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स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 : इंदौर सबसे साफ शहर, भोपाल नंबर 2 पर तथा गोंडा सबसे गंदा

May 6, 2017


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केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 जारी किया, एक वार्षिक रिपोर्ट जो भारत के 500 शहरों और नगरों की नगर पालिकाओं में स्वच्छता की दर पर आधारित है।

2017 की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर (मध्य प्रदेश) नंबर 1 पर, भारत के सबसे साफ शहर के रूप में एवं भोपाल (मध्य प्रदेश) नंबर 2 के स्थान पर है तथा गोंडा (यू.पी.) और भुसावल (महाराष्ट्र) गंदगी की श्रेणी में सबसे खराब स्थिति पर हैं।

शीर्ष 50 शहरों में गुजरात के 12 शहरों ने अपनी जगह बनाई है और उसके बाद मध्य प्रदेश के 11 और आंध्र प्रदेश के 8 शहर हैं। भारत के बड़े राज्यों में से एक, उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब रहा, इसके 25 शहरों की स्थिति सबसे खराब दर्ज की गई। पश्चिम बंगाल ने सर्वेक्षण में भाग लेने से मना कर दिया।

भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा 421 गुणवत्ता मूल्यांकन कर्ताओं को तैनात किया गया था, जो सामूहिक रूप से 17,500 स्थानों पर गये तथा स्थायी निगरानी के लिए 50 अतिरिक्त लोग नियुक्त किए गए थे।

भारत के शीर्ष 10 साफ शहर हैं-

  1. इंदौर
  2. भोपाल
  3. विशाखापट्टनम
  4. सूरत
  5. मैसूर
  6. तिरुचिरापल्ली
  7. नई दिल्ली (एनडीएमसी क्षेत्र)
  8. नवी मुंबई
  9. तिरुपति
  10. वड़ोदरा

इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?

यह रैंकिंग बहुत अच्छा संकेत देती है कि स्थानीय सरकार क्या कर रही है, लेकिन रैंकिंग बदल सकती है और हर साल बदलेगी। यहाँ बड़ी बात यह नहीं है। तथ्य यह है कि इसमें 500 ​​शहरों ने भाग लिया है और उच्च स्थान पर रहने की आवश्यकता के बारे में जागरूक हो गये हैं, साथ ही सुधार की आवश्यकता पर लोगों के बीच चेतना बढ़ी है|

स्वच्छ भारत अभियान प्रभावी दिख रहा है और यह साबित करता है कि जब सरकार गंभीरता से नागरिक और सामाजिक विकास में अगुवाई करती है, तो लोग सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए तैयार हो जाते हैं।

2014 में स्वच्छ मिशन शुरू होने से पहले, नगर की साफ सफाई के सुधार की तरफ जनता में जागरुकता पैदा करने के लिये किसी भी तरह का गंभीर कदम नहीं उठाया गया और न ही सरकार ने इसकी तरफ कोई खास कोशिश की।

वार्षिक स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट की सफलता उत्साहित लोगों की भागीदारी के माध्यम से देखी जा सकती है। शहरी विकास मंत्रालय के अनुसार, 434 कस्बों और शहरों में 18 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया जो सर्वेक्षण में भाग ले रहे थे। इनमें से, 80% ने इस पहल को और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर अनुकूल प्रतिक्रिया व्यक्त की।

2016 में, केवल 72 कस्बों और शहरों को कवर किया गया था। 2017 में भाग लेने के लिए 500 कस्बों और शहरों की इच्छा थी। निःसंदेह भारत सही रास्ते पर है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना चाहिए।

तथ्य यह है कि प्रधानमंत्री के अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन यह अभी भी कई अन्य शहरों से काफी पीछे है, केवल शहरों और कस्बों को साफ बनाने और उनकी रैंकिंग में सुधार करने में मदद करने वाले कदमों को शुरू करने के लिए अनिवार्य प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।

2018 में जारी होने वाली नगरपालिका रिपोर्टे में नगरपालिकाएं रैंकिंग सुधारने के लिए क्या कर सकती हैं?

  • अपने घरों और संस्थानों के आसपास के क्षेत्रों को साफ रखने के लिए स्कूलों और कॉलेजों के छात्र समुदायों में जागरूकता बढ़ायें।
  • साल भर के स्वच्छता अभियान में लोगों की भागीदारी में वृद्धि के लिए विभिन्न स्तरों पर स्थानीय समुदायों को शामिल करें।
  • कचरा प्रबंधन और निपटान प्रौद्योगिकी के निवेश में वृद्धि करना तथा अधिक कचरा कर्मचारियों और वाहनों का संग्रह तैनात करना।
  • कचरा पृथक्करण, कंपोस्ट और बायो-गैस कनवर्टिंग प्रौद्योगिकियों में निवेश करें।
  • खुली नालियों को ढक कर रखें, अधिक सीवरेज लाइनें लगाएं और अधिक हरे भरे मैदान बनवायें।
  • रखरखाव के उच्च मानक सुनिश्चित करने के लिए अधिक सार्वजनिक शौचालयों और प्रोत्साहित कर्मचारियों का गठन करें।

ये कई उपायों में से कुछ हैं जो कि किए जाने की आवश्यकता है। यह स्थानीय नगरपालिका के प्रमुखों के लिए एक अच्छा विचार होगा कि वे इंदौर, भोपाल, मैसूर और सूरत जैसे शहरों का दौरा करें और देखें कि ये शहर कैसे शीर्ष 10 की सूची में लगातार सफल रहे हैं।

यह समय है कि हम सभी अपने घरों और इसके आस-पास के क्षेत्रों से छोटी शुरूआत करें।