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टेलीविजन – एक दूरदर्शन

June 24, 2017


यह कहना गलत नहीं होगा कि टेलीवीजन बीसवीं सदी के सबसे बड़े आविष्कारों में से एक है। वास्तव में इसके कारण जनसंचार में एक बड़ी क्रांति आई है लेकिन आप अगर इसके दूसरे पहलू को देखते हैं तो यह बहुत चुनौतीपूर्ण है। टेलीविजन या नए जमाने की प्लाज्मा, एलसीडी स्क्रीन के सामने आप घंटों लगातार बैठे रहते हैं, जिसे हम दूरदर्शन के बजाय बेबकूफों का पिटारा भी कह सकते हैं। कभी-कभी आप अपने पसंदीदा धारावाहिक में इतने खो हो जाते हैं कि आप यह भी भूल जाते हैं कि आपके आस-पड़ोस में क्या हो रहा है या अगर कोई आपके पास फोन कर रहा हो या फोन बज रहा हो तो भी आप ध्यान नहीं देते हैं, जिसका निष्कर्ष यह होता है कि आप अपने आस-पड़ोस के लोगों से पूरी तरह से अलग हो जाते हैं। आम तौर पर बहुत सी महिलाएं अपने पसंदीदा धारावाहिक के बारे में आपस में गप्पे लड़ाया करती हैं, इसलिए इसका प्रभाव साधारण जीवन से परे है। कई लोगों की नजरे टेलीवीजन पर आने वाले कार्यक्रमों पर ही टिकी रहती हैं। जिससे टेलीविजन के कार्यक्रमों के कारण रात का खाना भी देर में पकाया जाता है, विज्ञापन आने के दौरान खाना परोसने जैसे कार्य किए जाते हैं और यदि आपकी दिनचर्या ऐसी ही है तो इसे बदलने की आवश्यकता है, क्योंकि यह मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। यह विशेष रूप से बच्चों के मामलों में काफी हद तक सच है, भले ही वह टेलीवीजन ना देख रहे हों, लेकिन एक निष्क्रिय दर्शकों के रूप में अभिनय करते हैं।

परिवार के साथ सीमित समय के लिए टेलीविजन देखना बुरा नहीं है लेकिन अधिक समय तक टेलीविजन देखने से हमारी महत्वपूर्ण स्मरणशक्ति हानिकारक रूप से प्रभावित हो सकती है और हमारे व्यक्तित्व को बदल सकती है। इसके अतिरिक्त टेलीविजन देखने से हमारे संबंधों पर भी गहरा असर पड़ता है। टेलीविजन द्वारा ध्वनि प्रदूषण की भी वृद्धि होती है। हर समय टेलीवीजन देखने का मतलब यह भी है कि आपके पास मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करने का समय भी कम है। अगर आपका साथी आप से बात करने की बजाय टेलीवीजन को एक बेहतर विकल्प माने तो आपको कैसा लगेगा? आप निश्चित रूप से बुरा महसूस करेंगे और जैसा कि बाद में पता चला है कि बहुत ज्यादा टेलीवीजन देखने के कारण अब तलाक के मामलों में भी वृद्धि हुई है।

इसके अलावा 3 डी टेलीविजन के कारण बच्चों की सोचने-समझने की शक्ति भी बहुत प्रभावित हुई है। यह भी सलाह दी जा रही है कि तीन वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को टेलीविजन नहीं देखना चाहिए। यदि बडे़ बच्चे दो घंटे से अधिक समय तक टेलीविजन देखते हैं तो उनका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इससे आपके बच्चे में चिड़चिड़ेपन का व्यवहार आ सकता है, जिससे स्कूल में उनका प्रदर्शन खराब हो सकता है। 1969 में हरबर्ट क्रुगमैन द्वारा किए गए एक अध्ययन से यह पता चला है कि हमारे मस्तिष्क के गोलार्द्ध के बाएं तरफ का हिस्सा सूचनाओं को तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक रूप से प्रसंस्करण के लिए जिम्मेदार है लेकिन टेलीविजन देखने से यह अनियंत्रित हो जाता है।

मन को शांत रखने के लिए और इन सब दुष्प्रभावों से बचने के लिए, अपने मस्तिष्क को आराम देना बहुत ही आवश्यक है जो कि किसी भी प्रकार के शोर-शराबे के बिना ही किया जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों और परिवार के साथ बैठें और दूरदर्शन को बंद करना सुनिश्चित करें। अलग-अलग विषयों पर या पूरे दिन क्या हुआ है, उस पर एक आकस्मिक बात-चीत करें, टेलीविजन के सामने बैठ कर समय बर्बाद न करें क्योंकि एक बार समय खो जाने के बाद वापस नहीं मिलता है और बाद में या तो आप अपने को या दूरदर्शन को दोष देंगे।