Home / / श्री लाल बहादुर शास्त्री – एक ईमानदार और सच्चे नेता

श्री लाल बहादुर शास्त्री – एक ईमानदार और सच्चे नेता

June 15, 2017


lal-bahadur-shashtriआप लोगों में से कितने लोग जानते हैं कि  2 अक्तूबर न केवल महात्मा गाँधी की जन्म तारीख है,  बल्कि भारत के सबसे ईमानदार,  महान और कर्मठ प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जन्म तारीख है।

लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी, नेतृत्व गुणों और ‘जय जवान  जय किसान’  नारा के लिए प्रसिद्ध माने जाते थे। वह एक सच्चे व्यवस्थापक थे और युवाओं के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरणा थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भी एक अनिवार्य हिस्सा थे। ऐसे नेता आज की दुनिया में मिलना मुश्किल है।

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगल सराय के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। वह जाति व्यवस्था के खिलाफ थे इसलिए उन्होंने अपना उपनाम विरोध के निशान के रूप में छोड़ा था। 1926 में काशी विद्यापीठ में अपने पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद उनके नाम के आगे ‘शास्त्री’ जोड़ा गया। भारत में  वर्तमान समय पर उनके नाम पर कई सड़कें, स्मारक,  सार्वजनिक स्थल और स्टेडियम भी स्थित हैं।

लाल बहादुर शास्त्री एक ईमानदार और सच्चे व्यक्ति थे। काशी विद्यापीठ में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित “सरवेंट्स  ऑफ द पीपुल्स” सोसायटी में शामिल हो गए। वह एक सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गाँधी के प्रधान शिष्य थे। लाल बहादुर शास्त्री ने 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया। उसी वर्ष उन्हें इलाहाबाद जिला काँग्रेस समिति के महासचिव के रूप में नियुक्त किए गयें थे। लाल बहादुर शास्त्री को अँग्रेजों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार कैद किया था। आजादी के बाद वह उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार में मंत्री बने। उन्होंने वर्ष 1952 से 1956 तक परिवहन मंत्री के रूप में संघीय सेवा की और वर्ष 1957 से 1961 तक उद्योगमंत्री के रूप में और वर्ष 1961 से 1963 गृहमंत्री के रूप में सेवा की। उन्होंने एक रेलवे दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए, कैबिनेट से इस्तीफा देकर राजनीति में एक असाधारण उदाहरण दिया। उनका इस्तीफा जवाहर लाल नेहरू द्वारा एक मिसाल के रूप में स्वीकार किया गया था, इसमें उनका कोई गुनाह नहीं था। जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद, लाल बहादुर शास्त्री को 9 जून 1964 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्होंने 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक 582 दिनों के लिए प्रधानमंत्री पद का कार्यभार सँभाला।

अपने छोटे कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई समस्याओं को दूर किया, लेकिन उन्हे नम्रता और दृढ़ता के साथ प्रत्येक मामले का सामना करना पड़ा। वह एक निपुण व्यवस्थापक थे। संघर्ष के बजाय उन्होंने सहयोग को प्राथमिकता दी। कोई भी निर्णय लेने से पहले कैबिनेट की बैठक में प्रत्येक सदस्य के व्यक्तिगत विचारों को वे बहुत गंभीरता से सोच कर फैसला लेते थे। सूचना और सलाह करने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने अपने प्रधानमंत्री सचिवालय की स्थापना की, जो मंत्रालय से अलग थी। उन्होंने एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के नियमों को बनाए रखा।

लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के कृषि क्षेत्र में “जय जवान जय किसान” का क्रांतिकारी नारा लगाकर काफी बदलाव किया। उन्होंने कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए हरित क्रांति की रणनीति तैयार की जिसे इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में अधिक सख्ती से लिया गया।

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के कार्यकाल के दौरान वे पुलिस और परिवहन मंत्री बने और उन्होंने पहली बार महिला कंडक्टर की नियुक्ति की। उन्होंने भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए केंद्रीय जाँच ब्यूरो को संस्थागत भी किया। इस त्वरित अनुवर्ती कार्रवाई के साथ, पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैंरो के खिलाफ दास जाँच रिपोर्ट पर कार्रवाई की गई।

वह एक ईमानदार व्यक्ति थे जिन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पद का इस्तेमाल कभी नहीं किया। एक ऐसी घटना जिसमें एक बार उनका बेटा अनिल दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में प्रवेश शुल्क जमा करने गया था। उसे एक बहुत लंबी कतार में खड़ा होना पड़ा। उस दिन बहुत गर्मी थी और इस वजह से वह जमीन पर गिर गया और बेहोश हो गया। कुछ छात्र उसे दवा दिलाने के लिए ले गए। जब शिक्षक वहाँ आए तो शिक्षक ने उसके पिता का नाम और पता पूछा, जब उसने अपने पिता का नाम लाल बहादुर शास्त्री बताया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए।

11 जनवरी 1966 में उज्बेक शहर के ताशकंद में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटों बाद लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया।

1966 में, लाल बहादुर शास्त्री के मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत के महान पुत्र के रूप में सम्मानित करने के लिए नई दिल्ली में विजय घाट पर उनका एक स्मारक बनाया गया।

आज हमारे देश में लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेता की जरूरत है जो भारत का नेतृत्व कर सके और देश को सब कुछ समर्पित कर सके।

आज आपके लिए आदर्श नेता कौन है?