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गणतंत्र दिवस 2017 के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत का आनन्द लें

May 29, 2017


Tableaux-That-are-Set-to-Add-Colour-to-the-68th-Republic-Day-of-India-hindiभारत 26 जनवरी 2017 को 68 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने जा रहा है। इस दिन भारत का संविधान आधिकारिक रूप से सभी सरकारी दस्तावेजों के साथ लागू किया गया था। भारत सरकार ने 1935 अधिनियम के तहत भारतीय संविधान को 1950 में लागू किया। प्रत्येक वर्ष दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड आयोजित की जाती है जहाँ अर्ध सैनिक बलों के साथ वायु सेना, जल सेना, थलसेना और भारत के विभिन्न राज्य अपनी प्रतिभा और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करते हैं।

सभी कार्यक्रम 26 जनवरी 2017 को 9 बजे से शुरू होंगे।

मानदंडों के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी तिरंगा (राष्ट्रीय ध्वज) फहरायेगें और सलामी देगें, 2017 में भारत के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान होंगे।

2017 की मुख्य विशेषताएँ

हर साल गणतंत्र दिवस परेड के दौरान प्राचीन परंपराओं और भारतीय राज्यों की विरासत के साथ आधुनिक युद्ध की तकनीकि प्रदर्शित की जाती है, जिसे देखकर दर्शक रोमांचित और अवाक हो उठते हैं। इस वर्ष भी ऐसा ही होगा और गणतंत्र दिवस परेड 2017 के मुख्य आकर्षण निम्नलिखित होंगे।

  • राजपथ को मुख्य अतिथि के सम्मान में गमलों में रखे हुए खजूर के पौधों की पंक्तियों से सजाया जाएगा क्योंकि खजूर संयुक्त अरब अमीरात का राष्ट्रीय फल है।
  • परेड के दौरान एनएसजी (राष्ट्रीय सुरक्षा रक्षक) के 140 कमांडो की टीम अपने शानदार कौशल का प्रदर्शन करेगी।
  • अपने प्रदर्शन में गुलजार का लिखा गीत भी गायेंगे – “है ना है ना हम हिन्दुस्तान, हम रंग रंग है, फिर भी संग संग हैं”।
  • तोड़फोड़ विरोधी, अपहरण विरोधी टीमों के साथ-साथ मुकाबला मुक्त गिरोह, सीबीआरएनई टीम (रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु आतंकवादी खतरों या हमले से सुरक्षा के लिए विकिरण सुरक्षित पोशाक पहनने वाले कमांडो का एक उन्नत आतंकवादी लड़ाकू बल) और गहरे गोताखोरों (पानी के नीचे दुश्मनों को मार सकता है) द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा।
  • बुलेट प्रूफ बख़्तरबंद अपहरण विरोधी वाहन जो शक्तिशाली विस्फोट का विरोध कर सकता है और पानी के नीचे जा सकता है, परेड में प्रदर्शित किया जाएगा।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में 17 राज्य और केंद्र सरकार के छह मंत्रालय भाग लेंगे। वे राष्ट्रीय सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व या आर्थिक विकास के लिए प्रेरित होने वाली किसी भी घटना या व्यक्ति के आधार पर आधारित थीम प्रदर्शित करेगें।

17 राज्य – अरुणाचल प्रदेश, असम, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल हैं जो प्रदर्शन करेगें।

केन्द्रीय सरकार के छः मंत्रालय झाँकी प्रदर्शित करने के लिए तैयार हैं। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी), लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) और कौशल विकास मंत्रालय निम्नलिखित मनोहर झाकियों का प्रदर्शन करेंगेः

  • अरुणाचल प्रदेश की बौद्ध जनजातियों के महायान संप्रदाय के लोग याक नृत्य दिखायेगें। किंवदंती के अनुसार एक याक ने एक परिवार की समस्याओं का हल किया था और यह नृत्य महायान बौद्ध जनजातियों के स्वास्थ्य, धन और खुशी का प्रतीक है।
  • इस साल असम गुवाहाटी के प्रसिद्ध कामख्या मंदिर का चित्रण करेगा। कामाख्या मंदिर देवी शक्ति का है और दुनिया भर के तीर्थयात्री यहाँ अंबुबासी मेले के दौरान विशेषकर आते है जिसे पवित्र काल (समय) माना जाता है।
  • दिल्ली में सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उठाए गए प्रयासों से मॉडल स्कूलों के माध्यम से सरकारी स्कूलों का उन्नयन दिखाया जाएगा।
  • गोवा क्षेत्र के लोग अपनी संगीत विरासत का प्रदर्शन करेंगे।
  • पीआईबी राज्य गुजरात कला और कच्छ की जीवन शैली की समृद्ध विरासत पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • हरियाणा का नारा, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” (बेटियाँ बचाना, बेटियों को शिक्षित करना) बेटी बचाओ थीम के साथ और सरकार द्वारा गर्भपात उन्मूलन और लड़कियों के बीच साक्षरता को प्रोत्साहित करने की पहल पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • हिमाचल प्रदेश 18 वीं शताब्दी का “चम्बा रुमाल” चंबा शहर की पहाड़ी कला का एक अनोखा नमूना प्रस्तुत करेगा।
  • जम्मू और कश्मीर गुलमर्ग की परंपराओं को और शीतकालीन खेलों के विकास के लिए एक झाँकी दिखाएगा।
  • कर्नाटक राज्य के त्यौहार गोरवा के रूप में शिव के उपासक धार्मिक नृत्य एवं लोक नृत्यों की झाँकी दिखाएंगे।
  • लक्षद्वीप का ‘प्रकृति पर्यटन’ और ‘साहसिक खेल’ से विचारों को प्रदर्शित कर संभावित पर्यटकों को पर्यटन के लिए आकर्षित करने का लक्ष्य है।
  • महाराष्ट्र इस साल स्वतंत्रता सेनानी और एक सामाजिक सुधारक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की 160 वीं जयंती के उपलक्ष्य में झाँकी के द्वारा इस महान व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देगा।
  • मणिपुर, मणिपुर के प्राचीन परंपरा के थिएटर लाइ हरोबा पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • ओडिशा राज्य की मूर्तियों को ‘डोला जत्रा’ भक्ति संस्कृति की परंपरा के माध्यम से चित्रित किया जाएगा, यह त्यौहार राधा और कृष्ण के ‘अंतिम मिलन’ की यात्रा के रूप में मनाया जाता है।
  • पंजाब ‘जागो’ थीम पर आधारित प्रदर्शन करेगा। यह त्यौहार पंजाब में शादी से एक रात पहले मनाया जाता है।
  • तमिलनाडु एक ‘करकट्टम’ नामक लोकप्रिय लोक नृत्य प्रस्तुत करेगा, जहाँ नृत्य करने वाले पीतल के बर्तनों और सिर पर संतुलित लकड़ी के तोते के साथ ढोल की धुन पर प्रदर्शन करेंगे।
  • त्रिपुरा, उत्तर पूर्वी भारत की 8 बहनों में से एक, ‘होजागिरि’- एक रीआंग आदिवासी नृत्य पेश करेंगे। नर्तकियाँ, जिनमें युवा महिलाओं और लड़कियों का समावेश है, नाचते वक्त सिर पर मिट्टी के बर्तनों का संतुलन बनाए रखेंगी।
  • पश्चिम बंगाल, दुर्गा पूजा का अनुभव कराएगा, जिसे ‘शोरोड उत्सव’ के रूप में भी जाना जाता है।

यह समय हमारे राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत के साथ आनन्दित होने का है। गणतंत्र दिवस परेड देखना न भूलें। गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें।

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