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अपनी नौकरी छोड़ने और दुनिया की सैर पर निकलने से पहले जाने कुछ सत्य

August 23, 2016


अपनी नौकरी छोड़ने और दुनिया की सैर पर निकलने से पहले जाने कुछ सत्य

अपनी नौकरी छोड़ने और दुनिया की सैर पर निकलने से पहले जाने कुछ सत्य

आपने दुनिया के ऐसे लोगों के बारे में सुना होगा, जिन्होंने अपनी अच्छी-खासी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ी और यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने सोचा और महसूस किया होगा कि जिंदगी उनसे ऐसा ही कुछ चाहती है? आप भी सोच रहे हैं कि आपको नौकरी छोड़-छाड़कर पूरी दुनिया घूमने निकलना चाहिए? उन जगहों को देखना चाहिए, जिनके बारे में आपने अब तक सिर्फ सुन रखा है? खानाबदोश-सी जिंदगी जीना चाहते हैं? आप अज्ञात की खोज में निकले, उससे पहले इन बातों पर जरूर सोचे-

क्या आप घोसला छोड़ने को तैयार हैं?

घोसला छोड़कर उड़ने की इच्छा होना सामान्य और स्वाभाविक है। खासकर जब चाची और मौसी बोलना शुरू करती है कि 30 के हो गए हो और अब तक सिंगल! या आपका बॉस पूरी तरह से बकवास है। या जब बार-बार आने वाली बाढ़ या गड्ढों की वजह से दफ्तर के बजाय आपको घंटों ट्रैफिक जाम में फंसे रहना पड़ता है।

ऐसा क्यों नहीं? हर एक को छुट्टियां पसंद होती है! लेकिन नौकरी छोड़कर लंबी अवधि के लिए घूमने निकलना जितना सुनने में अच्छा लगता है, उतना हकीकत में है नहीं। आपको यह तय करना होगा कि क्या आप विदेशी या अनजान भाषा बोलने वालों के बीच रहने के लिए तैयार हैं, मां के हाथ के बने पराठों से दूर जा सकते हैं, क्या आप अपने जैसे रंग वाले, नस्ल वाले या धार्मिक आधार वाले दोस्तों के बजाय अजनबी के साथ वक्त बिताने को तैयार हैं।

यदि आपको सच्चाई के करीब पहुंचना है तो कई लोगों ने नौकरियां छोड़कर दुनिया की सैर पर निकलने का फैसला किया है। आप उनसे फर्स्ट हैंड इंफर्मेशन ले सकते हैं। आप उनके ब्लॉग्स पढ़ने के बाद बड़ी आसानी से नतीजे तक पहुंच सकेंगे। इससे आपको हकीकत का सामना करने में मदद मिलेगी। और यह सब आप अपने बॉस को कुछ भी कहने से पहले करें।
आलोचना के लिए तैयार रहे

आप आगे बढ़कर अपना फैसला सुनाए, उससे पहले कुछ तथ्यों को जान लेना बेहद जरूरी है। आपके इस कदम पर बहुत ज्यादा लोग साथ नहीं देने वाले। खासकर भारत में यदि कोई अच्छी-खासी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ता है या छोड़ने का सोचता है तो दिमाग में “लोग क्या कहेंगे” का गाना बजने लगता है।

आप खुद के लिए पागल से लेकर अजीब और नालायक से लेकर बेवकूफ तक के शब्द सुनने को तैयार हो जाइए। दोस्त और परिजन आपके इस फैसले से बहुत खुश हो जाएंगे, यह सोचना बहुत-ही सकारात्मक होने की निशानी है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। कई लोग तो कह देते हैं कि यदि तुम ऐसा कुछ करोगे तो वह आपकी जिंदगी से बाहर चले जाएंगे। लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लोग जरूर होंगे जो आपके अलग राग अलापने को महत्व देंगे। उसे समझेंगे।

कोई आपका चचेरा-ममेरा भाई होगा… कोई स्कूल का दोस्त होगा… आपको यह पता चलेगा कि इक्वाडोर में यदि शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े गए तो जमानत देकर जेल से बाहर निकालने में कौन मदद करेगा।

प्लान, प्लान, और प्लान… कुछ और योजना बनाओ

आप एकाएक घूमने निकलना चाहते हैं। बिना कुछ सोचे-समझे बस निकल पड़ना चाहते हैं। लेकिन फिर भी यदि आपकी यात्रा की अवधि ज्यादा है तो आपको थोड़ा-बहुत प्लानिंग करनी ही होगी।

यदि आप छह महीने… या उससे भी ज्यादा, कुछ वर्षों तक यात्रा पर निकलना चाहते हैं तो आपको उसके लिए पर्याप्त पैसे की जरूरत होगी। वरना यदि आप घूमने निकले और पैसे खत्म हो जाए तो लौटने के सिवा कोई चारा नहीं रह जाएगा। इतना ही नहीं, यदि आप एक पेशेवर हैं तो आपको प्रैक्टिस को समेटना होगा। सभी क्लाइंट्स को संदेश पहुंचाना होगा। आपकी मम्मी को आम का अचार और लड्डू बनाने के लिए भी तो वक्त चाहिए, जिनके बिना आपकी यात्रा अधूरी रहने वाली है।

आपको ड्राइविंग के सबक सीखने होंगे। लाइसेंस हासिल करना होगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट लेना होगा। खासकर यदि आप बार्सीलोना के बाहरी इलाके में खेती के सामान भरे ट्रक चलाना चाहते हो… आप जो भी करेंगे, लंबी दूरी के लिए ट्रैकिंग सीखे, हल्का बैग पैक करें और जिन भी देशों की आप यात्रा पर निकल रहे हैं, वहां के भारतीय दूतावासों के नंबर याद करना न भूले।

“पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं”

पिताजी सही कहते थे! इसमें कोई आश्चर्य नहीं रह गया है! आपको लगता है कि आपने एक साल के लिए बचा लिया है। लेकिन पर्याप्त कभी भी काफी नहीं होता। यदि आप ‘घर से काम करने’ का विकल्प लेकर यात्रा पर निकलते हैं तो यह न केवल आपके पर्स बल्कि आपके परिवार के लिए भी अच्छा होता है। अच्छी-खासी तनख्वाह छोड़कर घूमने निकलना तो समझदारी नहीं ही कही जाएगी।

रास्ते में काम से जुड़े प्रोजेक्ट उठाना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। फ्रीलांस फोटोग्राफी, यात्रा वृत्तांत लेखन, सोशल मीडिया से जुड़ा काम, भाषाई विद्यालयों में अंग्रेजी या हिंदी पढ़ाना, और यहां तक कि योग सिखाना भी शामिल है। यदि किसी की इच्छा हो तो उसके पास कई विकल्प खुद-ब-खुद आ जाते हैं। हो सकता है कि टूर पर निकलने से पहले आप बैकअप फंड तैयार करना चाहते हो। इससे आप घर लौटकर फिर किसी क्यूबिकल में बैठने को तैयार हो जाए। लेकिन यदि आप खानाबदोश की तरह यात्रा पर निकलना चाहते हैं तो यह आपके सपने में फिट नहीं बैठता।

‘जग घूमेया तारे जैसा ना कोई’

आइये हम आपकी स्थिति की समीक्षा करते हैं। आप पूरे साल सफर करना चाहते हैं, लेकिन आपको यह नहीं पता कि आपके पास वीसा और फ्लाइट का खर्च करने लायक पैसा मिला है या नहीं। आप प्रकृति को प्यार करते हैं और जिन भी खूबसूरत भौगोलिक विशेषताओं के बारे में सुना हैं, उन्हें आप देखना चाहते हैं लेकिन आपको डर लगता है। आपको पता है कि आप कर सकते हैं, लेकिन अलग-अलग देशों के रहन-सहन और आचार-विचार नहीं जानते। आप अपनी जिंदगी की कहानी को एक ट्रैवल जर्नल बनाना चाहते हैं, लेकिन मां का पल्लू नहीं छोड़ना चाहते। ऐसी परिस्थिति में यह एक देश आपके ट्रैवल प्लान में पूरी तरह सही बैठता हैः

भारत में पूरी दुनिया समाई हुई है। यदि आप एक साल के लिए घूमना चाहते हैं तो भारत में यह अवधि भी कम पड़ जाएगी। देश की लंबाई-चौड़ाई नापना इतना आसान नहीं है। वैसे, यह यात्रा सबसे आसान और सहज है।

इसके बिना काम करना सीखो

हम अपनी आरामदेह जिंदगी में कई सुविधाओं को सहजता से ले लेते हैं। इसमें एयरकंडीशनिंग, वाई-फाई और उबर जैसी सुविधाएं शामिल हैं। आप दुनिया में घूमने निकलो तो आपको इन सुविधाओं को छोड़ना होगा। आपको इनके बिना जिंदगी जीना सीखना होगा।

जब हवाई यात्रा बजट से बाहर जा रही हो तो नवाचार अपनाओ। उदाहरण के लिए, ग्रीस में संतोरिनी द्वीप पहुंचने के लिए मछुआरे की नौका का सहारा लो। मोम्बासा में डियानी बीच पर स्थानीय लोगों के साथ थिरकना पास के नाइटक्लब में डांस करने से बेहतर होगा। दोनों ही तरीके एडवेंचरस होंगे। लेकिन इनमें खर्च अलग-अलग होंगे।

आप अपने रोमांचक सफर पर निकलो तो आपको बुद्धिमानी से फैसले करने होंगे। कई जगहों पर वाइन महंगी होगी, लेकिन कई जगह ऐसी भी मिलेंगी जहां पानी से ज्यादा ब्रांडी डिस्टिल्ड होती है। ऐसे में इन जगहों पर फैसले सोच-समझकर करें।

एक भाषा सीखिए और अन्य लोगों के प्रति दयालुता दिखाइए

हां, आपको अंग्रेजी तो आती है न। और हां, स्पैनिश, या फ्रेंच, या जर्मन भाषा आपको हर देश में जीवित नहीं रखेगी। लेकिन यदि आप मुस्कराएंगे तो यह काफी होगा। आपको सामान्य आचार-व्यवहार सीखना होगा। थोड़ी दयालुता दिखानी होगी। स्थानीय लोगों के तौर-तरीके समझने होंगे। तभी आप खानाबदोश जैसी जिंदगी जी सकेंगे। इसके लिए स्थानीय लोगों में घुलना-मिलना और उन्हें करीब से देखना-समझना बेहद जरूरी है।

जब भारी-भरकम बास्केट से किसी बुजुर्ग महिला को जूझते देखो तो उसकी मदद करने की कोशिश करो, या जब किसान को उसके पालतू पशु परेशान कर रहे हो तो उनकी मदद करो। कौन जाने, हो सकता है कि आपको एक रात उनके साथ बिताने को मिल जाए! आपके नए रोमांचक सफर के लिए शुभकामनाएं.