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2018 से तमिलनाडु करेगा कक्षा ग्यारह में बोर्ड परीक्षा का आयोजन

June 7, 2017


tamil-nadu-plans-class-xi-boards-hindiतमिलनाडु राज्य सरकार ने 2018 से कक्षा ग्यारह के विद्यार्थियों के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है। तमिलनाडु राज्य सरकार ने 1979 के बाद से स्कूली शिक्षा में एक बड़े सुधार के तहत, 2019 में पास होने वाले विद्यार्थियों को कक्षा ग्यारह और बारह में प्राप्त अंकों के आधार पर एक सम्मिलित अंक पत्र देने का निर्णय लिया है। तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री के ए सेनगोटैयायन ने बुधवार की दोपहर को यह घोषणा की और कहा कि यह निर्णय विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में राज्य के उम्मीदवारों का प्रदर्शन, विशेष रूप से एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता-कम-प्रवेश परीक्षा) में सुधार लाने के लिए लिया जा रहा है। अपने बयान में मंत्री ने कहा, “प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कक्षा ग्यारह के पाठ्यक्रमों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, हमने कक्षा ग्यारह में बोर्ड परीक्षा करवाने का फैसला किया है, शुक्रवार को इसके बारे में हम एक सरकारी आदेश जारी करेंगे, जिसमें हम सब कुछ विस्तार से समझाएंगे”।

उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए भी एक नया पाठ्यक्रम पेश किया जाना है, इसके बारे में शुक्रवार को घोषणा की जाएगी। तमिलनाडु पिछले 12 सालों से एक ही पाठ्यक्रम का अनुसरण कर रहा है। अन्ना विश्वविद्यालय के ई बालागुरूस्वामी जैसे तीन अन्य पूर्व कुलपतियों को शामिल करने वाली एक उच्च स्तरीय समिति अगले तीन वर्षों में कक्षाओं की सूची के लिए नए पाठ्यक्रमों पर निर्णय करेगी।

तमिलनाडु के शिक्षा विभाग द्वारा किए गए अन्य निर्णय निम्नलिखित हैं:

  • बोर्ड परीक्षाओं की अवधि 3 घंटे से घटाकर 2½ घंटे कर दी गयी है।
  • कक्षा ग्यारह की बोर्ड परीक्षा निरोध नीति पर आधारित नहीं होगी।
  • यदि कोई छात्र कक्षा ग्यारह में सभी विषयों में विफल हो जाता है, तो छात्र/छात्रा उस वर्ष जून/जुलाई में आयोजित होने वाली पूरक परीक्षा में या अगले साल की कक्षा बारह की परीक्षा दोनों में से एक में बैठ सकती है।
  • छात्र द्वारा कक्षा ग्यारह और बारह में प्राप्त किये गये अंकों को समान महत्व दिया जाएगा।
  • सम्मिलित अंक पत्र अधिकतम 1200 अंक का होगा जिसमें से 600 अंक कक्षा ग्यारह के और 600 अंक कक्षा बारह के शामिल हैं।
  • प्रत्येक विषय के आंतरिक मूल्यांकन के लिए 10% अंकों को आरक्षित किया गया है। दो शैक्षणिक वर्षों कक्षा ग्यारह और बारह में आंतरिक मूल्यांकन एक निरंतर प्रक्रिया होगी।
  • किसी विषय में पास होने के लिए न्यूनतम 35% अंकों की आवश्यकता होंगी।
  • सभी प्रयोगिक परीक्षाएँ कक्षा बारह में आयोजित की जाएंगी।

इस सुधार के कारण का तथ्य यह है कि कई निजी स्कूलों द्वारा कक्षा ग्यारह के पाठ्यक्रम को नजरअंदाज करके कक्षा बारह के पाठ्यक्रम पर अधिक ध्यान दिया जा रहा था। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी कक्षा बारह की बोर्ड परीक्षाओं में कक्षा ग्यारह और बारह की संयुक्त पाठ्यक्रम में अच्छे अंक नहीं ला पा रहे थे। सरकारी परीक्षाओं के निदेशक ने सरकार से आग्रह किया कि कक्षा ग्यारह में एक सार्वजनिक परीक्षा शुरू करने का आदेश दिया जाये, ताकि विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा आईआईटी-जेईई, एनईईटी और सीएलएटी जैसी अखिल भारतीय परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिले।

हालांकि लोगों के एक वर्ग ने, मुख्यतः शिक्षक और शैक्षिक विशेषज्ञों ने इस निर्णय का स्वागत किया है, लेकिन छात्रों का एक वर्ग इस विचार से बहुत खुश नहीं था क्योंकि उनका मानना ​​है कि यह तनाव को बढ़ा देगा।