भारत में सड़क दुर्घटनाएं
इस महीने की शुरूआत में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ‘सड़क दुर्घटनाओं में भारत-2015 रिपोर्ट’ जारी की और इससे भारत की जो छवि उभर कर सामने आयी वह काफी गंभीर है।
भारत तेजी से बढ़ते राजमार्ग जाल के साथ दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते ऑटोमोबाइल बाजारों में से एक है। हालांकि, हर महीने पेश किए जाने वाले सभी वर्गों में अधिक मोटर वाहनों के साथ, दुर्घटनाओं की यह दर भी बहुत अधिक है।
अंतराष्ट्रीय रोड फेडरेशन, जेनेवा द्वारा जारी “विश्व रोड आँकड़े- 2015” के अनुसार, भारत ने प्रति 100,000 आबादी पर क्षेत्र में दुर्घटना के मामले में दूसरी सबसे बड़ी सख्या दर्ज कराई, जोकि 11 थी। रूसी संघ की सूची में प्रति 100,000 आबादी पर 19 दुर्घटनाओं के साथ सबसे ऊपर था।
भारत “ब्राजीलिया घोषणा” पर हस्ताक्षरकर्ता है और अब से सिर्फ चार साल बाद 2020 में 50 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिये प्रतिबद्ध है। नीचे दिये गये तथ्यों पर यह दिखाया जायेगा कि यह लक्ष्य कितना महत्वपूर्ण है।
भारत के चिंतनीय तथ्य
भारत में हर दिन लगभग 1,374 सड़क दुर्घटनाओं में 400 मौतें होती हैं। यह संख्या हर घंटे 57 दुर्घटनाओं में से 17 मौतों का आँकड़ा व्यक्त करती है। किसी भी मानक से देखने पर यह एक बड़ा आँकड़ा है और उन सभी लोगों के लिए एक चिंता का मुख्य कारण है जो देश में सड़कों और राजमार्गों का उपयोग और प्रबंधन करते हैं।
2015 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 5,01,423 थी, जबकि 2014 में यह 4,89,400 थी, जोकि 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। 2015 में मरने वालों की संख्या 1,46,133 थी, जबकि 1,39,671 के मुकाबले इसमें 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।
इन दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों की संख्या 2015 में 5,00,279 थी, जबकि 2014 में 4,93,474 के मुकाबले 1.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
2015 में, सड़क दुर्घटनाओं में मारे गये 54.1 प्रतिशत लोग 15 से 30 वर्ष की आयु के थे।
‘दुष्ट‘ 13
इन 13 राज्यों ने वर्ष 2015 में होने वाली 86.7 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई-
क्रम संख्या | राज्य | दुर्घटनाओं की संख्या |
1 | तमिलनाडु | 69059 |
2 | महाराष्ट्र | 63805 |
3 | मध्य प्रदेश | 54947 |
4 | कर्नाटक | 44011 |
5 | केरल | 39014 |
6 | उत्तर प्रदेश | 32385 |
7 | आंध्र प्रदेश | 24258 |
8 | राजस्थान | 24072 |
9 | गुजरात | 23183 |
10 | तेलंगाना | 21252 |
11 | छत्तीसगढ़ | 14446 |
12 | पश्चिमी बंगाल | 13208 |
13 | हरियाणा | 11174 |
इन 13 राज्यों में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 83.6 प्रतिशत मौतें हुईं
क्रम संख्या | राज्य | दुर्घटनाओं की संख्या |
1 | उत्तर प्रदेश | 17666 |
2 | तमिलनाडु | 15642 |
3 | महाराष्ट्र | 13212 |
4 | कर्नाटक | 10856 |
5 | राजस्थान | 10510 |
6 | मध्य प्रदेश | 9314 |
7 | आंध्र प्रदेश | 8297 |
8 | गुजरात | 8119 |
9 | तेलंगाना | 7110 |
10 | पश्चिमी बंगाल | 6234 |
11 | पंजाब | 4893 |
12 | हरियाणा | 4879 |
13 | अन्य राज्य | 23980 |
शार्ष 13 राज्यों में सभी सड़क दुर्घटनाओं में 87.2 प्रतिशत लोग घायल हुए
क्रम संख्या | राज्य | दुर्घटनाओं की संख्या |
1 | तमिलनाडु | 79746 |
2 | कर्नाटक | 56971 |
3 | मध्य प्रदेश | 55815 |
4 | केरल | 43735 |
5 | महाराष्ट्र | 39606 |
6 | आंध्र प्रदेश | 29439 |
7 | राजस्थान | 26153 |
8 | उत्तर प्रदेश | 23305 |
9 | तेलंगाना | 22948 |
10 | गुजरात | 21448 |
11 | छत्तीसगढ़ | 13426 |
12 | ओडिसा | 11825 |
13 | पश्चिमी बंगाल | 11794 |
2015 में घायल होले वाले कुल व्यक्तियों की संख्या 5,00,279 थी।
इन जगहों पर सड़कों में खराबी के कारण अधिकतम दुर्घटनाएं हुईं-
गैर-राजमार्ग सड़को पर 47.6 प्रतिशत दुर्घटनाओं को दर्ज किया गया। इसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर 28.4 प्रतिशत और राज्य राजमार्गों पर 24.0 प्रतिशत दुर्घटनएं हुईं।
हालांकि, 2015 में, राष्ट्रीय राजमार्गों की अधिकतम संख्या 51,204 या 35 प्रतिशत सड़क पर दुर्घटना में मृत्यु दर्ज की गयी। यह 2014 से 7.5 प्रतिशत की वृद्धि थी, जिसमें 47,649 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह भी पाया गया कि अधिकतम सड़क दुर्घटनाएं सायं 03-06 बजे (17.5%) और सायं 06 बजे से रात्रि 09 बजे तक (17.3%) के बीच हुईं। ऐसा देखा गया है कि मई महीने में सबसे दुर्घटनाएं हुईं, जबकि सड़क के जंक्शनों (चौराहों, तिराहों) पर अधिकतम दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं।
सड़क उपयोगकर्ता वाहनों द्वारा दर्ज की गयी दुर्घटनाओं की संख्या-
दो-पहिया वाहन | 31.50% |
कार/टैक्सी/वैन/हल्के और मध्यम वाहन | 17.20% |
अन्य वाहन | 12.70% |
ट्रक | 11.00% |
पैदल यात्री | 9.50% |
बस | 7.40% |
ऑटो रिक्शा | 5.00% |
साइकिल रिक्शा/हाँथ गाड़ियाँ/पशु वाहक गाड़ियाँ आदि | 3.20% |
साइकिल | 2.10% |
सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिये सरकार निम्मलिखित कदम उठा सकती है-
- सर्वप्रथम सरकार को चालक की लाइसेंस प्रक्रिया को पूर्णतयाः डिजिटल करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वाहन चालन लाइसेंस अनिवार्य नमूना परीक्षण पास करने वाले उन लोगों को दिया जा रहा है जो चालकों के विभिन्न परिस्थितयों में वाहन चालन और सड़क के संकेतों के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं। वर्तमान प्रणाली का दुरुपयोग, हेरफेर और भ्रष्टाचार के लिए हो रहा है।
- सरकार को सड़क निर्माण के दौरान सड़कों की गुणवत्ता में सुधार करने और बाद में रखरखाव के लिये अधिक निवेश सुनिश्चित करना चाहिए। ठेकेदार द्वारा किये गये सड़क निर्माण में गुणवत्ता का अभाव होता है। भ्रष्टाचार या अकुशलता के मामले में गंभीर दंड देने के साथ समर्थित पूरी जिम्मेदारी क्या है।
- सरकार को अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय राज्य भाषा में स्पष्ट और चिंतनीय संकेत प्रणाली के साथ विशेष रूप से रोड जंक्शनों (चौराहों, तिराहों) पर प्रकाश व्यवस्था की उचित देखभाल करनी चाहिए।
- सरकार को अपने राजमार्ग गश्त के दौरान विशेष रूप से रात में शराब पीकर ड्राइविंग करने, हाई स्पीड ड्राइविंग, मजे के लिये तेज ड्राइविंग, वाहनों की ओवर लोडिंग आदि की जांच प्रणाली में सुधार करना चाहिए। जब तक चेकिंग लगातार और नियमित नहीं होती, तब तक ड्राइवर सड़कों का दुरुपयोग करते रहेंगे।
- सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘सड़क उपयोग संस्कृति’ को स्कूल स्तर पर नियमित पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जहाँ सभी छात्रों को एक जिम्मेदार चालक के कर्तव्य से अवगत कराया जाता हो। नियमित कार्यक्रमों के माध्यम से वयस्कों, ट्रक और बस चालकों को भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- पैदल चलने वालों की मौत के मामलों को रोकने के लिये हर किसी को एक लंबा रास्ता तय करना सिखाया जाना चाहिए। 2015 में, 9.5 प्रतिशत दुर्घटनाओं में पैदल चलने वाले शामिल हैं।
- सड़क यातायात का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक विधि से यातायात प्रबंधन और निगरानी आवश्यक है। आधुनिक सड़क संकेतन प्रणाली वास्तविक समय में यातायात चालन में सुधार कर सकती है, पर्याप्त कैमरा निगरानी की मदद से सड़क दुर्व्यवहारियों को आवश्यकतानुसार दण्ड देने और गिरफ्तार करने में सहायता प्राप्त होती है।
- कस्बों और शहरों में यातायात नियंत्रण करने के लिये यातायात पुलिस में वृद्धि से सड़क उपयोगकर्ताओं को अनुशासन सिखाने के लिये आसानी होगी। इसका सबसे अच्छा उदाहरण कार सुरक्षा बेल्ट के उपयोग में देखा जा सकता है। जब भारत में पहली बार कार तो पेश किया गया, तब कार सुरक्षा बेल्ट का उपयोग करने के लिए बहुत विरोध था। हालांकि, नियमित रूप से जांच और दंड के कारण कार सुरक्षा बेल्ट का उपयोग अब एक आदत बन गयी है और बहुत कम निगरानी की आवश्यकता है।
- लाल बत्ती लांघना, अक्सर लेन बदलने, हाई स्पीड ड्राइविंग और शराब पीकर ड्राइविंग के मामलों में उचित देखभाल से इन सभी सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में काफी कमी आ सकती है।
- सरकार को यातायात उल्लंघन के लिए जुर्माने की राशि को बढ़ा देना चाहिए। सिंगापुर इसके एक अच्छे उदाहरण का रूप में है कि कैसे उच्च जुर्माना आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाता है और सबसे अच्छा निवारण के रूप में कार्य करता है।
- पहली बार ग्रेड उल्लंघन करने वालों के लिए एक अन्य तरीका हो, दूसरी बार ग्रेड उल्लंघन करने वालों को अभ्यस्त अपराधी माना जाए। अपराध के स्तर के आधार पर, तीसरी बार ग्रेड उल्लंघन करने वालों का स्वचालित रूप से निलंबन या लाइसेंस रद्द करना चाहिए।
- सभी अपराधों को डिजिटल रूप से दर्ज किया जाना चाहिए और यह सभी राज्यों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऑनलाइन दिखाया जाना चाहिए। वर्तमान समय में उपलब्ध उल्लंघनकर्ताओं के बारे में जानकारी के साथ एक ऑनलाइन डेटाबेस को बनाए रखना चाहिए, यह संदेश सभी संभावित ट्रैफ़िक उल्लंघनकर्ताओं पर पुलिस की त्वरित कार्रवाई को सुनिश्चित करेगा।
- अन्त में, राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ ट्रॉमा केयर सेन्टर की इकाइयों को स्थापित किया जाना चाहिए और यह इकाइयाँ हाईवे दुर्घटना पीड़ितों के साथ साथ स्थानीय लोगों को सेवा प्रदान कर सकती हैं।
सरकार पूरी तरह से यह तब बातें समझती है, लेकिन क्या यह उन्हें गंभारता से लेने के लिए तैयार है? नितिन गडकरी, हमारे परिवहन मंत्री, सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। चलो देखते हैं कि 2020 तक हम सड़क दुर्घटनाओं में 50% तक कमी लाने की ब्राजीलिया प्रतिबद्धता को कैसे पूरा कर सकते हैं।