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भारतीय हवाई यात्रियों का समय बचाने के लिये डिजीयात्रा

June 10, 2017


digiyatra-to-save-time-at-airports-hindiभारत सरकार ने भारतीय हवाई यात्रियों का समय बचाने के लिये डिजीयात्रा  योजना के शुभारंभ की घोषणा की है। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने आज ‘डिजीयात्रा’ पर रिपोर्ट पेश की। ‘डिजीयात्रा’ एक उद्योग-अग्रणी पहल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया पहल की दृष्टि से देश को डिजिटली रूप से अधिकारित समाज में बदलने के लिए मंत्रालय द्वारा इसकी शुरूआत की जा रही है। “डिजीयात्रा” की शुरुआत के साथ, सरकार हवाई यात्रा के टिकट की बुकिंग के लिए आधार, पासपोर्ट या पैन कार्ड जैसे अनिवार्य अद्वितीय पहचान लिंक करने जा रही है।

यह योजना एयरसेवा के करीब ही है, जो विमानन क्षेत्र में हितधारकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एक डिजिटल मंच है।

योजना के अनुसार, “डिजीयात्रा” योजना, यूनिक आईडी जैसे भारतीय नागरिकों के आधार, पासपोर्ट या पैन कार्ड को पीएनआर की बुकिंग के लिए लिंक करेगी। बुकिंग के समय स्वचालित प्रणाली हवाई टिकट के साथ अद्वितीय पहचान (यूआईडी) लिंक करेगी। यह तब एक डिजिटल बोर्डिंग पास (अनुमति पत्र) के रूप में काम करेगा, जिसे आगे स्मार्टफोन के माध्यम से किसी हवाई अड्डे पर सभी बिंदुओं पर उपयोग किया जा सकता है। इससे यात्रियों के लिए सहज यात्रा के अनुभव में मदद मिलने के साथ कतारों और भींड़ से राहत में सहायता मिलेगी जो पूरे भारत के हवाई अड्डों पर एक आदत बन गए हैं।

डिजीयात्रा के फायदे

  • हवाई अड्डे पर चेक-इन और बोर्डिंग का समय वर्ष के अंत तक आधा हो सकता है।
  • प्रौद्योगिकी आधारित पहल यात्री को पेपर मुक्त यात्रा के लिए सक्षम बनाती है, जो हवाई अड्डों पर जल्दी प्रवेश और स्वचालित चेक-इन में सहायता करेगी।
  • हवाई टिकट से जुड़ा यूआईडी एक डिजिटल बोर्डिंग पास (अनुमति पत्र) के रूप में काम करेगा और स्मार्टफोन के माध्यम से हवाई अड्डे पर सभी बिंदुओं पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इस पहल का उद्देश्य प्रवेश बिंदुओं, बोर्डिंग क्षेत्रों, सुरक्षा जाँच और बाहर निकलने के दौरान कतारों को कम करना है।
  • फिलहाल अभी यह हाई-टेक सुविधा वैकल्पिक होगी। हवाई अड्डों पर एयरलाइन काउंटर पर व्यक्तिगत् रूप से बोर्डिंग पास (अनुमति पत्र) लाइन में लग कर यात्रियों को पारंपरिक तरीके से यात्रा करने का विकल्प जारी रखेगा।
  • डिजीयात्रा का लाभ लेने वाले यात्रियों को मैनुअल चेक-इन पद्धति में लगने वाले 20 से 30 मिनट के मुकाबले अब 10 से 15 मिनट लगेंगे।
  • पहचान की सुविधा हवाई यात्रा के दौरान हवाई अड्डों पर सुरक्षा में सुधार करेगी। वर्तमान में, पहचान की आवश्यकता केवल हवाई अड्डों में प्रवेश करने के समय होती है बुकिंग के लिए पहचान पत्र की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इस कदम से विमानन मंत्रालय के अनियंत्रित यात्रियों पर प्रस्तावित नंम्बर फ्लाई सूची को निष्पादित करने में भी मदद मिलेगी क्योंकि यह उन पर नजर रखने में मदद करेगी।
  • विमानन मंत्रालय व्यापक परामर्श आयोजित कर रहा है। यह एक कड़े डाटा संरक्षण तंत्र के माध्यम से व्यापक यात्री कवरेज, सुविधा और गोपनीयता सुनिश्चित करना है।
  • डेटा-साझाकरण प्रोटोकॉल भी यात्रा पोर्टल, सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ पार्किंग और परिवहन प्रदाताओं जैसे विभिन्न रियायतदारों के बीच होगा, जिससे हवाई यात्री को सहज यात्रा में मदद मिल सके।
  • सीआईएसएफ सुरक्षा कर्मियों पर बोझ कम होगा जो हवाई अड्डों के परिसर को सुरक्षित रखते हैं और विभिन्न स्तरों पर जांच करते हैं उसमें भी काफी कमी आयेगी।
  • एमओसीए उम्मीद कर रहा है कि इस वर्ष के अंत तक सभी महानगरों के हवाई अड्डे डिजीयात्रा के दायरे के भीतर होंगे क्योंकि कई भारतीय हवाई अड्डे इसके साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं क्योंकि वे इसे पायलट आधार पर करने की कोशिश कर रहे हैं।

डिजीयात्रा को कार्यान्वित करने की प्रक्रिया

एमओसीए ने डिजिटल ट्रैवेलर्स वर्किंग ग्रुप को स्थापित किया है। यह समूह 30 दिनों के भीतर योजना को लागू करने के बारे में सुझाव देगा और फिर हितधारकों के इनपुट के साथ मानदंडों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा। “एक बार जब तकनीकि समिति अपना श्वेत पत्र प्रस्तुत करती है, तो हितधारकों से उनके सुझाव 30 दिनों की अवधि के लिए लिये जाऐंगे। इसके बाद, सरकार 30 से 60 दिनों के नियमों को अंतिम रूप देगी। नियमों का एक नया सेट या नागरिक उड्डयन आवश्यकता (सीएआर) सरकार द्वारा तैयार किया जाएगा जो बताएगा कि हवाई टिकट की बुकिंग के समय यूआईडी एक अनिवार्य आवश्यकता होती है।”

विभिन्न हितधारकों के साथ कई बैठकों का भी आयोजन किया गया है और एक “तकनीकी प्रारूप” बनाया जा रहा है। भारतीय हवाई अड्डों के माध्यम से यात्रा का एक “सहज अनुभव” प्रदान करने के लिए “डिजिटल ट्रैवलर फ्रेमवर्क” के नियम भी तैयार किए जा रहे हैं।

सिन्हा ने कहा है कि विमानन प्लेटफार्म 4 प्रमुख स्तंभों पर बनाया जाएगा जिसमें कनेक्टेड यात्री, कनेक्टेड एयरपोर्ट, कनेक्टेड फ्लाइंग और कनेक्टेड सिस्टम शामिल हैं। ये स्तंभ भारतीय हवाई यात्रियों को इन चीजों में सक्षम कर सकेंगे:

  • मूल्य रुझानों की पहचान करके कुशलतापूर्वक अपनी यात्राओं की योजना बना सकते हैं।
  • टिकट बुकिंग के समय भविष्य के हवाई किराए की दरों का अनुमान लगाया जा सकता है।
  • आधार कार्ड को एयरलाइंस या अन्य विमानन सेवाओं की पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने का विकल्प है। यह किसी भी पेपर-आधारित हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना तेज हवाई अड्डा प्रविष्टि और स्वचालित चेक-इन के लिए काम करेगा।
  • उन्नत बॉयोमैट्रिक सुरक्षा समाधानों से लैस सुरक्षा स्कैनर होंगे।
  • आस-पास के हवाई अड्डों के समय में, कतार की लंबाई आदि में किसी भी बदलाव के बारे में भीड़-भाड़, देरी, सुविधाओं और प्रोटोकॉल संबंधित जानकारियों के बारे में वास्तविक समय की सूचना प्राप्त करने में।
  • इन-फ्लाइट सेवा प्रस्ताव और गंतव्य आधारित प्रस्ताव का डिजिटल रूप से लाभ उठाएं।
  • शिकायतें दर्ज करें, अनुभव साझा करें और फीडबैक प्रदान करें।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस पहल के साथ विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाड़ियों के साथ छह महीने के व्यापक वार्ता के बाद उभरा है और उम्मीद है कि इससे हवाई यात्रा आसान बनाने में मदद मिलेगी, विशेष रूप से लगातार यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए।