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अमृतसर में स्वर्ण मंदिर: एक दिव्य स्थान

May 26, 2017


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स्वर्ण मन्दिर

स्वर्ण मंदिर पंजाब के शहर अमृतसर में स्थित है जिसे सम्मानपूर्वक “दरबार साहिब” कहा जाता है। यह सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थान है इसे “हरमंदिर” के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ है “ईश्वर का मंदिर”। यह विलक्षण सुंदरता और शानदार शांति का एक स्थान है यह सोलहवीं सदी में पाँचवें सिख गुरु, गुरु अर्जुन देव जी द्वारा बनाया गया था। गुरुद्वारे का गुंबद सोने के पानी से मढ़ा हुआ है जिससे यह “स्वर्ण मंदिर” के नाम से लोकप्रिय हुआ। गुरुद्वारा मूल रूप से एक शांत जगह में एक छोटी सी झील से घिरा हुआ था। बाद में चौथे गुरु, गुरु राम दास जी ने इस झील को बड़ा करवा दिया था। मंदिर के निर्माण के बाद डिजाइनर संगमरमर, सोने और कीमती पत्थरों के साथ अलंकृत किया गया था। मंदिर परिसर के भीतर सिखों का पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब और आदि ग्रंथ को एक जमीनी मंच पर रखा गया है। दरबार साहिब के चार प्रवेश द्वार हैं जो सिख धर्म का सभी धर्मों के प्रति खुलेपन का प्रतीक हैं।

यह स्थान भटकते हुए भक्तों और अतिप्राचीन साधुओं के लिए एक ध्यान का आश्रय बन गया है। इस पवित्र तीर्थ स्थल की पूजा के लिये यहाँ एक लाख से ज्यादा लोग प्रतिदिन आते हैं। “गुरु का लंगर” (अंग्रेजी में मुफ्त रसोई) पूरे दिन आगंतुकों को सेवा प्रदान करता है। पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब से भजन (शबद) सुबह से सूर्यास्त तक लंबे समय तक गाये जाते हैं। शांत सरोवर (झील) के चारों ओर एक मधुर ध्वनि गूंजती है। इस दिलचस्प संगीत से श्रोताओं में एक अनूठी शक्ति का एहसास होता है जो श्रोताओं को इत्मिनान से परिक्रमा करने में योगदान देता है। स्थान की सौम्यता हमें स्वर्ग के घर जैसा एहसास कराती है।