वाले प्रोजेक्ट से संबंधित जानकारी लेने और बिल्डर के दावों की सच्चाई का पता लगाने में बहुत मदद मिलेगी।
  • बिल्डर को परियोजना का पूर्ण विवरण जैसे- शीर्षक के दस्तावेजों के सबूत के साथ, प्रोजेक्ट से संबंधित सभी मंजूरियों और प्रतिबंधों और प्रोजेक्ट के निर्माण में लगे ठेकेदारों, आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों के विवरण का भी खुलासा करना होगा। बिल्डरों को अपने वित्तीय विवरणों और पुराने रिकॉर्डों को भी प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी।
  • खरीदारों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बिल्डरों द्वारा अपने वर्तमान ग्राहकों से लिये गये धन को दूसरे प्रोजेक्टों में खर्च कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान ग्राहकों को अपने निर्माण में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिये बिल्डरों और प्रमोटरों को अब प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए एक अलग फंड बनाए रखना होगा और उस परियोजना में निवेश के लिए खरीदारों से मिलने वाले 70 प्रतिशत धन को बनाए रखना होगा।
  • बिल्डर को निर्माण की गुणवत्ता के मामले में ग्राहक को संतुष्ट करना होगा और निर्माण की तारीख से 5 वर्ष तक इमारत में होने वाली संरचनात्मक क्षति की भरपाई करनी होगी।
  • बिल्डर या प्रमोटर को निर्माण में या ग्राहक को संपत्ति की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में हुई देरी की क्षतिपूर्ति करनी होगी। यदि ग्राहक अपने बिक्री समझौते से अलग होना चाहता है, तो बिल्डर को ग्राहक की अग्रिम राशि ब्याज सहित वापस करनी होगी।

रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण

भारत में 76,000 से अधिक रियल एस्टेट कंपनियां हैं। आरईआरए रियल एस्टेट से संबंधित विवादों से निपटने के लिये प्रत्येक राज्य में एक नियामक प्राधिकरण की स्थापना करना चाहता है। भारत में केवल तीन राज्यों- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान ने आरईआरए के दिशानिर्देशों का पालन करके नियामक कार्यालय स्थापित किये हैं। बिल्डरों और प्रमोटर को स्वयं के पंजीकरण में सुविधा के लिये महाराष्ट्र ने एक वेबसाइट की शुरूआत भी की है शेष राज्यों द्वारा अभी इस कानून का पालन करना बाकी है ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आरईआरए के सम्पूर्ण देश में लागू होने से भारत घर खरीदारी के मामले में स्वर्ग समान होगा।