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सबसे प्रदूषित नदी यमुना

June 24, 2017


भारत में नदियां न सिर्फ जल निकाय हैं बल्कि ये नदियां देवी और देवताओं के रूप में पूजी जाती हैं और पवित्रता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इस तरह की एक सम्मान की स्थिति के बावजूद मल की खुली नालियों, दूषित जल का शुद्धीकरण करने वाले पर्याप्त संयंत्रों का अभाव, मृदा अपरदन और नदियों के जल में प्लास्टिक कचरे का प्रक्षेपण करने आदि जैसे कारणों से नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है। यमुना नदी ऐसा ही एक उदाहरण है, जहाँ सफाई का हर प्रयास विफल हो गया है। एक जमाने में यमुना नदी का जल ‘साफ नीले’ रंग का था, लेकिन अब खासकर नई दिल्ली के आस-पास यह नदी दुनिया की सबसे दूषित नदियों में से एक हो गयी है। राजधानी का लगभग 58% कचरा नदी में बहाया जा रहा है। नदी के जल में प्रदूषकों की खतरनाक दर से वृद्धि हो रही है। वह दिन बहुत दूर नहीं है जब दिल्ली के घरों में पहले से भी ज्यादा प्रदूषित जल होगा। वर्तमान में दिल्ली के 70% लोग यमुना नदी का शुद्धीकरण किया हुआ जल पीते हैं।

दिल्ली प्रति दिन 1,900 मिलियन लीटर (एमएलडी) जल दूषित कर रही है, लेकिन दूषित जल के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) शहर के कुल दूषित जल का केवल 54 प्रतिशत ही शुद्धीकरण कर पा रहा है। इसके अलावा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने बताया है कि गंदे जल का शुद्धीकरण करने वाले 35 में से 15 संयंत्र अपनी क्षमताओं से कम काम कर रहे हैं। इससे यमुना नदी पहले से भी ज्यादा तेज गति से दूषित हो रही है। इसके अलावा शहरी आबादी में होने वाली वृद्धि नदी के प्रदूषण को बढ़ा रही है। यमुना जल प्रदूषण के कारण दिल्ली के साथ और शहरों का भी भूमिगत जल दूषित हो रहा है। यमुना नदी को अधिकारियों में से एक ने “गंदे जल का नाला” माना है।

यमुना नदी सबसे प्रदूषित क्यों है?

यमुना के पाँच भाग – हिमालयी भाग (उद्गम से ताजेवाला बैराज 172 कि.मी.), ऊपरी भाग (ताजेवाला बैराज से वजीराबाद बैराज 224 कि.मी.), दिल्ली भाग (वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज 22 कि.मी.), ईयूट्रिफिकेटेड भाग (ओखला बैराज से चंबल संगम 490 कि.मी.) और जलमिश्रित भाग (चंबल संगम से गंगा संगम 468 कि.मी.) हैं। यमुना का दिल्ली भाग सबसे अधिक प्रदूषित है। यमुना नदी पल्ला गाँव से दिल्ली में प्रवेश करती है। यमुना में 22 नाले गिराए गए हैं। इनमें से 18 नाले यमुना में सीधे गिराए गए हैं और 4 आगरा और गुड़गाँव नहर के माध्यम से गिराए गए हैं।

पर्याप्त संख्या में नदी के गंदे जल का शुद्धीकरण करने वाले संयंत्रों की कमी ने यमुना में प्रदूषण की वृद्धि की है। इससे पहले दिल्ली के वजीराबाद से उत्तर प्रदेश के इटावा तक यमुना सबसे प्रदूषित थी। हाल ही में इसके प्रदूषण में अत्यधिक वृद्धि हुई है और इसके आरंभस्थल को हरियाणा के पानीपत में स्थानांतरित कर दिया गया है। इसलिए इसमें 100 कि.मी. लम्बा प्रदूषित भाग जोड़ा गया है।

पिछले दो दशकों में यमुना को साफ करने के लिए 6,500 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। लेकिन इसकी नवीनतम रिपोर्ट में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा है कि यमुना के प्रदूषित भाग 500 कि.मी. से 600 कि.मी. तक बढ़ गए हैं।

जलीय जीवन को संतुलित करने के लिए जल में 4.0 मिलीग्राम/ली. विघटित ऑक्सीजन होनी चाहिए। यमुना में दिल्ली में वजीराबाद बैराज से लेकर आगरा तक की दूरी में 0.0 मिलीग्राम/ली. और 3.7 मिलीग्राम/ली. विघटित ऑक्सीजन है।

जल प्रदूषण को बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के स्तर द्वारा मापा जाता है और इसकी अनुमत सीमा 3 मिलीग्राम /ली. या उससे भी कम होनी चाहिए। जबकि यमुना के सबसे प्रदूषित भाग में 14 से 28 मिलीग्राम/ली. बीओडी सांद्रता है। बीओडी बढ़ रहा है, क्योंकि वहाँ कई अनुपचारित गंदी जल नालियाँ हैं, जो नदी के किनारे गिराई जा रही हैं।

निजामुद्दीन पुल और आगरा के बीच यमुना के भागों में उच्च स्तर में विषैली अमोनिया है।

पानीपत और आगरा के बीच के भागों में उच्च स्तर में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हैं।

दिल्ली के तीन बैराज अर्थात् वजीराबाद बैराज, आईटीओ बैराज और ओखला बैराज यमुना नदी के प्रवाह को विनियमित करते हैं।

यमुना नदी को साफ करने के लिए उठाए गए कुछ कदम

यमुना को साफ करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी), एफफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (ईटीपी), इनस्टालेशन कॉमन एफफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स, यमुना एक्शन प्लान, पर्यावरण जागरूकता अभियान दिल्ली सरकार द्वारा जारी की गई कुछ पहल हैं। इसके अलावा इसके जल की गुणवत्ता की नियमित रूप से जाँच की जाती है।

यमुना एक्शन प्लान (वाईएपी) – यमुना एक्शन प्लान यमुना की सफाई के लिए है। 1993 से जापान सरकार की जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी यमुना को चरणों में साफ करने के लिए भारत सरकार की सहायता कर रही है। इस योजना के द्वारा पहले चरण में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के 29 शहरों में 39 दूषित जल का शुद्धीकरण करने वाले संयंत्रों की स्थापना की गई थी। यमुना एक्शन प्लान 1 और 2 के तहत करीब 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

परिणाम

यमुना के हर गंतव्य स्थान पर सफाई का काम अभी तक नहीं किया गया है और नदी अभी भी प्रदूषित है। ज्यादातर दूषित जल शुद्धीकरण करने वाले संयंत्र या तो क्षतिग्रस्त हैं या ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा नदी को बरसात के मौसम में ही ताजा जल मिलता है और फिर लगभग नौ महीने जल प्रवाहहीन रहता है। जिसके कारण जल प्रदूषित रहता है। बिना किसी परिणाम के सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। भ्रष्ट प्रशासन और लोगों का रवैया सफाई कार्यक्रमों को छिपाने के लिए पर्याप्त है। हमें एक व्यक्ति के रूप में पूजा करने के लिए नदी में कुछ भी नहीं फेंकने की जिम्मेदारी लेनी होगी। कानून अधिक कड़े होने चाहिए और पैसे का इस्तेमाल जेब को भरने के बजाय आवंटित करने में किया जाना चाहिए।