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भारत में महिला उद्यमी

July 25, 2018


भारत में महिला उद्यमी

भारत वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी के निचले स्तर की वजह से बदनाम है। 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 32 प्रतिशत भारतीय महिलाओं के पास घर से बाहर का कोई काम है। यहां तक कि स्टार्ट अप का जो माहौल है, वह भी महिलाओं के लिए बहुत अच्छा नहीं है।

योरस्टोरी की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 670 स्टार्टअप को इस वर्ष आर्थिक मदद दी गई है। इसमें भी सिर्फ तीन प्रतिशत महिलाओं के हैं। 83 प्रतिशत स्टार्ट अप पुरुषों ने शुरू किए, जबकि 14 प्रतिशत स्टार्ट अप में महिला-पुरुष ने मिलकर शुरुआत की। हकीकत तो यह है कि इन आंकड़ों से बाहर आ रहा लैंगिक अंतर बहुत बड़ा है। कुछ मामले तो ऐसे भी हैं, जहां महिला उद्यमियों ने जोखिम उठाकर कोई उपक्रम शुरू किया। लेकिन यह बात भी सामने आई कि जिन महिलाओं ने व्यापार शुरू किया, उनमें नेतृत्व कौशल, उपलब्धियां और क्षमता पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्हें स्पॉटलाइट से इनकार कर दिया गया।

टेक्नोलॉजी और फाइनेंस

विशेषज्ञों का कहना है कि महिला उद्यमी सामान्य तौर पर कुछ सेक्टरों की ओर आकर्षित होती हैं। इनमें फूड टेक्नोलॉजी और फैशन शामिल है। बारीकी से अध्ययन करने पर पता चलता है कि इन क्षेत्रों में भी स्टार्टअप शुरू करने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा नहीं है। ऑनलाइन फैशन सेक्टर में, 70 प्रतिशत से ज्यादा उपक्रम पुरुषो ने शुरू किए हैं। जबकि सिर्फ 30 प्रतिशत महिलाओं ने।

टेक्नोलॉजी और फाइनेंस ऐसे दो क्षेत्र हैं, जहां लैंगिक अंतर सबसे ज्यादा है। इन दो सेक्टरों में काफी कम महिला उद्यमी काम कर रही हैं। विडम्बना यह है कि महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यापारों में पैसा लगाने में निवेशक भी हिचकिचाते हैं। भारत में अब आईटी-आधारित शिक्षा और रोजगार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन वह अपने दम पर कुछ शुरू करने की इच्छा नहीं रखती है। देश के कई प्रमुख बैंकों का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में है। इसके बाद भी महिलाओं के नेतृत्व वाले वित्तीय संस्थानों पर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता।

भारतीय महिलाएं और बाधाएं

भारतीय महिलाएं पारंपरिक तौर पर आजीविका अर्जित करने में हिस्सेदार रही है। लेकिन मोटे तौर पर उनका काम छोटे स्तर पर ही सीमित रहा या उसकी अनदेखी होती रही। पापड़ और अचार जैसी घरेलू वस्तुओं को बनाने से लेकर तो सिलाई, कपड़े बुनने और एम्ब्रायडरी तक, डायरेक्ट सेलिंग (एम्वे और टपरवेयर जैसी कंपनियों के लिए) तक, घर पर ट्यूशन देने तक और यहां तक कि छोटे कार्यक्रमों में कैटरिंग तक रहा है। उद्योग में महिलाएं हमेशा कोई न कोई राह पकड़ लेती हैं। हाल ही के समय में, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और फंडिंग व मार्केटिंग के बढ़े हुए चैनल्स की वजह से यह महिलाएं उद्यमी बनना चाहती हैं और अपना खुद का कारोबार शुरू करना चाहती हैं।

इन प्रयासों में कई स्तरों पर और कई तरह की समस्याएं हैं। इसमें एक बड़ा कारण है महत्व न देना। फंडिंग संसाधनों की कम जानकारी और उनके कारोबार को मदद देने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी न होना भी एक कारण है। सहयोगी परिवार न होना तो जैसे सबसे बड़ी बाधा है। सबसे महत्वपूर्ण, हमारा सामाजिक नजरिया भी एक कारण है जो महिला के स्टार्टअप के मुकाबले पुरुष के स्टार्टअप को चुनने को कहता है। जागरुकता, प्रोत्साहन देने वाला नजरिया और मूल्य व्यवस्था में जमीनी बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। महिला उद्यमियों के खिलाफ होने वाले भेदभाव को बदलना बेहद जरूरी है।

सरकारी योजनाओं का लाभ लेना

किसी भी महिला के लिए परिवार और दोस्तों का सहयोग ही अपना स्टार्टअप शुरू करने की नींव बनती है। लेकिन फंडिंग योजनाएं और वित्तीय सहयोग एक बड़ी दिक्कत है जो महिलाओं को अपना स्टार्टअप शुरू करने से रोकती है। अप्रैल 2016 में, भारत सरकार ने स्टैंड अप इंडिया स्कीम शुरू की है। इसका मुख्य उद्देश्य एससी/एसटी और महिलाओं के बीच उद्यमिता को प्रोत्साहन देना है। इसके लिए 10 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक के कर्ज अपना खुद का कारोबार स्थापित करने के लिए दिए जाते हैं। जो महिलाएं इस स्कीम के तहत फायदा उठाती हैं, उन्हें अपने कारोबार के लिए अन्य सहयोगी सेवाओं का लाभ भी मिल सकता है। उन्हें सरकार के सामाजिक कल्याण कार्यक्रम के दायरे में भी लाया जा सकता है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीयकृत बैंकों को महिला उद्यमियों के लिए खास तौर पर कर्ज की योजनाएं शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इनमें अन्नपूर्णा योजना, देना शक्ति योजना, उद्योगिनी योजना, स्त्री शक्ति योजना, महिला उद्यम निगम योजना शामिल हैं।

भारतीय महिला बैंक

देश में इच्छुक महिला उद्यमियों को वित्तीय सहयोग प्रदान करने और उन्हें औपचारिक बैंकिंग संस्थानों से जोड़ने के लिए 2013 में भारतीय महिला बैंक लिमिटेड (बीएमबीएल) की स्थापना की गई थी। इस बैंक के उद्देश्यों में से प्रमुख है- भारतीय महिलाओं को नॉन-बैंकिंग फाइनेंसर्स और साहूकारों से दूर रखना। इनमें छोटे-छोटे दलाल और निजी संस्थान शामिल हैं। जो पारंपरिक तौर पर महिलाओं की बचत को खत्म कर देते हैं और कर्ज के बदले मोटी रकम वसूलते हैं। ऐसी घटनाओं में महिलाओँ के साथ धोखाधड़ी और उच्च ब्याज दर वसूलने की आशंका ज्यादा रहती है। महिलाओं की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए एक विशेषीकृत बैंक नई उद्यमियों के लिए बड़ी उम्मीद बनकर आया है। भारत दुनिया का ऐसा तीसरा देश है, जहां महिलाओं को केंद्र में रखकर बैंक बनाया गया है। बीएमबीएल की अब 100 शाखाएं हो चुकी हैं। इस महीने की शुरुआत में, एसबीआई बोर्ड ने भारतीय महिला बैंक के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब यह हुआ कि बीएमबीएल जल्द ही देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक का हिस्सा होगा और महिला उद्यमियों के लिए वहां से वित्तीय सेवाओं को हासिल करना आसान हो जाएगा।

भारत की 6 प्रेरक महिला उद्यमी

यदि आप भारतीय महिला हैं जो अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहती हैं तो हम यहां कुछ सफल उद्यमियों के नाम बता रहे हैं, जो आपको अतिरिक्त मेहनत करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं-

•सायरी चहल, शेरोज
सायरी चहल शेरोज की संस्थापक और सीईओ हैं। महिलाओं के लिए करियर प्लेसमेंट की दुनिया में वह बड़ा अंतर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

फाल्गुनी नायक
27 साल तक बैंकर रहने के बाद फाल्गुनी नायर ने अपना खुद का कारोबार शुरू करने की ठानी और ब्यूटी व वेलनेस ई-स्टोर न्याका शुरू किया।

रिचा कार, जिवामे
एक ऐसे देश में जहां लिंगारी खरीदना महिलाओं के लिए मुश्किल भरा होता है, रिचा कार ने आगे बढ़ने का फैसला किया और ई-कॉमर्स साइट ही शुरू कर दी। जिवामे के जरिए महिलाएं घर बैठे-बैठे ही अपने लिए अंडरगारमेंट्स खरीद सकती हैं।

सुची मुखर्जी, लाइमरोड
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और कॉरपोरेट में पांच साल काम करने के बाद सुची मुखर्जी ने अपना खुद का फैशन रिटेल पोर्टल, लाइमरोड शुरू किया है।

अनीशा सिंह, मायदला
पढ़ाई पूरी करने और अमेरिका में अपना करियर शुरू करने के बाद अनीशा सिंह भारत लौट आई और उन्होंने मायदला नाम से अपना कारोबार शुरू कर दिया।

सबीना चोपड़ा, यात्रा
सबीना चोपड़ा ने जब अपने ऑनलाइन व्यापक यात्रा प्रबंधन अनुभव का इस्तेमाल अपने उपक्रम में करने की सोची तो वह यात्रा के स्वरूप में सामने आया।